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Saket Ranjan Shukla
White इकतरफ़ा इश्क़ महज़ दोस्ती है या मोहब्बत, जताऊँगा नहीं, दिल के जज़्बात, मैं ज़ुबान पर लाऊँगा नहीं, तेरे इकरार की नहीं दरकार मेरी आशिक़ी को, हसीन एहसास ये तेरे जवाब पर लुटाऊँगा नहीं.! IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla इकतरफ़ा आशिक़ी.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Shivkumar
White अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा पथ पर , चलने में माहिर बन जाऊँगा । या तो मंजिल मिल जायेगी या , अच्छा मुसाफ़िर बन जाऊँगा…। पसीने की स्याही से जो लिखते हैं अपने इरादें को , उसके मुक्कद्दर के सफ़ेद पन्ने कभी कोरे नही होते…। ©Shivkumar #Road #रोड #Nojoto #शायरी #nojotohindi अच्छा #मुसाफ़िर बन जाऊँगा… चलता रहूँगा #पथ पर , चलने में #माहिर बन जाऊँगा । या तो #मंजिल मिल ज
Saket Ranjan Shukla
White श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं आर्यावत हुआ है धन्य, पधारे हैं अवध में रघुराई, सारी नगरी सजी पुष्पों से, बाजी हर घर है बधाई, श्रीराम के आगमन मात्र से, मानो तृप्त हुई है धरा, शंखों की ध्वनि गूँज रही, गूँजे है ढोल और शहनाई, ये दशों दिशाएँ हैं आतुर, कौशल्यानंदन के दर्शन को, कैसे धरे संयम कोई, कैसे थामे तीव्र हृदय स्पंदन को, रघुवीर के कंधे सजने को कोदण्ड भी आकुल है जैसे, संपूर्ण ब्रह्मांड कर जोड़े खड़ा श्रीरामलला के वंदन को, सुधबुध खोए, राम में रमे हम, राम में ही शरण पाते हैं, राम में रमे है सृष्टि सकल, राम नाम से सब तर जाते हैं, रमणीक न कोई राम सा, राम सा मनोहर न कोई दूजा, श्रीहरि, आपके बाल्य रामरूप पर सब बलिहारी जाते हैं, हर्षोल्लास है चहुँ ओर, तारणहार जो मृत्युलोक पधारे हैं, एक नारा है सबका, हम हैं श्रीराम के और श्रीराम हमारे हैं। IG:– @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla श्रीरामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएं.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Saket Ranjan Shukla
Saket Ranjan Shukla
सुन कभी ऐ तक़दीर मेरी कमियों को मेरी, अब उलाहने सरेआम न दे, तूने भी चुना था मुझे, सिर्फ़ मुझे इल्ज़ाम न दे, हो रहा हूँ बर्बाद मैं, तेरे बताए रास्ते पर चलकर, बेचारगी ही दिखे, इस सफ़र को वो आयाम न दे, माना कि ख़्वाब सजाना, तुझसे ही सीखा है मैंने, दिल को चुभें जो ताउम्र, उन टुकड़ों का इनाम न दे, न कुछ आस लगाई तूझसे साथ निभाने के अलावा, नाराज़गी में मत ले फ़ैसले इस रिश्ते को क़याम न दे, सौ हार पर, एक जीत तो मेरे के नाम कर, ऐ तक़दीर, ज़ख्मी रूह को “साकेत" के, भले कभी आराम न दे। IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla सुन कभी ऐ तक़दीर मेरी.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Saket Ranjan Shukla
ख़ैर वहम के सहारे ही सारा रस्ता गुजार गया, अब तक का सारा सफ़र यूँ ही बेकार गया, सुना था कि पाकर मंज़िल मिलती है खुशी, ख़ैर मुझे क्या मैं तो फ़िर एक दफ़ा हार गया.! IG :— @my_pen_my_strength ©Saket Ranjan Shukla ख़ैर.! . ✍🏻Saket Ranjan Shukla All rights reserved© . Like≋Comment Follow @my_pen_my_strength .
Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma
हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की फिर उसी मोड़ पर आकर खड़े हों जाते हैं। कभी कभी तो लगता है अपने हाथ पैर मारना ही छोड़ दे ताकि कुछ पल सुकून के तो मिल सके पर यह भीं इसे मंजूर नहीं होता है, फिर कोई न कोई राह दिखा कर फिर उसी मोड़ पर ले आती है। ना यह चेन से जीने देती है और ना मरने देती है। जब तकलीफ़ का दौर देखा और अपने आप को कोसने लगे तो फिर इसे शख्स को सामने लाकर खड़ा कर देगी। जो हमसे भीं ज्यादा तकलीफ़ मे होगा, उसे देख कर और उनकी तकलीफ़ को सुनकर उनके लिए प्रार्थना करने के लिए अपने आप भगवान के आगे उठ जाते हैं। और आंखो में अश्रु भर जाते हैं। बस और बस केवल उनकी ही पीड़ा मन में रहती है। जब हाथ पकड़ कर कहती हूं सब ठीक हों जायेगा। तो वो जैसे ही ठीक हों जाता था। तो हमे भूल जाता है। और मन में एक ठीस सी उठती है। हमें दुःख किस बात का हुआ वो भूले इस कारण यां उनकी पीड़ा हमारे अंदर आ गई उसके कारण.. समझ नहीं आता की नियति क्या खेल खेलती है। हमारा मन एक कोरा कागज़ है उसपर हर तरह के रंग भर देती है। चाहें हमें पसंद हों यां नहीं। बस भरे जा रहीं हैं, भरे जा रही है। जो देखेगा तो उसका अलग ही मत होगा। कोई अपनी अलग ही राय कायम करेगा। पर इन सब के बीच में पिसता पेपर हैं। अगर रंग अच्छे भरे तो सुंदर चित्र उभर कर आयेगा और उसे साथ ले जायेगा। और किसी को पसंद नहीं आया तो कचरे के डिब्बे में फेका जायेगा, तब वो स्याही भीं ख़राब तो उस पेन की चुबन और वो पेपर भीं ख़राब हों जायेगा। और बाद में हमारी नियति भीं ख़राब बता दी जायेगी क्योंकि सबसे बड़ी कलाकार हमारी नियति है और हम वो प्लेन पेपर है, और दुःख, सुख, शांति, पीड़ा, संघर्ष रूपी कलम सभी हमारी नियति है। और शून्य से बढ़े तो शून्य में ही विलीन हों गए। ©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma #aaina हमारी नियति है। कभी शून्य से आगे बढ़ ही नहीं पाए , जब भी हमने सोचा की शायद अब नियति मे कुछ बदलाव आया होगा तो तभी कुछ ऐसा होता है की
Devesh Dixit
कविता को कविता रहने दो कविता को कविता रहने दो, विचारों को भी अब बहने दो। रोका जो उनको अब है तुमने, मुझे पीड़ा को उनकी सुनने दो। बिखर गये हैं न जाने कितने, शब्दों के वो अलंकार जितने। कागज़ भी देखो सूना पड़ा है, लगे हैं उसके अरमान रुकने। बेचैनी उसकी अब बढ़ चुकी है, देखो स्याही भी रुक चुकी है। शब्द नहीं उस पर अब बिखरे, किस्मत ही देखो थक चुकी है। कागज़ देख कब से राह निहारे, शब्दों की उस पर आए बहारें। मत उसके तुम अर्थों को बदलो, और उसमें अब बढ़ाओ दरारें। कविता को कविता रहने दो, उसको अपने में ही रहने दो। उन्मुक्त उड़ान है उसकी देखो, उसे भी तो अपनी कहने दो। ......................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कविता_को_कविता_रहने_दो #nojotohindi #nojotohindipoetry कविता को कविता रहने दो कविता को कविता रहने दो, विचारों को भी अब बहने दो। रोका जो