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vishnu prabhakar singh
यही अंजाम होना था प्रकृति सरेआम होना था हिदायत खैर में था लेकिन जुस्तजू इंतहा होना था देख लो बेअदबी का माजरा एक दिन तो तमाम होना था इनायत में बसर ही कर बैठे बस थोड़ा सा इतमीनान होना था यही अंजाम होना था आफ़ताब ही पैगाम होना था बहुत जल्द कृषि प्रधान देशों की संख्या बढ़ा दो भगवान! यही अंजाम होना था... #अंजाम #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with Your
Bharat Kumar
Manoj dev
Manoj dev
#OpenPoetry ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते .......काश कोई धर्म ना होता .......काश कोई मजहब ना होता ना अर्ध देते , ना स्नान होता ना मुर्दे बहाए जाते, ना विसर्जन होता जब भी प्यास लगती , नदिओं का पानी पीते पेड़ों की छाव होती , नदिओं का गर्जन होता ना भगवानों की लीला होती, ना अवतारों का नाटक होता ना देशों की सीमा होती , ना दिलों का फाटक होता .......काश कोई धर्म ना होता .......काश कोई मजहब ना होता ना दीवाली होती, और ना पठाखे बजते ना ईद की अलामत, ना बकरे शहीद होते .......काश कोई धर्म ना होता .......काश कोई मजहब ना होता
Naresh Chandra
कृपया अनुशीर्षक मे जरूर पढ़ें विभिन्न राष्ट्रो कि कानून गतांक से आगे.. 🙏धन्यवाद🙏 ©Naresh Chandra विभिन्न राष्ट्रों में कानून कोस्टा रिका अन्य दक्षिण अमेरिकी देशों की तरह, कोस्टा रिका में नशीले पदार्थों का कब्ज़ा आपको लंबे समय तक जेल में
Shamshad Shaique
आतंकवाद का सफ़ाया होगा खुशियों का साया होगा निर्दोषों की जानों का बदला अब उनको चुकाना होगा #NojotoQuote पूरी कविता यहां पढ़ें: ______________________________ आतंकवाद का सफ़ाया होगा खुशियों का साया होगा निर्दोषों की जानों का बदला अब उनको चुका
Priya Gour
हिंदी दिवस वर्तमान में दुनिया के सारे देश अपनी मातृभाषा का प्रयोग अपने सारे औपचारिक,राजनीतिक और दैनिक कार्य में करते हैं केवल हमारा देश जो बाकी सब देशों की भाषाएं अपनाने पर लगा हैं। अपनी मातृभाषा का प्रभाव हमसे कम होता जा रहा है हां माना वर्तमान की आवश्यकता है अंग्रेजी या दूसरी अन्य देशों की भाषाएं ताकि हम सभी देशों से वार्तालाप आसानी से कर सके उनकी भाषाएं समझ सके जिससे देश और अपनी तरक्की के लिए भी अन्य भाषाओं का ज्ञान होना अच्छी बात है, लेकिन हमें अपनी मातृभाषा को खोने नहीं देना चाहिए क्योंकि हमारे अलावा और कोई देश हिंदी का प्रयोग नहीं करते हैं हमे गर्व होना चाहिए अपनी मातृभाषा पर। हिंदी दिवस पर मेरी सबसे विनम्र अपील🙏है ज्यादा से ज्यादा हिंदी का प्रयोग करें। हाँ अन्य भाषाओं को सीखने और बोलने में कोई बुराई नहीं है,पर अपनी मातृभाषा को ना भूले। हम सभी यहां कहां से हैं किस जाति धर्म से हैं यह सब मायने नहीं रखता हम सब भारतीय हैं “हम सब एक हैं” हम इस भारतवर्ष का हिस्सा है और हमें अपनी मातृभाषा और मातृभूमि का हर हाल में सम्मान करना है किसी एक धर्म का समर्थन करने से अच्छा है आप इंसानियत धर्म का समर्थन कीजिए।🇮🇳 #HindiDiwas#मातृभाषा#हिंदी#मातृभूमि#भारतीय#Nojoto #Nojotohindi वर्तमान में दुनिया के सारे देश अपनी मातृभाषा का प्रयोग अपने सारे औपचारिक,राज
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ शुचिता, सौम्यता व सादगी की प्रतिमूर्ति, प्रखर वक्ता, पूर्व विदेश मंत्री, 'पद्म विभूषण' सुषमा स्वराज की पुण्यतिथि पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी प्रखर वक्ता पद्म विभूषण ने भारत की छवि को दुनिया में निखारा उन्होंने भारत और विश्व के अनेक देशों की मित्रता को आगे बढ़ाया जिस तरह से वह भारत का प्रस्ताव रखती थी उसे दुनिया मानने को तैयार हो जाती थी उनके इस श्वेता और सादगी को नमन है..। राष्ट्र सेवा में समर्पित रहा आपका संपूर्ण जीवन सभी के लिए प्रेरणा है। ✍️Vibhor vashishtha vs Meri Diary #Vs❤❤ शुचिता, सौम्यता व सादगी की प्रतिमूर्ति, प्रखर वक्ता, पूर्व विदेश मंत्री, 'पद्म विभूषण' सुषमा स्वराज की पुण्यतिथि पर उन्हें
Divyanshu Pathak
विद्या अंश नहीं रहा भारत में आज भूल गए स्मृतियां, छूट गई भारतीयता, आंख मीच ली नई पीढ़ी ने भी, यही भाग्य में है शायद इस देश के। विश्वभर में कितने कानून हैं व्यसन मुक्ति के, क्या कम हुआ
Mo. Asiph
इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का आइडिया आया कहां से? ये आइडिया एक महिला का ही था. क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में कोपेनहेगन में कामकाजी महिलाओं की एक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस के दौरान अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव दिया. उस वक़्त कॉन्फ़्रेंस में 17 देशों की 100 महिलाएं मौजूद थीं. उन सभी ने इस सुझाव का समर्थन किया. सबसे पहले साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्ज़रलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था. लेकिन तकनीकी तौर पर इस साल हम 109वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं. 1975 में महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता उस वक्त दी गई थी जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया. अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम थी 'सेलीब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फ़ॉर द फ्यूचर.' #international_womens_day इसे अंतरराष्ट्रीय बनाने का आइडिया आया कहां से? ये आइडिया एक महिला का ही था. क्लारा ज़ेटकिन ने 1910 में कोपेनहेगन