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कवि राहुल पाल 🔵
POONAM SINGH
Lotus Mali
ए दिल है मेरा जो बड़ा शरती निकला, कितना भी कोशिश करो रोके नहीं रुका, हर राह पर मैंने तेरे निशा मिटाना चाहा, ओर एक-एक पल को तरो ताज़ा कर गया.... https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali ए दिल है मेरा जो बड़ा शरती निकला, कितना भी कोशिश करो रोके नहीं रुका, हर राह पर मैंने तेरे निशा मिटाना चाहा, ओर एक-एक पल को तरो ताज़ा कर गया.
Lotus Mali
ए दिल है मेरा जो बड़ा शरती निकला, कितना भी कोशिश करो रोके नहीं रुका, हर राह पर मैंने तेरे निशा मिटाना चाहा, ओर एक-एक पल को तरो ताज़ा कर गया.... https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali ए दिल है मेरा जो बड़ा शरती निकला, कितना भी कोशिश करो रोके नहीं रुका, हर राह पर मैंने तेरे निशा मिटाना चाहा, ओर एक-एक पल को तरो ताज़ा कर गया.
N S Yadav GoldMine
है वासुदेव श्रीकृष्ण इसका यह मुख हिंसक जन्तुओं द्वारा आधा खा लिया गया है पढ़िए महाभारत !! 🙏🙏 महाभारत: स्त्री पर्व एकोनविंष अध्याय: श्लोक 1-17 {Bolo Ji Radhey Radhey} 📜 गान्धारी बोलीं- माधव। यह मेरा पुत्र विकर्ण, जो विद्वानों द्वारा सम्मानित होता था, भूमि पर मरा पड़ा है। भीमसेन ने इसके भी सौ-सौ टुकड़े कर डाले हैं। मधुसूदन। जैसे शरतकाल में मेघों की घटा से घिरा हुआ चन्द्रमा शोभा पा रहा है, उस प्रकार भीम द्वारा मारा गया विकर्ण हाथियों की सेना के बीच में सो रहा है। 📜 बराबर धनुष लिये रहने से इसकी विशाल हथेली में घट्ठा पड़ गया है। इसके हाथों में इस समय भी दस्ताना बंधा हुआ है; इसलिये इसे खाने की इच्छा बाले गीध बड़ी कठिनाई से किसी किसी तरह काट पाते हैं। माधव। उसकी तपस्विनी पत्नी जो अभी बालिका है, मांस लोलोप गीधों और कौओं को हटाने की निरंतर चेष्टा करती है परंतु सफल नहीं हो पाती है। 📜 पुरुष प्रवर माधव। विकर्ण नवयुवक देवता के समान कांतिमान, शूरवीर, सुख में पला हुआ तथा सुख भोगने के योग्य ही था; परंतु आज धूल में लोट रहा है। युद्ध में कर्णी, नालीक और नाराचों के प्रहार से इसके मर्मस्थल विदीर्ण हो गये हैं तो भी इस भरतभूषण वीर को अभी तक लक्ष्मी (अंगकान्ति) छोड़ नहीं रही है। 📜 जो शत्रु समूहों का संहार करने वाला था, वह दुर्मुख प्रतिज्ञा पालन करने वाला संग्राम शूर भीमसेन के हाथों मारा जाकर समर में सम्मुख सो रहा है। तात् श्रीकृष्ण इसका यह मुख हिंसक जन्तुओं द्वारा आधा खा लिया गया है, इसलिये सप्तमी के चन्द्रमा की भांति सुशोभित हो रहा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो मेरे इस रणशूर पुत्र का मुख कैसा तेजस्वी है? पता नहीं, मेरा यह वीर पुत्र किस तरह शत्रुओं के हाथ से मारा जाकर धूल फांक रहा है। सौम्य। युद्ध के मुहाने पर जिसके सामने कोई ठहर नहीं पाता था उस देवलोक विजयी दुर्मुख को शत्रुओं ने कैसे मार डाला? 📜 मधुसूदन। देखो, जो धनुर्धरों का आदर्श था वही यह धृतराष्ट्र का पुत्र चित्रसेन मारा जाकर पृथ्वी पर पड़ा हुआ है। विचित्र माला और आभूषण धारण करने वाले उस चित्रसेन को घेरकर शोक से कातर हो रोती हुई युवतियां हिंसक जन्तुओं के साथ उसके पास बैठी हैं। 