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Knowledge of 2023
||स्वयं लेखन||
कसके पकड़ा था हमने उनका हाथ प्यार से, न जाने क्यों उनको दर्द होने लगा हमारे प्यार से। ©Gunjan Rajput कसके पकड़ा था हमने उनका हाथ प्यार से, न जाने क्यों उनको दर्द होने लगा हमारे प्यार से। #Love #thought #Bond #Relationship #story #Poetry
सतेन्द्र बिजल्वाण
Gourav chaplot
#ना जाने मेरा बचपन कैसे खोया था उंगली थाम जिसकी में चला था हाथों की थपथपाट से सोया था तेरी दुलार से मेरा मन ललचा था ना जाने मेरा बचपन कैसे खोया था तेरे लफ्जो से लफ्ज़ जो पकड़ा था तेरे कदमों से जो कदम मिलाया था तुझे देख जो में युह मुस्कराया था ना जाने मेरा बचपन कैसे खोया था सवेरे तेरे मुस्कान से जो में उठा था रोते हुए तेरी बाहों से स्कूल गया था खेल में लगी चोट से जो तू दुखी था ना जाने मेरा बचपन कैसे खोया था #ना जाने मेरा बचपन कैसे खोया था उंगली थाम जिसकी में चला था हाथों की थपथपाट से सोया था तेरी दुलार से मेरा मन ललचा था ना जाने मेरा बचपन कैसे
WRITER AKSHITA JANGID
Part -2 हाँ, मैं आजाद होना चाहता हूँ तुझ पर कभी फ़क्र भी किया था कीमती वक़्त जाया भी किया था बेफ़िजुल अब बात नहीं करता बस,हर पल का हिसाब चाहता हूँ हाँ ,मैं...... मुझे सौ दफ़ा इश्क़ ने जकड़ा था मैंने हाथ सिर्फ़ एक का पकड़ा था जो अधराह मुझे छोड़ कर गया अब सारे बंधन तोड़ लेना चाहता हूँ हाँ , मैं...... इश्क़,मोहब्बत से नफ़रत नहीं करता वक़्त तुझ पर अब बर्बाद नहीं करता खुद का वजूद अब जान लिया है खुद में बस अब लौट जाना चाहता है हाँ , मैं...... तेरी बातें अब भी लिखता रहता हूँ तेेरा किस्सा भी सुनाया करता हूँ,पर फ़िर भी तुझ ही से नफ़रत करता क्योंकी,मैं अब भी तेरा होना चाहता हूँ हाँ , मैं....... हाँ ,मैं आजाद होना चाहता हूँ खुद से दूर अब होना चाहता हूँ....!! Part -2 हाँ, मैं आजाद होना चाहता हूँ तुझ पर कभी फ़क्र भी किया था कीमती वक़्त जाया भी किया था बेफ़िजुल अब बात नहीं करता बस,हर पल का हिस
Gourav chaplot
Shree
यहीं रुक जाते... //अनुशीर्षक// Dear love, वंचित मन विचलित हो सकता है, विवेकहीन नहीं। विवेकहीनता आभाव का पर्याय है। अप्राप्य को भी प्रेम करना है, विलक्षण पर विवेकशील मनुष्
Manisha Bharti
जब उसने मुझे आखरी बार गले लगाया था, जब मेरा दिल और उसका दिल आखरी बार मिला था, जब वो मुझसे माफ़ी मांग रहा था, जब वो मुझसे बोल रहा था, चलो हमारे रिश्ते को एक और मौका देते है, मैं क्य महसूस कर रही थी तब, तब मैंने आंख बंद कर लिया था, बस मैं उस पल को रोक के रखना चाहती थी, उसकी बातो को ध्यान नहीं दे रही थी, मैं बस उस 55 second वाले hug को, कसके 55 minutes तक रखना चाहती थी, उसकी गलती को माफ़ करना चाहती थी, आखिर मैं फिर से टूटना चाहती थी, फिर से वही काहनी शूरू करना चाहती थी, फिरसे उसी मोहब्बत के नाम से बदनाम होना चाहती थी, और असल मैं ऐसा ही हुआ, उसे माफ़ किया, उसकी गलती को माफ़ किया, उसके आख में आंसु देख के जो मेरी भाहरी हंसी और अनंर का रूह रो पड़ा था, उसने मुझे बेबस करदिया था, फिरसे टूटने के लिए, फिरसे वही कहानी सुरु करने के लिए, फिरसे उसी शख्स से उसी मोहब्बत के नाम से बदनाम होने के लिए, मगर ये मालूम नहीं था की वो पल, वो जो हमने एक दूसरे को कस के पकड़ा था, वो 55 second का hug, हमारा एक दसरे को गले लगाना आखिरी बार होगा, यकीन तो आज भी, अभी भी नहीं होता की आज मैं उससे लिपट नहीं सकती, उसकी बाहों मैं नहीं हो सकती, उसे फिर से माफ़ नहीं कर सकती, काश !! उस आखरी 55 second के hug को 55 minutes करके मैं टूट -टूट कर रो ली होती, काश उससे बोल दी होती की जीतना करिब लाए हो उससे दूर मत करना, काश बोल दी होती की, मेरी मोहब्बत की हद नहीं है, मुझे खुद से दूर मत करना, असल मैं ना मैं ये बोल पाई, और ना असल मैं वो ऐसा चाहत था, वो आखरी के hug, 55 second वाला hug, हमारी आखरी कहानी रह गई। Dear Last Hug! Ek bhar aur gale laga kee roo loo ...... ....... ........JaAn😔🥺 ©Manisha Bharti जब उसने मुझे आखरी बार गले लगाया था, जब मेरा दिल और उसका दिल आखरी बार मिला था, जब वो मुझसे माफ़ी मांग रहा था, जब वो मुझसे बोल रहा था, चलो हमा
Anjali Kashyap
Rajpurohit Gajendra
वीर भोगे वसुंधरा हर रोज वो भोर के समय उठती। समीप ही सरोवर में नहा कर किले की औरतों संग शिव आराधना को चली जाती। घर से मंदिर तक के पथरीले रास्ते के दोनो और लगे