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Anil Ray
सीताहरण को तत्पर है जो रावण उन दुष्टों का अविलंब से वध हो। लक्ष्मण सा भ्रातृत्व प्रकाशित रहे घर-परिवार नही कोई कलह हो। हर बच्चे पर आशीष, ममता का न कोई बच्चा जग में अनाथ हो। पति-पत्नि रहे साथी बनकर सदा न ही सीता की अग्निपरीक्षा हो। रहे चाहे अकेले इस संसार मे हम परन्तु विभीषण सा भाई नही हो। आंगन खुशियों के दीप जगमगाते मुबारक यें आपको पवित्र पर्व हो। 🙏🏻🪔 जय श्रीराम 🪔🙏🏻 ©Anil Ray राम का वास :- संस्कृत में 'रा' का अर्थ है "जो प्रकाशमान है" वह है राम। सत्ता के कण-कण में जो प्रकाशमान है वह राम है। राम दशरथ और कौशल्या के
अनिता कुमावत
अहम् ब्रह्मास्मि !!! किसकी कहूँ पराकाष्ठा अंहकार की या आत्मज्ञान की ...!!! पहली बार जब रामायण देखी तब राम कौन और रावण कौन... समझ नहीं थी बस याद है तो इतना कि सीरियल खत्म होने के बाद अपने बनाए हुए तीर धनुष से कज़िन
CalmKazi
फ़रिश्ते हो तुम, क़ातिल हैं हम। दोनों के हाथ “क़िस्मतें” हैं। अहं ब्रह्मास्मि #calmkaziwrites #triveni #sacredgames #365days365quotes 225/365
Narendra Sonkar
"अहम् ब्रह्मास्मि और गुस्सा" हाथी को चींटी पर्वत को तिनका स्वयं को बाप शेष को खाक सृष्टि को मुट्ठी में समझने का अहम भाव ही अहम् ब्रह्मास्मि है! अहम् ब्रह्मास्मि में नही होती पैरों तले जमीन कोई आधार आदमी होता है स्वयं में सर्वश्रेष्ठ निरंकुश और निराधार ठीक उसी तरह जैसे गुस्से में! ©Narendra Sonkar 'अहम् ब्रह्मास्मि'
Divyanshu Pathak
मंदिर 02 प्रेम पथ के यात्री को क्रोध विक्षिप्त कर डालता है। क्योंकि प्रेम अहंकार शून्य स्थिति में संभव है। क्रोध अहंकार का पर्याय है। प्रेम ह्वदय मे रहता है,अहंकार बुद्धि में। स्वभाव से दोनों ही विरोधाभासी हैं। प्रेम में व्यक्ति स्वयं को कभी नहीं देखता। प्रेमी के आगे स्वयं लीन हो जाता है। जैसे मन्दिर में ईश्वर के आगे समर्पित होकर चित्त में उसको स्थिर कर लेता है। यही तो प्रेम की परिभाषा है। वहां कभी दो नहीं रहते। सही अर्थो में तो कर्म का कर्ता भी व्यक्ति नहीं होता। जब कामना तथा कामना पूर्ति का निर्णय दोनों ही व्यक्ति के हाथ में नहीं हैं,तब उसका कर्ता
Divyanshu Pathak
गतिर्भर्ताप्रभु साक्षीनिवासः शरणं सुहृत ! प्रभवः प्रलयः स्थानम निधानम बीजमव्ययम !! : गी. अ.-09/18 🍂🦃😁😂☕🐿🍵🐰🍵🐦🐦🦃🍂💓हरे कृष्ण🐦🦃🍂💓🍵🐰🐰🐦😀🍫🍫💕😁😂☕ एक शिक्षा का पहला लक्ष्य है-ज्ञानार्जन। ज्ञान और ब्रह्म पर्याय शब्द हैं। हम सब ब्रह्माण्ड की प्रतिकृत
Divyanshu Pathak
समोअहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योअस्ति न प्रियः ! ये भजन्ति तु मां भक्त्या मयि ते तेषु चाप्यहम् !! : संपूर्ण जीवों में मैं समान भाव से व्यापक हूँ ! मुझे कोई भी प्रिय और अप्रिय बिल्कुल भी नहीं हैं ! पर जो मुझसे समर्पित भाव से जुड़ता है उसके ह्रदय में प्रत्यक्ष प्रकट हो जाता हूँ!.....गी. अ.-09/29 : क्रमशः---05😂🐿☕🐇🍫 🐿☕☕#साहित्य🐇#हरेकृष्ण🐇🍫🍫#साहित्य😂😁#संस्कार💕😚#बृजधाम🐦😘🐇🐦#ज्ञान🐦#वैराग्य🐇☕ : भारत में मन की अवस्थाओं को ही चेतना का स्तर (जाग्रत, स्वप्न, सुषु
Divyanshu Pathak
हम यदि गुलाब के फूल को देखें तो क्या उसकी इज्जत पंखुडिय़ों से नहीं है? क्या बिना कांटों के वह सुरक्षित रह सकता है? यदि उसकी पंखुडिय़ां गिर जाएं तो उसकी सुगंध भी चली जाएगी। :💕👨 इन सबके बीच रहते हुए ही व्यक्ति अपने जीवन की वास्तविकता को समझ सकता है। ‘मेरे’ के साथ रहकर ‘मैं’ विकसित नहीं हो सकता। ‘मैं’ केवल ‘मैं’ क
साहस
अहम शिवोह्म #brahmashmi20 #lovequotes #poetry #trendingquotes #poem #shayri #YourQuoteAndMine Collaborating with अहम ब्रह्मास्मि
Aprasil mishra
नव प्रगतिवाद एक आखेट " नव प्रगतिवाद एक आखेट " हम उद्दीपन की ऐसी व्यवस्था के शिकार क्यों हो रहे हैं, जहाँ उच्छृंखल विषयों पर भी विकल्पहीनता दे