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Parul Sharma

.... ..... जय माँ ब्रह्मचारिणी....... माँ ब्रह्मचारिणी केलिए मेरी भक्तिमय पंक्तियाँ......... श्वेत वस्त्रधारिणी, अष्टदल माला, कमंडल पाणिनि।

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.... ..... जय माँ ब्रह्मचारिणी.......
माँ ब्रह्मचारिणी केलिए मेरी भक्तिमय पंक्तियाँ.........

श्वेत वस्त्रधारिणी, अष्टदल माला, कमंडल पाणिनि।
चर अचर विद्याऔ व शास्त्रों की ज्ञाता, तू जगत उद्धारिणी।
प्रवत्ति अनुपम, अतिसौम्य, भव्य, सादा  शीघ्र फलदायिनी।
ब्रह्मा के समान वेदों की ज्ञाता,दुर्गा की द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी।
पारुल शर्म3 .... ..... जय माँ ब्रह्मचारिणी.......
माँ ब्रह्मचारिणी केलिए मेरी भक्तिमय पंक्तियाँ.........

श्वेत वस्त्रधारिणी, अष्टदल माला, कमंडल पाणिनि।

Parul Sharma

.... ..... जय माँ ब्रह्मचारिणी....... माँ ब्रह्मचारिणी केलिए मेरी भक्तिमय पंक्तियाँ......... श्वेत वस्त्रधारिणी, अष्टदल माला, कमंडल पाणिनि।

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.... ..... जय माँ ब्रह्मचारिणी.......
माँ ब्रह्मचारिणी केलिए मेरी भक्तिमय पंक्तियाँ.........

श्वेत वस्त्रधारिणी, अष्टदल माला, कमंडल पाणिनि।
चर अचर विद्याऔ व शास्त्रों की ज्ञाता, तू जगत उद्धारिणी।
प्रवत्ति अनुपम, अतिसौम्य, भव्य, सादा  शीघ्र फलदायिनी।
ब्रह्मा के समान वेदों की ज्ञाता,दुर्गा की द्वितीय स्वरूप ब्रह्मचारिणी।
पारुल शर्म3 .... ..... जय माँ ब्रह्मचारिणी.......
माँ ब्रह्मचारिणी केलिए मेरी भक्तिमय पंक्तियाँ.........

श्वेत वस्त्रधारिणी, अष्टदल माला, कमंडल पाणिनि।

Divyanshu Pathak

🌞☕पंछी☕☕🍹पाठक🤓😃😀😄व्याकरण🍧🍑💞शिक्षा💕🙏 #भारतीय 🙏🌷🌹🌸हरेकृष्ण🌺🏵️🌻🌻संस्कार🐦🍇🍉🍑🍍🔯🕉️🔯 "पूर्वपाणिनि 15 व्याकरण आचार्य" 🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯 8.काशकृ

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"व्याकरण"
क्रमशः 03
श्रीशास्त्वाअवतु माअपोह, दत्तात् ते मेअपि शर्म सः !
स्वामी ते मेअपि स हरि:,पातु वाम अपि नौ विभु: !!
सुखं वां नौ ददात्वीस:,पतिर वाम अपि नौ हरि: !
सोअव्याद वो न: शिवं वो नो,दद्यात सेव्योअत्र वः स नः !!

श्री हरि विष्णु इस संसार में मेरी और तेरी रक्षा करे !
वह मुझे और तुझे सुख दे !
वह विष्णु तेरा और मेरा भी स्वामी है !
वह विभु तुम दोनों और हम दोनों की रक्षा करे !
वह ईश्वर तुम दोनों और हम दोनों को सुख दे !
वह हरि तुम दोनों और हम दोनों का स्वामी है
वह तुम्हारी और हमारी रक्षा करे !
वह तुम्हें और हमें सुख दे !
वह इस संसार में तुम सभी का और हम सभी का सेव्य है ! 🌞☕#पंछी☕☕🍹#पाठक🤓😃😀😄#व्याकरण🍧🍑💞#शिक्षा💕🙏 #भारतीय 🙏🌷🌹🌸#हरेकृष्ण🌺🏵️🌻🌻#संस्कार🐦🍇🍉🍑🍍🔯🕉️🔯
"पूर्वपाणिनि 15 व्याकरण आचार्य"
🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯🕉️🔯
8.काशकृ

Shrikant Agrahari

माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप #yqbaba #yqdidi #yqmotivation #hkkhindipoetry #yqinspiration #श्रीsnsa

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यदि महेश्वर सूत्र न होता,,
यदि महर्षि पाणिनि न होते ,,
तो व्याकरण का मूल न होता।
शब्दों का कोई समूह न होता।।
लिपि के माध्यम से भावनाओ को 
व्यक्त करने की हमारी,सामर्थ्यता न होती।
अक्षर का मेल न होता,भाषाओ का खेल न होता।

