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Nisha Bharti Jha
तू चाहत है तो मै मुहब्बत हूँ , तू धूप है तो मै छाँव हूँ , तू पानी है तो मै प्यास हूँ तू खुदा है तो मै इबादत हूँ , तू शाम है तो मै उस शाम की चाय हूँ , तू इत्र है तो मै खुशबू हूँ , तू बारिश की पहली बूँद है तो मै धूप में तपड़ती हुई ज़मी हूँ | Simple and pure love ❤ कोई मुझे यूँ मिला है जैसे बंजारे को घर ❤ #yqdidi #yqhindi #simpleandpure #love
Kamaal Husain
दरअसल तेरी बात हम भुला न सके लाखा चाहा मगर तुमको पा न सके प्यार से प्यार में चोट तुमने दिया हम हकीकत ये सबको बता न सके एक आशिक ने बारिश से की इल्तिजा इतना भी न बरस कि वो आ न सके वो है वादा कि जिसको निभाया गया फिर वो वादे ही क्या जो निभा न सके मुझको अफसोस है जां लूटा कि भी हम तेरे दिल में जगह भी बना न सके दरअस्ल तेरी बात #darasl #collab #yqbhaijan #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Bhaijan दरअसल तेरी बात हम भुला न सके ल
Kulbhushan Arora
सेक्टर् 17, Chandigarh एक लंबी कतार.... PC:- Google Buddy ☺️ Happy Mother's Day to all Moms ❤️🤗💐 And presenting a writer who is a beautiful story teller, amazing writer and an An
सुसि ग़ाफ़िल
कितना ख्याल रखती हो तुम मुझ जैसे बंजारे का ! मां जैसा ख्याल रखती हो तुम अपने लाडले से प्यारे का! कितना अनमोल रिश्ता बना है अलग से प्रेम न्यारे का ! तुम खुद के दर्द को भूल गई हो जैसे मौसम कोई फुहारे का! "सुशील" को कुछ समझ नहीं आता बस इंतजार करता रहता है तुम्हारे इशारे का! कितना ख्याल रखती हो तुम मुझ जैसे बंजारे का ! मां जैसा ख्याल रखती हो तुम अपने लाडले से प्यारे का!
An_se_Anshuman
Vandana
दूर कहीं पहाड़ी पर एक गांव में, बसता है मन मेरा, घनघोर पेड़ों की कतार में, सीढ़ी नुमा खेतों के संसार में टेढ़े मेढ़े रास्तों के प्यार में हर आंगन में झुके मीठे फलों के पेड़ों में, चूल्हे में पकते स्वादिष्ट भोजन में, भले लोगों के होंठों में, गूंजते गीतों में, खेतों में कामकाजी औरतें गुनगुनाती, 'उनके संगीत में, चरने जाती गाय के गले में, घंटी के स्वरों में, तारों से भरी सर्द रातों में, पूनम की चांद में नहायी प्रकृति में, हर मानुष के हृदय में चाह रहती है, फुर्सत मिले तो एक राह रहती है, चल पड़ेंगे बंजारे बनके "उन ख्वाबों को तितली बन के छू लेंगे,, पंख लिए उड जाय
Vaseem Akhthar
