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JD
दादा जानता है के अब किसी काम की नहीं है मगर साईकिल की फ्रेम से अभी तक उतारी नहीं है बच्चे की गद्दी ****** #शहरीकरण #CityEvening
K K Joshi
"इन्तजार " सर मुड़ाए पहाड़ों पर अकेले दरख्त सी वो खंखारती बुढ़िया--- जिसकी औलादें प्रवासी हो शहरों की बहुमंजिला इमारतों में टंग गई या लिपे पुते कच्चे मकान छोड़ पक्के फुटपाथों में बस गई ---- अब भी भोर हुए गोबर साफ करती धान कूटती छाछ और थिचे आलू के पानी संग मडुवे के आटे में गेहूं का पलोथन लगी ठग रोटी खाती अब भी इन्तजार कर रही है उस हवा के लौटने का जो उड़ा कर ले गई उसके पहाड़ के पेड़ों को, -- बेटों को!!! इन्तजार # प्रवास #शहरीकरण
Chandrabhanu Rituraj
वर्षों बाद लौटा हूं मैं इन गलियों में कल तक दौरा करता था मैं जिन गलियों में गलियां आज भी वही है लोग आज भी वही है बदला सिर्फ घरों का रंग है पर शायद बदली मेरी याद भी है वह करीम चाचा का मकान मुझको मिल नहीं रहा सत्तू हलवाई की मिठाईयां भी मुझको दिख नहीं रही है हां मुझको याद मेरा मकान तो है पर उसके सामने खिलौनों की वह दुकान नहीं है गली के मुहाने का वह मैदान अब दिख नहीं रहा वहां एक ऊंची लंबी सी इमारत खड़ी है अंकित, अन्नू, चंदन कोई दिखाई नहीं दे रहा 5 बजने वाला है पर अजान सुनाई नहीं दे रहा मंदिर में आरती की तैयारी चल रही है पर प्रसाद लेने कोई बच्चा खड़ा दिखाई नहीं दे रहा पहले तो पूरा मोहल्ला अपना घर जैसा लगता था पर आज मुझसे मेरा कोई हालचाल नहीं पूछ रहा पहले तो खाना मैं किसी भी घर में खा लेता था अभी प्यास लगी है पर कोई पानी नहीं दे रहा शहर बनने के चक्कर में गांव बदल सा गया है मैं तो लौटकर गांव आया था मुझे क्या पता था कि गांव शहर बन गया है #जिंदगी #गांव #शहर #बदलाव #तरक्की #शहरीकरण
अमोल पाटील
मी माझ्याच मुलखात नांदतो ऐश्वर्याचा राजा , इथे फुलवल्या ऐश्वर्याच्या बागा इथले रानोमाळ सगणगंन पसरत हिरवी द्वाही आणि "मी" पण म्हणत कितीक बुडाले इथल्याच जमिनीत ही #मराठी कविता #मराठी साहित्य #वाचन #मराठी संस्कृती #मराठी कवी #मी मराठी #कविता #पल्लवी
pandurang kokare
मराठी राजभाषा दिनाच्या हार्दिक शुभेच्छा... बोलतो मराठी ऐकतो मराठी...
rohit v. khade
#आठवता तू.., क्षणो क्षणी मन सांगते .. लक्ष्य देईना तर .. हळूच हृदयाला टोकते.. जगाच्या रीती जाणून बुजून आसवांना पापण्यात रोखले.. अन मग नकळत डोळे मिटून घेतले .. मिटता रुपड तुझ नजरी उमटलं.. काळ भोर डोळ तुझ हृदयावर कोरल... जणू मन माझं तुझ्या smile ने गारठल .. तुझ्या आवाजान त्यास गोठ्ण्यापासून तारल.. भुरभुर नाऱ्या केसांवर तुझ्या काही वेळ थांबलं.. घटक भराच आभासी भेटणं त्याच्या धडधडीला तोवर इंधन ते उरलं.. पुढच्या तुझ्या दिसण्या पर्यंत फक्त झुरण आता ठरल.. श्र्वासच्या अखेरी पर्यंत चित्र तुझ रंगल.. ©rohit v. khade #मराठी कविता#मराठी प्रेम #Dark