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Sarfaraj idrishi
Unsplash जितने दुश्मन हमारी जान के हैं उनमें आधे तो हमारे ही ख़ानदान के हैं। ✍️ ©Sarfaraj idrishi #Book जितने दुश्मन हमारी जान के हैं उनमें आधे तो ख़ानदान के हैं Islam Sethi Ji Suraj Maurya h m alam s Sarfraz Ahmad Raj-Simran
#Book जितने दुश्मन हमारी जान के हैं उनमें आधे तो ख़ानदान के हैं Islam Sethi Ji Suraj Maurya h m alam s Sarfraz Ahmad Raj-Simran
read moreSanjeev0834
Google जब तलक रहे जीता चाहिए हँसे बोले आदमी को चुप रहना मौत की निशानी है ©Sanjeev0834 #Manmohan_Singh_Dies #मौत #दुश्मन #निधन #beingsanjeev0834🦅 #nawab_saab💗🤞 ##2linespoetry #2lineshayari heart touching life quotes in hindi
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Google मौत ही इंसान की दुश्मन नहीं ज़िंदगी भी जान ले कर जाएगी ©Sanjeev0834 #Manmohan_Singh_Dies #मौत #दुश्मन #beingsanjeev0834🦅 #nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari urdu poetry sad poetry in hindi hindi poetry
#Manmohan_Singh_Dies #मौत #दुश्मन beingsanjeev0834🦅 nawab_saab💗🤞 #2linespoetry #2lineshayari urdu poetry sad poetry in hindi hindi poetry
read moreनवनीत ठाकुर
Unsplash मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है, जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है। मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर सा लगता है, अब सच्चाई का सामना, आसान सा दिखता है। हर शब्द में अब एक बेवफाई का रंग सा दिखता है। जो अपना था, अब वो सिर्फ़ धोखा देने वाला लगता है, ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है, जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है। मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर
#नवनीतठाकुर मुझे दुश्मन ही दे दो, अब रास्ता आसान लगता है, जो था कभी अपना, वो अब दगा देने वाला लगता है। मुझे दुश्मन ही दे दो, अब अपनों से डर
read moreSANIR SINGNORI
ये उदासियां किस ख़ुशी में लिपट रही हैं मुझसे मेरे अंदर का शख्स तो मर चुका है 'जानी' 🥀💯 . ©SANIR SINGNORI ये उदासियां किस ख़ुशी में लिपट रही हैं मुझसे मेरे अंदर का शख्स तो मर चुका है जानी
ये उदासियां किस ख़ुशी में लिपट रही हैं मुझसे मेरे अंदर का शख्स तो मर चुका है जानी
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ये उदासियां किस ख़ुशी में लिपट रही हैं मुझसे मेरे अंदर का शख्स तो मर चुका है 'जानी' 🥀💯 . ©SANIR SINGNORI ये उदासियां किस ख़ुशी में लिपट रही हैं मुझसे मेरे अंदर का शख्स तो मर चुका है जानी
ये उदासियां किस ख़ुशी में लिपट रही हैं मुझसे मेरे अंदर का शख्स तो मर चुका है जानी
read moreSANIR SINGNORI
'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀 . ©SANIR SINGNORI 'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀
'जानी' पागल क्यूं हो गया तू... एक ही शख़्स था जहां में क्या..🥀
read moreSANIR SINGNORI
'जानी' को समझाए कोई... एक ही शख़्स था जहां में क्या.. 🥀🥺 . ©SANIR SINGNORI जानी को समझाए कोई, एक ही शख़्स था जहां में क्या
जानी को समझाए कोई, एक ही शख़्स था जहां में क्या
read more#काव्यार्पण
White 1222 1222 122 मेरी दुश्मन है बे- अकली हमारी दिखी औकात अब असली हमारी मेरे आँसू छुपा लेता है बिस्तर हँसी है यार अब नकली हमारी। हमें ही मान बैठे हो खुदा तुम मगर करते हो फिर चुगली हमारी। जजीरें तोड़ दी मैंने जहां की सभी ने टागे फिर काटी हमारी। पुरुष ही शेष है नारी के भीतर कहीं अब खो गई नारी हमारी। अकड़ ही रह गई इंसान में अब सिकुड़ती जा रही रस्सी हमारी। नहीं चलती हूं मैं उस राह पे अब जहां से उठ गई अर्थी हमारी। पड़ी रहती हूं मैं कमरे के भीतर हमें ही भा गई सुस्ती हमारी। दरो दीवार पर चेहरा है उसका नजर ही हो गई अंधी हमारी। सभा में मौन बैठे ही रहे सब रही थी द्रौपदी लुटती हमारी। कभी भी याद उसकी आ गई जो कि हालत ही नहीं सभली हमारी। मेरी बाहों से हिजरत करने वाले क्या तुमको याद है चुप्पी हमारी। ©#काव्यार्पण मेरी दुश्मन है :- प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर #काव्यार्पण #Kavyarpan #हिंदी #poetry #gazal #good_night hindi poetry Sushant Singh Rajput poe
मेरी दुश्मन है :- प्रज्ञा शुक्ला, सीतापुर #काव्यार्पण #Kavyarpan #हिंदी #Poetry #gazal #good_night hindi poetry Sushant Singh Rajput poe
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