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Stories related to मेरी मोहब्बत को किसकी लगी बद्दुआ

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Writer Sagar Shahari SP

मोहब्ब्त को किसकी लगी बद्दुआ #Music

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Urvashi Kapoor

#किसकी लगी बद्दुआ..... #शायरी

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Writer Sagar Shahari SP

मोहब्ब्त को किसकी लगी बददुआ #Shayari

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Babu Qureshi

#किसकी लगी नज़र #शायरी

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सभी तो टूट गये पत्ते पेड़ से
तूफान छुपे खड़े थे कितनी देर से

रिश्तों का बोझ था तो वो भी उतर गया
चलो तुम भी गैर से और हम भी गैर से

कौन सी मजबूरी ने तुम्हें मेरा कर दिया था
क्यों आज़ाद हो गये मेरे हक और मेहर से

कभी ये गांव मोहब्बत के हुआ करते थे
फिर क्यों नज़र आने लगे ये शहर से

हमें इस पार और तुम्हें उस पार कर दिया
मैं कहां हूं मतलब नहीं तुम तो पहुंच गये खैर से

बात ज़माने में ले आये हो फैसला कौन करेगा
कौन कितना टूटा एक दूसरे के अंधेर से

पहुंच तो मैं भी गया था पता नहीं मिला

पेड़ उखाड़ लिया था किसी ने मुंडेर से
शायर - बाबू कुरैशी #किसकी लगी नज़र

Poet Zabir

#Couple मेरी मोहब्बत को नज़र अंदाज़ करने लगी हो

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Gautam Inder

पता नहीं बद्दुआ किसकी लगी... for more posts follow..👇 https://instagram.com/indergautam?igshid=oualzrigsjyo

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पता नहीं बद्दुआ किसकी लगी इश्क़ को,
की इश्क़ को इश्क़ नहीं मिल रहा।

सोचा डूबेंगे इसमें तो कहीं पे मिल जाएंगे,
मग़र पता नहीं ये क्यों किनारा नहीं मिल रहा।

बहते जा रहे हैं, पता नहीं कहाँ जा रहे हैं, 
सुकून छोड़ो बेचैनी में भी पता नहीं क्यों खलल पड़ रहा।

कब्र खुद चुकी कबकी वो दूर तलक उस दरिया में,
और मौत को पता नहीं हमारा पता क्यों नहीं मिल रहा।

- गौतम पता नहीं बद्दुआ किसकी लगी...
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Sangeeta Raturi

" इस शहर को यारों नजर लगी है किसकी " #कविता

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इस शहर को यारों नजर लगी है किसकी
चारों तरफ ख़ामोशी और दबी सी है सिसकी
दूर तक ना कोई नजर आता है
मन को डरता है सन्नाटा। 
शोर जिंदगी का थमा हुआ सा
पहिया गाड़ियों का रुका हुआ है 
एक वायरस से दुनिया डरी हुई 
बंद मकानों में दुबकी हुई। 
सुनसान गलियां बाजार वीरान हैं
हर तरफ खौफ है आफत में जान है 
पर इस सब में एक तस्वीर जो  विचलित करती
पत्थर हो गए दिल को भी द्रवित करती है। 
वह है उस मजदूर  वर्ग की 
जो मजबूर है छोड़ने को अपना शहर
जिसकी इमारतें ख़ड़ी करने में बहा है उसका पसीना 
जिसके उद्योग को चलाने आग में तपा है उसका सीना। 
आज भी उस शहर में उस के सर पर छत  नहीं 
जिन्दा रहने के लिए भोजन नहीं। 
आज मदद का हर द्वार  बंद हो गया 
और अपना था जो कभी शहर वो अजनबी हो गया है। 
जीवन के बोझ की गठरी सर पर उठाये 
नंगे पैरो पैदल ही चल पड़ा है जीवन बचाने
बेबस लाचार चेहरे पर  थकान और दिल में दर्द लिए
चला है अपनी मंजिल की तरफ 
चला है फिर से उस गांव की ओर
 जिसको रोजी रोटी के लिए  थे पीछे छोड़ आये।। " इस शहर को यारों नजर लगी है किसकी "

sidpoetryclub

बद्दुआ लगी h मुझे गुलाबो की

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लगी है बददुआ
गुलाबों की,
जिसको तोड़ा था तेरे लिए..! बद्दुआ लगी h मुझे गुलाबो की

sanjay kumar

किसकी नजर लगी मेरे,,,,,,,,,,,,पर

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मेरे तक़दीर की सारी लकीरे मिटा दी तुमने
बस एक पल में ही मुझे भुला दी तुमने किसकी नजर लगी मेरे,,,,,,,,,,,,पर

DEVENDRA KUMAR

# मेरी मोहब्बत को #कविता

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