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mani bhandari
पंच_भाषी_लेखिका_तरुणा_शर्मा_तरु
हमारी वास्तविक आवाज स्वलिखित विचारानाम् गृहम् यदि अङ्कुरः तिष्ठति यदि अङ्कुरः तिष्ठति तर्हि पुष्पाणि प्रफुल्लितानि भविष्यन्ति, जीवनं तिष #Life #Trending #indianwriter #femalerealvoice #कवितावाचक #tarukikalam25 #संस्कृतविचार
read moreSONU SUTHAR
पुष्प पौधों पर हो तो खिलखिलाते है। अलग होकर मुरझाते है। गुँथी माला से गले की शोभा बढ़ाते है। टूट जाए तो बिखर जाते है। ©SONU SUTHAR पुष्प
पुष्प #कविता
read morePushpvritiya
हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में..... सोचता है कि वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह ही मीलो दूर से कहीं.... कि एकांत उसका भी मुझसे ही बातें कर रहा होगा...... ढूंढती होगी नज़र उसकी मुझे हर शय में.... करता होगा महसूस मुझे भी वो टूटकर मेरी तरह ही..... और बिखरकर मुझमें समेटता होगा संपूर्ण तक मुझे........ कि अंश अंश तक मेरा समाहित कर रहा होगा निज में...... थक रहा होगा...संभल रहा होगा... कि पीकर प्रेम को वो चल रहा होगा अपने पथ...मुझे लेकर.... मेरी तरह हीं... कि हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में....... @पुष्पवृतियाँ . . ©Pushpvritiya #मेरीतरहहीं हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में..... सोचता है कि वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह मीलो दूर से कहीं.... कि एकांत
#मेरीतरहहीं हर रोज़ इक जागता स्वप्न स्वांस लेता है हृदय में..... सोचता है कि वो सोचता होगा मुझे मेरी तरह मीलो दूर से कहीं.... कि एकांत
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
गर्मी :- कुण्डलिया नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस युग का सब आज , इसे दानव ही जाने ।। फिर भी अर्पण पुष्प , करें सबं उनकी फोटो । जिनके घर में ढेर , लगे है देखो नोटों ।। गर्मी दिन-दिन बढ़ रही , रहे सभी अब झेल । जीव-जन्तु बेहाल , प्रकृति रही है खेल ।। प्रकृति रही है खेल , सभी से अब के बी सी । कूलर पंखा फेल , लगाओ घर-घर ऐ सी ।। कितने दिन हो पार , नही बातों में नर्मी । किया दुष्ट व्यवहार , बढ़ेगी निशिदिन गर्मी ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR गर्मी :- कुण्डलिया नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस
गर्मी :- कुण्डलिया नोटो की गर्मी दिखी , इंसानों में आज । पतन हो गया प्रेम का , निष्ठुर हुआ समाज ।। निष्ठुर हुआ समाज , नही मानव पहचाने । इस #कविता
read moreRimpi chaube
White गहराई से चाहकर किसी को, छोड़ देना कैसा होता है? जीवन की बगिया से टूटा, वो पुष्प के जैसा होता है।। ख्वाब बुनकर स्वपन सजाकर, सो देना कैसा होता है? बिना लक्ष्य के अर्थहीन–सा, जीवन के जैसा होता है।। किसी को पाकर अपना बनाकर, खो देना कैसा होता है? मुट्ठी मे स्वपन–सी सिमटी हुई, वो रेत के जैसा होता है।। ©Rimpi chaube #खोदेनाकैसाहोताहै गहराई से चाहकर किसी को, छोड़ देना कैसा होता है? जीवन की बगिया से टूटा, वो पुष्प के जैसा होता है।। ख्वाब बुनकर स्वपन सजाकर,
#खोदेनाकैसाहोताहै गहराई से चाहकर किसी को, छोड़ देना कैसा होता है? जीवन की बगिया से टूटा, वो पुष्प के जैसा होता है।। ख्वाब बुनकर स्वपन सजाकर, #Poetry
read moreshamawritesBebaak_शमीम अख्तर
तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१*मिलन*हर्ष *जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के सन्नाटे, मेरी हयात में आजा महरबा की तरह/२ *घोर अन्धकार *शाश्वत मेरे फ़सानो के किस्से बहुत रसीले है,के लोग पूछते रहते है,लापता की तरह//३ ये*वहश्तो के तकाजे यहीं पे रहने दो,क्यूं पूछते हो मिरा हाल राजदां की तरह//४ कई दफा तेरे*हुजरे से होके गुजरें है,तेरे दीदार में *खांबिदा की तरह//५ *इबादतगाह *निद्रालु दशा तुम्हारे साथ तो सेहरा में भी मेरे हमदम,ये खिंजा भी मुझे लगती है *गुलसिता की तरह/६ *पुष्पाच्छादित चमन तेरी मसर्रते*आराइयां कहाँ"अख्तर"हो*मयस्सरे विसाल*नौख़ेज़ दास्ता की तरह//७ *संवारने वाला *मिलन*उपलब्ध *नया उत्पन्न/नया नया #shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #Nojoto तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स
तेरा*विसाल है मुझको *मसर्रतो की तरह,बिछड़के मर ही न जाऊँ,मैं*जांसिता की तरह//१ *मिलन*हर्ष*जानलेवा मिटा न डाले कहीं *जुल्मत्तों के स #shamawritesBebaak
read moreDevesh Dixit
कलम (दोहे) कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम। पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।। दुर्जन इससे काँपते, होती सम तलवार। एक बार की चोट में, घायल कई हजार।। उत्तम लेखन भी करे, सबको होती आस। यही कलम की जिंदगी, है सबकी यह खास।। बिना कलम के जिंदगी, है बिलकुल वीरान। इससे ही रचना बने, और करे ऐलान।। शब्दों से मन मोहती, यह इसकी पहचान। अकसर देती है खुशी, करती भी हैरान।। यही कलम औजार भी, और पुष्प की माल। कहती है सद्भावना, करती बड़ा कमाल।। .......................................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #कलम #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कलम (दोहे) कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम। पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।। दुर्जन इ
#कलम #दोहे #nojotohindi #nojotohindipoetry कलम (दोहे) कलम चले जिस राह पर, लेख पत्र है नाम। पोलें सब की खोलती, अद्भुत करती काम।। दुर्जन इ #Poetry #sandiprohila
read moreSangeeta Kalbhor
White श्रीराम , श्रीराम कहने से.. चले ना कलम श्रीराम पर तो कलम तोड़ देनी चाहिए मुँह में ना हो नाम श्रीराम तो मुँह मोड़ देना चाहिए आँधी आये आये तुफान या कोई बवंड़र क्यूँ ना आये श्रीराम जी का नाम जपने से सारे संकट दूर भाग जाये मर्यादाओं में जीना हो तो शिश झुकाओ श्रीराम के आगे भाई भाई में जहाँ प्रेम है दुश्मन दुम दबाकर भागे अपनेपन के जहाँ खिलते है पुष्प श्रीराम ऐसी श्रद्धा है जिसने भी पुजा की श्रीराम की मिटी उसकी द्विधा है नाम जपो श्रीरामजी का अनंत पुण्य मिल जायेंगे श्रीराम ,श्रीराम कहने से हिंदू , हिंदू से मिल पायेंगे..... मी माझी..... ©Sangeeta Kalbhor #ramnavmi श्रीराम , श्रीराम कहने से.. चले ना कलम श्रीराम पर तो कलम तोड़ देनी चाहिए मुँह में ना हो नाम श्रीराम तो मुँह मोड़ देना चाहिए आँधी आ
Expressive ladki