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DR. LAVKESH GANDHI
पुष्प दूर रहना इंसान तेरे पास आने या तेरे छूने से डर लगता है #पुष्प# #पुष्पकीव्यथा # #yqflower #yqflowerlove #
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read moreDR. LAVKESH GANDHI
न कोई तोड़ ले मुझे इसका ख्याल रखना मुझे खुल कर सास लेने दो इसका ख्याल रखना मुझे भरपूर खुशियाँ लुटाने दो इसका ख्याल रखना मुझे जरा लोगों को हंसाने दो इसका ख्याल रखना #पुष्प #पुष्पकीअभिलाषा # #yqpoetry #yqthoughts
#पुष्प #पुष्पकीअभिलाषा # #yqpoetry #yqthoughts
read moreDR. LAVKESH GANDHI
फूल यह पुष्प सिर्फ पुष्प ही नहीं इसमें हमारा दिल बसता है कोई नाहक इसे तोड़ लेना नहीं #पुष्प # #पुष्पकीव्यथा # #yqflowerlove #yqflowering
पुष्प # पुष्पकीव्यथा # yqflowerlove yqflowering
read moreAnamika Nautiyal
विह्वल कर पुष्प के हृदय को झंकृत करता है भावों को भौंरा ऋतुराज का संदेश लेकर पुष्प से मिलन की आस लेकर आता है भौंरा पुष्प और भ्रमर दोनों हैं एक दूसरे के पूरक नव जन्म ,नवचेतना,नव अंकुरण लेकर आता है भौंरा बाट जोहे अनवरत प्रतीक्षा में कली रूप-माधुर्य उसका लेकर आता है भौंरा इठला रहा पुष्प अपनी शोभा पर मिलन गीत गुनगुनाते हुए आता है भौंरा। #pc_byअनाम #पुष्पऔरभंवरा #भौंरा #ऋतुराज_बसंत #पुष्प #morningthoughts #rose #bestyqhindiquotes
Prabhu Dayal Hans
पुष्प की अभिलाषा | माखनलाल चतुर्वेदी | हिंदी की दुनिया #पुष्पकीअभिलाषा #माखनलालचतुर्वेदी #हिंदीकीदुनिया #Poetry
read morePushpendr Kumar
तेरी जुल्फो के साय से कौन निकलना चाहिगा तेरी आवोस में गिर कर समलना कोन चाहिगा लकीरो मे मेरे हाथो की तेरा नाम लिखा है भला किस्मत की लिखी को कोन बदलना चाहिगा दिल कहता है पुष्पेन्दृ कुमार
पुष्पेन्दृ कुमार #कविता
read moreपंकज कुम्हार
चले हंस की चाल तू, तू रमणी-तू नार, काले-काले केशों से, महके पुष्पसार। चोरे चित्त की चांदनी, ओढ़ के सर प्रवार, फूल कली से खिल रहा, ज्यों बहे पवन की धार।। महके पुष्पसार
महके पुष्पसार
read moreकरन सिंह परिहार
छलक रहा आँखों से पानी, कैसे इसे सुखाऊँ? गली गली पसरा सन्नाटा, कैसे लाज बचाऊँ? भूल गई थी जाल बिछाए। खड़े भेड़िए घात लगाए। शहजादों की खोटी नीयत। से अब अल्ला राम बचाए। तड़प रही मछली के दिल की, पीड़ा किसे सुनाऊँ? गली गली--------------(१) बंद हुए दरवाजे सारे। पुष्पकली अब किसे पुकारे। इज्ज़तदारों की बस्ती में। शर्मशार हो खड़ी निहारे। खूनी पंजों के चिन्हों को, कैसे किसे दिखाऊँ? गली गली-----------(२) खुसुर फुसुर कर रहे पड़ोसी। खड़ा सोंचता रामभरोसी। पीले हाथ कहाँ से होंगे। बिटिया को ही कहता दोषी। चुप ही रहना कहीं न कहना,बार बार समझाऊँ। गली गली-------------(३) ख़बर फैल गई बाजारों में। सुबह छपी फिर अखबारों में। लुटी हुई इज्ज़त फिर उछली। राजनीति के गलियारों में। आहें भरती निर्धनता की, पीर कहाँ तक गाऊँ। गली गली-------------(४) ©करन सिंह परिहार #पुष्पकली की आबरू
~आचार्य परम्~
कभी तो किसी के काम आयेगी . शहर वालों गमले फूल लगाया करो। "परम् भाग्यम्" प्रातःकालीन पुष्पांजली..... #DawnSun