    ©श्रीकान्त अग्रहरि
 Caption me bhi padhe माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप

Shrikant Agrahari

माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine #hkkhindipoetry #श्रीsnsa

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हिंदी काव्य कोश संगठन का,
सहृदय कोटि कोटि आभार🙏🙏 माहेश्वर सूत्र (संस्कृत: शिवसूत्राणि या महेश्वर सूत्राणि) को संस्कृत व्याकरण का आधार माना जाता है। पाणिनि ने संस्कृत भाषा के तत्कालीन स्वरूप

अशेष_शून्य

जैसे महर्षि पाणिनी के "माहेश्वर सूत्रों" की उत्पत्ति भगवान् नटराज (शिव ) के "डमरू के नाद" से हुई है; ठीक वैसे ही मेरे जीवन में "संगीत" #yqdidi #yqhindiquotes #yqaestheticthoughts #अशेष_शून्य #प्रेमिकाओं_का_संगीत

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जैसे 
महर्षि पाणिनी के
"माहेश्वर सूत्रों" की उत्पत्ति
भगवान् नटराज (शिव )
के "डमरू के नाद" से हुई है;
ठीक
वैसे ही 
मेरे जीवन में "संगीत" 
की "उत्पत्ति" 
तुम्हारे कंठ से मेरे नाम
के प्रथम वर्ण उच्चारित 
ध्वनि झंकार से हुई है।।

एक प्रेयसी के लिए
उसके प्रेमी की धड़कनों
से बंधी हुई इक बावरी 
सी धुन पर 
बावरी हो कर थिरकना ही
"मोक्ष" है।।
जिसका" संगीत तुम खुद हो"
______________✍️तुम्हारी जोगणिया
       ©Anjali Rai जैसे 
महर्षि पाणिनी के
"माहेश्वर सूत्रों" की उत्पत्ति
भगवान् नटराज (शिव )
के "डमरू के नाद" से हुई है;
ठीक
वैसे ही 
मेरे जीवन में "संगीत"

Nasamajh

चाणक्य की जननी...... आर्यभट्ट का गणित हूँ मैं महावीर की तपस्या बुद्ध का ज्ञान हूँ मैं मैं कोई और नहीं बिहार हूँ मैं ।। #yqhindi #yqthoughts #yqaestheticthoughts #yqbihar #yqbihariwriter #yqbiharday2021

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चाणक्य की जननी......
आर्यभट्ट का गणित हूँ मैं 
महावीर की तपस्या
बुद्ध का ज्ञान हूँ मैं 

मैं कोई और नहीं 
बिहार हूँ मैं ।।

Read in captions...✍️✍️ चाणक्य की जननी......
आर्यभट्ट का गणित हूँ मैं 
महावीर की तपस्या
बुद्ध का ज्ञान हूँ मैं 

मैं कोई और नहीं 
बिहार हूँ मैं ।।

Divyanshu Pathak

🍹🍬🎂🎂🍟🌺🍫😜👍🏵😛🍔😝🏵🏵🙄🤗🙃😨😮😦😧😣😣🌞🤓🙉🙈🙀😸😻🙏👉👇 पाणिनी से पूर्व प्राचीन ग्रंथों में 15 आचार्यों का जिक्र आता है जिनमें से शिव या महेश्वर बृहस्पति इंद्र

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व्याकरण
व्याकरण की उत्पत्ति वेदों के साथ ही मानी जाती है !
प्रचलन में पाणिनि ऋषि की व्याकरण को मान्यता प्राप्त है !
पाणिनी से पूर्व अनेक व्याकरण आचार्य हो चुके थे!
इनके ग्रंथों का आश्रय लेकर पाणिनि ने
अष्टाध्याई की रचना की है !
इसीलिए व्याकरण को तीन भागों में विभाजित किया गया है !
1.--पूर्व पाणिनी व्याकरण
2.--पाणिनी व्याकरण
3.--उत्तर पाणिनि व्याकरण
प्राचीन ग्रंथों में पाणिनि से पहले
लगभग 85 व्याकरण आचार्यों के नाम
हमें प्राप्त हुए हैं
उनमें से 10 का जिक्र आचार्य पाणिनि ने
अपनी अष्टाध्याई में किया है !
आपिशलि,गार्ग्य,गालव,चक्रवर्मन,भारद्वाज,
शाकटायन, शाकल्य,सनक, स्फोटायन, आदि । 🍹🍬🎂🎂🍟🌺🍫😜👍🏵😛🍔😝🏵🏵🙄🤗🙃😨😮😦😧😣😣🌞🤓🙉🙈🙀😸😻🙏👉👇
पाणिनी से पूर्व प्राचीन ग्रंथों में 15 आचार्यों का जिक्र आता है जिनमें से 
शिव या महेश्वर
बृहस्पति
इंद्र