📜 श्रीकृष्ण। एक ओर स्त्रियों के रोने की आवाज है तो दूसरी ओर हिंसक जन्तुओं की गर्जना हो रही है। यह अद्भुत द्श्य मुझे विचित्र प्रतीत होता है । माधव। देखो, वह देवतुल्य नव-युवक विविंशति, जिसकी सुन्दरी स्त्रियां सदा सेवा किया करती थीं, आज विध्वस्त होकर धूल में पड़ा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो, बाणों से इसका कबच छिन्न-भिन्न हो गया है। युद्ध में मारे गये इस वीर विविंशति को गीध चारों ओर से घेरकर बैठे हैं । जो शूरवीर समरांगण में पाण्डवों की सेना के भीतर घुसकर लोहा लेता था, वही आज सत्पुरुषोचित वीरशैया पर शयन कर रहा है। 📜 श्रीकृष्ण। देखो, विविंशति का मुख अत्यंत उज्ज्वल है, इसके अधरों पर मुस्कराहट खेल रही है, नासिका मनोहर और भौहें सुन्दर हैं यह मुख चन्द्रमा के समान शोभा पा रहा है। ©N S Yadav GoldMine #WoRaat है वासुदेव श्रीकृष्ण इसका यह मुख हिंसक जन्तुओं द्वारा आधा खा लिया गया है पढ़िए महाभारत !! 🙏🙏 महाभारत: स्त्री पर्व एकोनविंष अध्याय:
Pankaj
✍️ 🙏 ✌️शरद महारास की रात में शरद पूर्णिमा का चांद मानो जीवन का हो यह सम्पूर्ण 👍पुण्यधाम💐 🙏जय श्री राधे कृष्णा🙏 -पंकज #better #शरतचांद
fateh singh sodha
।। हम संघर्ष में जीने के आदी हैं।। पिछले कई सालों से जैसलमेर की टॉप रैंक पर रहने वाला स्कूल माउंटेंसरी बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल जैसलमेर पिछले 3 वर्षों मैरिट सरताज जैसलमेर 1ः रिछपाल सिंह भाटी हमीरा(2020) = 92.60% 2 : फतेह सिंह सोढा म्याजलार(2021) = 100% 3 : रायना कुमारी जैसलमेर(2022) = 95.80 श्रेयस्कर = शालिनी महेचा एंड उनकी टीम ©fateh singh sodha मैरिट शरताज
Ravindra Raaj
#ग़ज़ल सर्द मौसम है कोई जाम उठाया जाये ।। होठ खाली हैं इन्हैं काम लगाया जाये ।। बदनजर जो भी उठाये किसी मासूम पे तो । ऐसे हर शख्स को जिन्दा
Sunita D Prasad
#काँधे से अधरों तक..... समग्र की अभिलाषा में बहुत कुछ मध्य में ही छूट गया जबकि न प्रारब्ध वश में है और न ही अंत! अचंभित होती हूँ इच्छाओं की हठधर्मिता पर कि कैसे अपने अवसान पर क्षीण होने की बजाय उग्र हो उठती हैं उस समय शरतचंद्र जी के देवदास का चरित्र भुवन मोहन चौधरी मुझे देख मुस्करा देता है। देह की देहरी लाँघ मन चार भिन्न दिशाओं में बँटा! सुनो, बिल्कुल कठिन नहीं था तुम्हारे काँधे से अधरों तक का सफर बस कुल जमा चार दिशाओं का असमंजस भर ही तो लगा!! --सुनीता डी प्रसाद💐💐 #काँधे से अधरों तक..... समग्र की अभिलाषा में बहुत कुछ मध्य में ही छूट गया जबकि न प्रारब्ध वश में है और न ही अंत! अचंभित होती हूँ इच्छाओं क
CalmKazi
पकवान शरत का थाल फलक पर था, माँ ने भी कुछ अनोखा किया । पकवान कटोरी का, भरा बाल्टी में, बाहर खुले में टांग दिया ।। मैंने पूछा, "ये क्या करते हो ? इसको तो थाल से ढँक, अंदर रख आते हैं"। माँ बोली, "बेटा कभी कभी मामा से बाँट कर, अच्छे बच्चे खीर खाते हैं" ।। #moonmemory challenge by Galaxi Chakma #moon #childhood. Hope this counts. Click on #WaqtKiDosti for more I always reminisce those obscure