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Krishna Shrivastav
तू मात मेरी शारदे,तुम हो ज्ञानदायिनी संगीत की सरगम,तू ही वीणावादिनी तू श्वेत हंसवाहिनी,तू श्वेत वस्त्रधारिणी श्वेत आसान पद्मिनी,छंद की तू कामिनी ज्ञान तू विज्ञान तू ही,पुराण में तू मेदिनी अनंत तेरे नाम हैं,तू ही है सौदामिनी तू करे जिसपे कृपा,वो जगत में पुजिनी शब्द चुन छंद लिखें,कवि की तू बंदिनी कृष्णा श्रीवास्तव, राज ©Krishna Shrivastav मनहरण घनाक्षरी छंद
Amit Pandey
घनाक्षरी छंद की कविता फोनवा पे बतियाए,रही रही खिसियाए, दांते ओढ़नी दबाए,गाल छुए केशिया। रही देखे गुजरिया, बुढ़ओ मारे नजारा, जब चलेलू रहिया,लोग मारे सिटिया। ©Amit Pandey #घनाक्षरी छंद की कविता
Vivek Dixit swatantra
घनाक्षरी छंद सिया राम मिलन पुष्प वाटिका में सिया राम को निहार रही, मनोहर रूप राम जी का उन्हे भा गया। श्यामल बदन मुख तेज देख जानकी के, धीरे-धीरे प्रेम भाव मन में समा गया। राम जी की शौर्य गाथा सिया ने बहुत सुनी, नजरें मिली तो मन को करार आ गया। प्रेम में विभोर सिया सुध- बुध भूल गई, राम राम नाम से ह्रदय जगमगा गया। -विवेक दीक्षित "स्वतंत्र" ©Vivek Dixit swatantra #घनाक्षरी छंद#ram-sita
Prakhar Pandey
धर्मशास्त्र में सुविज्ञ और वेदज्ञान विज्ञ राग झनकार का श्रवण कैसे करेगा नाशक निशाचरों का पालक सदाचरों का दुराचारी राह में भ्रमण कैसे करेगा ब्रह्मचर्य व्रतधारी चक्रधर अविकारी रास या विलास में रमण कैसे करेगा द्रौपदी के चीर को बचाने वाला योगिराज गोपियों के चीर का हरण कैसे करेगा ©प्रखर पाण्डेय #श्रीकृष्णजन्माष्टमी एक प्रश्न (घनाक्षरी छंद)
Sanjay Sharma Saras
https://www.facebook.com/JashnEPoetry/videos/971223929719273/?sfnsn=cl घनाक्षरी छंद - कवि प्रियांशु गजेंद्र
आदित्य झा
गोद में तुम्हारे सर रखकर सोता हूं तो उस पल मुझे "मनमौजी " लगती हो तुम। करती हो चेक जब मेल व मैसेज मेरे मुझको तो जैसे कोई " खोजी "लगती हो तुम। रुठती हो, रुठकर मान भी तो जाया करो लड़ती हो मुझसे तो " फौजी " लगती हो तुम। घूमती हो फिरती हो जब कभी संग मेरे मेरे सारे भाईयो को " भौजी " लगती हो तुम। घनाक्षरी छंद। #nojotohindi #nojotosyari #nojotocomedy #nojotokavita
Madhusudan Shrivastava
મારું ગામડું छंद जलहरण घनाक्षरी गाँव गाँव की ये रीत देखो, प्रेम और प्रीत देखो छाँव और धूप देखो, शहर के नारी - नर। लोग हैं गरीब पर, तेज उनका प्रखर, लड़ते हैं वो भी पर, प्रेम उनका अमर। खुले मे वो बसते हैं, छप्पर में रहते हैं, कष्ट सदा सहते हैं, किसको है ये खबर। सुलभ चिकित्सा मिले, समुचित शिक्षा मिले सुविधा सभी जो मिले, गाँव भी लगे शहर। ©Madhusudan Shrivastava गाँव - जलहरण घनाक्षरी छंद एक प्रयास #village