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Asheesh Kumar Mishra
केवल Education लेना बेकार हो जाता है। जब तक आप उसे अपने जीवन में उपयोग करना नहीं सीख लेते है।। --ashee । ©Asheesh Kumar Mishra #एजुकेशन
abhishek
अकाल मृत्यु जो मरे काम करे चांडाल का काल उसका क्या करे जो भक्त है महाकाल का ©abhishek एजुकेशन
एजुकेशन #समाज
read more@Divya
कट्टरता,संप्रदायवाद,जब तक व्यक्ति में है, तब तक वह अशिक्षित ही कहा जायेगा। ©DivyA #diary एजुकेशन
Icharaj kanwar
कविता "शिक्षक ही भगवान" शिक्षक है ब्रह्मा हमारे, शिक्षक है विष्णु हमारे, इनका आदर रूपी सेवा करो। यही है ब्रह्मा विष्णु महेश हमारे।। अज्ञान रूपी अंधकार को दूर करते, ज्ञान रूपी प्रकाश को फैलाते, सभी बच्चों को शिक्षा देते। चाहे अमीर हो या गरीब।। सब दुनिया में अपने स्वार्थी, राजा हो या रंक, निस्वार्थी तो बस शिक्षक। सबको देते सीख।। बड़ों बड़ों से जो काम न हुआ, वह शिक्षक ने कर दिखाया, बच्चों में सही और गलत का निर्णय लेना। शिक्षक ने ही तो सिखाया।। दिन हो या रात, शिक्षक भूखा हो या प्यासा, शिक्षक का तो बस एक ही काम। शिक्षा के उजाले को फैलाया। शिक्षा के उजाले को फैलाया।। - इचू शेखावत ©Ichu shekhawat एजुकेशन #Books
Knowledge Fattah
जो किसान का नहीं हो सकता है वो भारत माँ से प्रेम भी नहीं करता है स्वाभाविक है किसान अन्नदाता है और राष्ट बिना अन्न के नहीं चल सकता है... (रविन्द्र नाथ टैगोर) ©A. R. Zaidi रबीन्द्रनाथ टैगोर
रबीन्द्रनाथ टैगोर
read moreAbhishek Singh
एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितने किरदार निभाता है लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है कभी अपना चेहरा नहीं दिखता बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता की आज जो हम बोल रहे है जो हम लिख रहे है वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर
#रबीन्द्रनाथ टैगोर
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एक लेखक ना जाने कितना कुछ लिख जाता है इतिहास के बारे मे एक कलाकार अपनी कला से ना जाने कितना कुछ दिखा जाता है लेखक से आज पूरी दुनिया का इतिहास जिन्दा है लेखक से आज बने हुए इतिहास का काल ज़िंदा है लेखक एक ऐसा गुमनाम चेहरा है जो हमेशा अपनी बात छिप के करता है कभी अपना चेहरा नहीं दिखता बस अपनी बात कह के उलटे पाव चल जाता है लोगो को एहसास भी नहीं हो पाता की आज जो हम बोल रहे है जो हम लिख रहे है वो एक लेखक की प्रतिक्रिया है जिसमे हर इंसान अनुकूल है #रबीन्द्रनाथ टैगोर
#रबीन्द्रनाथ टैगोर
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