SONALI SEN

माँ कंठ को सवार कर,हंस पे विराजिये , प्रसार ज्ञान उर में दे, हाँथ सर पे धारिये।। स्वेत वस्त्र धारिणी,कर मे वीणा पाणिनि , जयतु जय माँ शारदे,

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माँ कंठ को सवार कर,हंस पे विराजिये ,
प्रसार ज्ञान उर में दे, हाँथ सर पे धारिये।।

स्वेत वस्त्र धारिणी,कर मे वीणा पाणिनि ,
जयतु जय माँ शारदे,भय तिमिर का छाट दे।
कर दे माँ  प्रवीण कंठ,मन से हटा द्वेष द्वंद,
माँ स्वरों का सार दे, वीणा की झंकार दे.,
बसंत की बहार दे,पतझड़ को छाटिये।
प्रसार ज्ञान उर में दे, हाँथ सर पे धारिये।।

जीवन में राग रंग का, दीप माँ उजियार दे,
सप्त स्वर की दायनी, वीणा को सवार दे ।
शरण चरण  तेरे रहूं, दिप्ती को निखार दे,
भगवती हे शारदे, शब्दों  को उभार दे.,
नज़रे करम किजीये, निगाह हम पे डालिये ।
प्रसार ज्ञान उर में दे, हाँथ सर पे धारिये।।

मैं भी जग का हित करू, ऐसा वर माँ  दीजिए ,
मन में प्रेम भाव हो, विकार दूर किजीए ।
देश हित मे जी सकूँ   देश हित में  मर सकूँ,
हिय मे ऐसा देश प्रेम,भाव माँ भर दीजिए .,
माँ मांगती हूँ वर यही, हिय में आ विराजिये।
प्रसार ज्ञान उर में दे, हाँथ सर पे धारिये।।

माँ कंठ को सवार कर,हंस पे विराजिये ,
प्रसार ज्ञान उर में दे, हाँथ सर पे धारिये।।
                     ....सोनाली सेन
                     (सागर मध्यप्रदेश )

©SONALI SEN माँ कंठ को सवार कर,हंस पे विराजिये ,
प्रसार ज्ञान उर में दे, हाँथ सर पे धारिये।।

स्वेत वस्त्र धारिणी,कर मे वीणा पाणिनि ,
जयतु जय माँ शारदे,

Priya Kumari Niharika

शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है, मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है दाव सियासी खेल में #story #Quote #me #Flower #poem #कविता #Twowords

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शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं
वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है,
 मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है
दाव सियासी खेल में हम तो, तैर के गंगा पार है।
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
नागार्जुन की रचना हम, रेणु की हुंकार हैं।
 दिनकर के राष्ट्रप्रेम हम, विद्यापति के श्रृंगार हैं
अष्टवक्र और अश्वघोष के ज्ञान का भंडार है
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
नालंदा के गौरव हैं, विक्रमशिला के आधार हैं
पाणिनि का व्याकरण है, बुद्ध के हम संस्कार हैं
मधुबनी की चित्रकला, अविचल पर्वत मंधार हैं
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं 
गणित और साहित्य में बबुआ, सबसे हम होशियार हैं
रिक्शा खींच के दिए कलेक्टर, अनपढ़ न गवार हैं
धोनी का क्रिकेट मैच है, रतन टाटा का व्यापार है
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं 
लिट्टी चोखा के क्या कहने, बड़ा लजीज अचार हैं
ठेकुआ, पूड़ी लौंगलता और खाजे का बाजार है
सभी धर्म को शरण दिया है,सब आपन परिवार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार है
 बिंदुसार की सल्तनत हम, गांधी के गुहार हैं
 चंद्रगुप्त के महाशोर्य हम, अशोक के अधिकार हैं
महावीर का ज्ञान धर्म, और मिथिला के हम द्वार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
 सर्वप्रथम गणतंत्र बने हम, बेनीपुरी की दहाड़ हैं
जुर्म किये जो इस माटी में, दिया उसे तिहाड़ है
बजरंगी के भक्त है बबुआ, कुंवर कि हम तलवार हैं 
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
 बिस्मिल्लाह के सुर हैं हम, मगध के हम आकार हैं 
आर्यभट्ट के अविष्कार हम, राजेंद्र के विचार हैं
छठ, दशहरा, रामनवमी के हर्ष के हम त्यौहार हैं
अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं
गया, राजगीर, पावापुरी, शेरशाह के दरबार हैं
मोक्ष ज्ञान की गया है नगरी, जनक के हम दुलार हैं
शत्रु का बुखार कहो या सिंह के हम प्रहार हैं
 अद्भुत है अंदाज हमारा, हम रंगरेज बिहार हैं

©Priya Kumari   Niharika शीर्षक : हम रंगरेज बिहार हैं

वैदेही की जन्मभूमि, गुरु गोविंद जी का प्यार है,
 मगही, मैथिली, भोजपुरी और उर्दू का संसार है
दाव सियासी खेल में
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