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Poetry with Avdhesh Kanojia
हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। तेरे करुण रुदन से नहीं है किसी का हृदय पिघलता। भस्म न करेगी किसी पापी को तेरी श्वासों की शीतलता।। अबला नहीं बन तू सबला अब अपनी शक्ति को पहचान। जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे रख दे उस पे तू कृपाण।। जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब कर डाल तू उसे कुरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी उनको भी तू पहचान। मीठी बातों में हैं जो फँसाते समझ तुझे नादान।। मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति का करना विस्तार। ले तलवार बनकर क्षत्राणी दे उनके सीने में उतार।। पापी को दण्डित करना भी है एक धर्म स्वरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। #justice #न्याय #पुकार #स्त्री #women #life #poetry हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु क
Poetry with Avdhesh Kanojia
हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। तेरे करुण रुदन से नहीं है किसी का हृदय पिघलता। भस्म न करेगी किसी पापी को तेरी श्वासों की शीतलता।। अबला नहीं बन तू सबला अब अपनी शक्ति को पहचान। जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे रख दे उस पे तू कृपाण।। जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब कर डाल तू उसे कुरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी उनको भी तू पहचान। मीठी बातों में हैं जो फँसाते समझ तुझे नादान।। मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति का करना विस्तार। ले तलवार बनकर क्षत्राणी दे उनके सीने में उतार।। पापी को दण्डित करना भी है एक धर्म स्वरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। वो सुबह कब आएगी, जब एक समाज के तौर पर हम औरतों को उनके जीने का बुनियादी हक़ दे सकेंगे। हैदराबाद की घटना ने दिल दहला दिया है। हृदय ख़ून के आँस
Poetry with Avdhesh Kanojia
भारत माता का पूजन भारत माता की पूजा में, हम श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं। इनके चरणों में नमन सदा, हम करते और कराते हैं।। इनकी महिमा प्रकाशित है, पूरे विश्व में फैली है। लेकिन जयचन्दों के कारण, पराधीनता झेली है।। ऐसे कुकर्मी जीवन में, गद्दार कहाये जाते हैं। भारत माता की पूजा में,,,,,,, बार बार आक्रमण हुए, सम्पदा हमारी लूटी थी। संस्कृति को हमारी लक्ष्य किया, एकता हमारी टूटी थी।। उन विदेशी, विधर्मी हमलों के, अब किस्से सुनाए जाते हैं। भारत माता की पूजा में,,,,,,,,, समझो नहीं किस्से मात्र इन्हें, इनसे शिक्षा की जरूरत है। सम्मान देश को दिलाने का, हर पल ही अच्छा महूरत है।। अवधेश कहे जागो अब हम, सम्मान वही फिर लाते हैं। भारत माता की पूजा में,,,,,, #भारत #mother #india #bharat #माँ #love #poetry भारत माता का पूजन भारत माता की पूजा में, हम श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं। इनके चरणों में नमन सदा
Divyanshu Pathak
दिल इबादतगाह सा लगता है मुझको अब तेरा! है ख़लिश इस बात की ,ईमान काफ़िर है मेरा। फिर कोई अक़बर बने,दीन-ए-इलाही हो शुरू! तब तो रीजा हो सकेगा कहता देखो मन मेरा। ♥️ आज का शब्द है "ख़लिश" "KHalish" जिसका हिन्दी में अर्थ होता है खटक, चुभन, कलेश, झगड़ा, कसक, टीस एवं अंग्रेजी में अर्थ होता है unease, sus
पण्डित राहुल पाण्डेय
सभी बहन बेटियों से निवेदन ? करवाचौथ पतिव्रत धर्म का प्रतीक त्यौहार है, अतः मैंहदी अपनी सास, ननद, बेटी, जिठानी देवरानी, भौजाई, मां बहन, पड़ौसन आदि से लगवायें, "न कि चौराहों पर बैठे विधर्मी पुरुष से" (करवाचौथ कि बहुत बहुत अग्रिम बधाई) ©पण्डित राहुल पाण्डेय सभी बहन बेटियों से निवेदन ? करवाचौथ पतिव्रत धर्म का प्रतीक त्यौहार है, अतः मैंहदी अपनी सास, ननद, बेटी, जिठानी देवरानी, भौजाई, मां बहन, पड़ौसन
Dr Manish Kumar
