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Neelam Agarwal

हिंदी दिवस पर कविता #Mylanguage

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KISHAN VERMA

हिंदी दिवस पर कविताहिंदी मेरा सम्मान

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@the soul of love and laughter

वो बरसात का दिन था  मैं रोता हुआ घर आया था,  मुझे याद है उस दिन उसने  पटियाला पेग मुझे पिलाकर
बहुत ही बुरी तरह धोया था #हास्य #कविता #हिंदी #रात

Dr Mahesh Kaushik

हिंदी दिवस पर एक कविता #Darknight

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हिंदुस्तान के माथे सजी है हिंदी
जन-जन की प्यारी बनी है हिंदी
हिंदी है मान स्वाभिमान हमारा
हिंदी है पूरे राष्ट्र की आंख का तारा
हिंदी ही है प्रेम की अविरल धारा
एकता के गीत का संगीत प्यारा
जनमानस के हृदय बसी है हिंदी।।
हिंदी हम सबका विश्वास है
विकास की आशा व प्रकाश है
खुशहाली का झरना बिंदास है
सप्त सुरों की माला यह खास है
 संस्कृति की प्रहरी बनी है हिन्दी।।
ऋषि मुनियों का आशीर्वाद है
ये वेद पुराणों का अनुवाद है
हिंदी की हुकूमत निर्विवाद है
हिंदुस्तानी दिलों का आह्लाद है
 गीता सी धरोहर बनी है हिंदी

©Dr Mahesh Kaushik हिंदी दिवस पर एक कविता
#Darknight

Payal Goswami

मेरी स्वरचित कविता हिंदी दिवस पर। #poem

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kumar parth shukla

###❤️❤️हिंदी दिवस पर कविता

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✍️✍️🌹बेजुबा है,,पर न जाने क्या क्या बयां करती है, किताबे। हमें जीने का रोज नया सलीका बयां करतीहै,, किताबे हमें संस्कार सिखाती है, किताबें। हमें सही पथ पर यह ले जाती है किताबें। हर रोज नया सबक और सबब दे जाती है,, किताबें।हमे आपस में मिलकर रहना सिखाती हैं,, किताबे।🌹🌹  कवि –
                  पार्थ शुक्ला ###❤️❤️हिंदी दिवस पर कविता

चेतन घणावत स.मा.

विश्व हिंदी दिवस पर स्वरचित कविता

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Amresh Kumar Singh

हिंदी दिवस कविता

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हिंदी की अभिलाषा'

हिंदी थी वह जो लोगो के ह्रदयों में उमंग भरा करती थी,

हिंदी थी वह भाषा जो लोगो के दिलों मे बसा करती थी|

हिंदी को ना जाने क्या हुआ रहने लगी हैरान परेशान,

पूछा तो कहती है अब कहां है मेरा पहले सा सम्मान|

मैं तो थी लोगो की भाषा, मैं तो थी क्रांति की परिभाषा,

मैं थी विचार-संचार का साधन मैं थी लोगो की अभिलाषा

मुझको देख अपनी दुर्दशा आज होती है बड़ी निराशा,

सुन यह दुर्दशा व्यथा हिंदी की ह्रदय में हुआ बड़ा आघात,

बात तो सच है वास्तव में हिंदी के साथ हुआ बड़ा पक्षपात|

हिंदी जो थी जन-जन की भाषा और क्रांति की परिभाषा,

वह हिंदी कहती है लौटा दो उसका सम्मान यही हैं उसकी अभिलाषा|
 
अपने ही देश में हिंदी दिवस को तुम बस एक दिन ना बनाओ,

मैं तो कहता हुं हिंदी दिवस का यह त्योहार तुम रोज मनाओ

आओ मिलकर प्रण ले हम सब करेंगे हिंदी का सम्मान,

पूरी करेंगे हिंदी की अभिलाषा देंगे उसे दिलों में विशेष स्थान| हिंदी दिवस कविता

Tarun Vij भारतीय

हेलमेट नहीं लगाएंगे, बाइक को खूब भगाएंगे।
टेढे मेढ़े कट मारकर, फर से फुर हो जाएंंगे।।

रोके फिर चाहे थानेदार, मुंशी हो या हवादार।
रोके से भी रुके ना हम, विधायक हमारे चचा का यार।।

डंडा जो दिखाइस हमको, शायद ना पहचाने हमको।
निकाल के चालान की कापी, पुलिसगिरी दिखाए हमको।। 

फिर अपना टोर दिखाया हमने, फट से फोन लगाया हमने।
हैलो होते विधायक जी सू, दरोगा के कान पर लगाया हमने।।

इससे पहले के चचा कुछ बोले, दरोगा लिए चालान बुक खोले।
जैसे जैसे आए फोन से आवाज, मुंशी लगा भरने खुद गोले।।

देख के ये हमको गश आए, निकाल हरी पत्ती चेले को बढाए।
चेला भी निकला इमानदार, बाइक से महंगा चलान बनाए।। 

अब का करे कुछ समझ ना आया, के तभी दिमाग में आइडिया आया।
चला के फोन हुए फ़ेसबुक लाइव, चालान होते का वीडियो बनाया।।

कमेंट मे जब देखा रोष, हम में भी फिर आया जोश।
कैमरा के आगे फिर हम जो दहाड़े, पास खड़ो के उड गए होश।।

देख दारोगा बढता बवाल, मुंशी को बोले इसे जीप मे डाल।
दो लोग पकड़ हमें जीप मे डाले, थाने ले जा किए कूल्हे काले। 

बदन हो गया लाल नीला, हाल कर दिया एक दम ढीला।
मार मार जो भूत उतारा, मानो जैसे कोई फ्रूट छीला।।

आखिर में हमको समझ मे आया, उस रोज बाद हैलमेट लगाया।
कागज भी अब रखता हूं सारे पूरे, एक भूल ने आखिर ये सब सिखलाया।।  "चालान" एक हास्य कविता
#कविता #हास्य_व्यंग्य #हास्य #हिन्दीकविता #हिंदी #चालान #tarunvijभारतीय

ऋतु गुलाटी ऋतंभरा

हिंदी दिवस पर

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