आओ मेरी नज़र से मेरा वतन देखो। सूरज और शुआओं की फबन देखो।। ये वतन है हम बंजारों का, दमकते चाँद सितारों का, तरानों की बहारों का, सुख़न के शादमानों का, गुलों का और गुलज़ारों का, जन्नत के हसीं नज़ारों का गांधी का और ग़फ़ूर का, अज़ीम ऐसे कई किरदारों का। आओ मेरी नज़र से मेरा वतन देखो। सूरज और शुआओं की फबन देखो।। यहां सुबह बुलबुल का चहचहाना, यहां रात जुगनुओं का टिमटिमाना, यहाँ नाचते मोर का थरथराना, यहाँ महकी हवाओं का लहलहाना, यहाँ फूलों पे भंवरों का सरसराना, यहाँ तोते से मैना का फुसफुसाना, यहाँ जंगल में कोयल का गुनगुनाना, यहाँ के नज़ारों से दिलों का जगमगाना। आओ मेरी नज़र से मेरा वतन देखो। सूरज और शुआओं की फबन देखो।। ग़रीब भी हैं, अमीर भी हैं, ख़ुदा के अज़ीज़ फ़कीर भी हैं, हिंदू भी हैं मुस्लिम भी हैं, सिख ईसाई, बुध जैन भी हैं कार भी हैं, बेकार भी हैं, इक दूजे के ग़म-ख़वार भी हैं लड़ते और झगड़ते भी हैं, गले लग के सब कुछ बिसरते भी हैं।। आओ मेरी नज़र से मेरा वतन देखो। सूरज और शुआओं की फबन देखो।। सूरज= India शुआएं= (किरणें)India के अलग अलग रहन सहन के लोग जो दुनिया भर में फैले हुए हैं। फबन= ख़ूबसूरती बंजारे= एक पहाड़ी जाती जो अपने माटी
Vaseem Akhthar
आओ मेरी नज़र से मेरा वतन देखो। सूरज और शुआओं की फबन देखो।। ये वतन है हम बंजारों का, दमकते चाँद सितारों का, तरानों की बहारों का, सुख़न के शादमानों का, गुलों का और गुलज़ारों का, जन्नत के हसीं नज़ारों का गांधी का और ग़फ़ूर का, अज़ीम ऐसे कई किरदारों का। आओ मेरी नज़र से मेरा वतन देखो। सूरज और शुआओं की फबन देखो।। यहां सुबह बुलबुल का चहचहाना, यहां रात जुगनुओं का टिमटिमाना, यहाँ नाचते मोर का थरथराना, यहाँ महकी हवाओं का लहलहाना, यहाँ फूलों पे भंवरों का सरसराना, यहाँ तोते से मैना का फुसफुसाना, यहाँ जंगल में कोयल का गुनगुनाना, यहाँ के नज़ारों से दिलों का जगमगाना। आओ मेरी नज़र से मेरा वतन देखो। सूरज और शुआओं की फबन देखो।। ग़रीब भी हैं, अमीर भी हैं, ख़ुदा के अज़ीज़ फ़कीर भी हैं, हिंदू भी हैं मुस्लिम भी हैं, सिख ईसाई, बुध जैन भी हैं कार भी हैं, बेकार भी हैं, इक दूजे के ग़म-ख़वार भी हैं लड़ते और झगड़ते भी हैं, गले लग के सब कुछ बिसरते भी हैं।। आओ मेरी नज़र से मेरा वतन देखो। सूरज और शुआओं की फबन देखो।। सूरज= India शुआएं= (किरणें)India के अलग अलग रहन सहन के लोग जो दुनिया भर में फैले हुए हैं। फबन= ख़ूबसूरती बंजारे= एक पहाड़ी जाती जो अपने माटी
Divyanshu Pathak
सुनो मैं ईश्वर को प्रेम लिखता हूँ क्योंकि वह भाव है देने का उसी तरह जीवन दिया है बिना कुछ लिए दिया है ना ! इसे स्वीकारते हो या नही हाँ तो कुछ भी छीना नही अब तुम्हें प्रेम से ही इसे विस्तार देना है ! कुछ को विशेष मानकर स्वयं जोड़ लेता है आशाएं अपने लिये कुछ उम्मीदें भी महत्वकांक्षाऐं लेकर पड़ता है बंधन में और दोष प्रेम पर रख स्वयं को निर्दोष साबित करता है ! 😊💕#good night💕😊 : प्रेम प्रदीप्ति हृदय में हो तो क्या भूख क्या प्यास ? जठराग्नि को बल ही नही मधुरता के आभास से तृप्त स्वयं की सुध रहती ही कब