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हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। तेरे करुण रुदन से नहीं है किसी का हृदय पिघलता। भस्म न करेगी किसी पापी को तेरी श्वासों की शीतलता।। अबला नहीं बन तू सबला अब अपनी शक्ति को पहचान। जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे रख दे उस पे तू कृपाण।। जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब कर डाल तू उसे कुरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी उनको भी तू पहचान। मीठी बातों में हैं जो फँसाते समझ तुझे नादान।। मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति का करना विस्तार। ले तलवार बनकर क्षत्राणी दे उनके सीने में उतार।। पापी को दण्डित करना भी है एक धर्म स्वरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। ✍️अवधेश कनौजिया #navratri हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप।
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#RIPPriyankaReddy हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। तेरे करुण रुदन से नहीं है किसी का हृदय पिघलता। भस्म न करेगी किसी पापी को तेरी श्वासों की शीतलता।। अबला नहीं बन तू सबला अब अपनी शक्ति को पहचान। जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे रख दे उस पे तू कृपाण।। जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब कर डाल तू उसे कुरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी उनको भी तू पहचान। मीठी बातों में हैं जो फँसाते समझ तुझे नादान।। मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति का करना विस्तार। ले तलवार बनकर क्षत्राणी दे उनके सीने में उतार।। पापी को दण्डित करना भी है एक धर्म स्वरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। ✍️अवधेश कनौजिया हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।।
Poetry with Avdhesh Kanojia
बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। तेरे करुण रुदन से नहीं है किसी का हृदय पिघलता। भस्म न करेगी किसी पापी को तेरी श्वासों की शीतलता।। अबला नहीं बन तू सबला अब अपनी शक्ति को पहचान। जो रखे हाथ तेरे सम्मान पे रख दे उस पे तू कृपाण।। जो रखे कुदृष्टि तुझ पर अब कर डाल तू उसे कुरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। जो घात लगाए बैठे हैं विधर्मी उनको भी तू पहचान। मीठी बातों में हैं जो फँसाते समझ तुझे नादान।। मंशा जिनकी है अशुद्ध संस्कृति का करना विस्तार। ले तलवार बनकर क्षत्राणी दे उनके सीने में उतार।। पापी को दण्डित करना भी है एक धर्म स्वरूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला बन धर काली का रूप।। ✍️अवधेश कनौजिया #जस्टिस_फ़ॉर_डॉक्टर_प्रियंका हे नारी न रो अबला बन - - - - - - - - - - - - - - - बहुत किया विलाप रुदन न भर अश्रु के कूप। हे नारी न रो अबला
Poetry with Avdhesh Kanojia
#Pehlealfaaz भारत माता का पूजन भारत माता की पूजा में, हम श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं। इनके चरणों में नमन सदा, हम करते और कराते हैं।। इनकी महिमा प्रकाशित है, पूरे विश्व में फैली है। लेकिन जयचन्दों के कारण, पराधीनता झेली है।। ऐसे कुकर्मी जीवन में, गद्दार कहाये जाते हैं। भारत माता की पूजा में,,,,,,, बार बार आक्रमण हुए, सम्पदा हमारी लूटी थी। संस्कृति को हमारी लक्ष्य किया, एकता हमारी टूटी थी।। उन विदेशी, विधर्मी हमलों के, अब किस्से सुनाए जाते हैं। भारत माता की पूजा में,,,,,,,,, समझो नहीं किस्से मात्र इन्हें, इनसे शिक्षा की जरूरत है। सम्मान देश को दिलाने का, हर पल ही अच्छा महूरत है।। अवधेश कहे जागो अब हम, सम्मान वही फिर लाते हैं। भारत माता की पूजा में,,,,,, ✍️अवधेश कनौजिया© भारत माता का पूजन भारत माता की पूजा में, हम श्रद्धा सुमन चढ़ाते हैं। इनके चरणों में नमन सदा, हम करते और कराते हैं।। इनकी महिमा प्रकाशित है,