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सरफराज
चांद को भी चॉंद का दरजा अता कर दो ऐ खुदा हम पर भी थोडी सी रहमत अता कर दो तू मुझको बे-सक जन्नत मत देना मेरी पनाह मे पर मेरी दादी को तो अपनी जन्नत ऐ फिरदौस अता कर दो आमीन ©ֆɦǟʏǟʀ kɨռɢ दादी
Dhaneshdwivediwriter
जब थक जाओ बाहरी दुनिया भर में समाधान ढूंढते-ढूंढ़ते, एक बार घर में देख लेना समाधानो की लाइब्रेरी मिल जायेगी।। #दादी
Monica Bora
दादी आज आप साथ नहीं पर आपकी हर सीख साथ में होती हैं आप की कहानियां कल भी प्रेरणा देती थी। आज भी प्रेरणा देती है यादों में होता है बसेरा आपका यह आखे आज भी नम हो जाती है आपकी हर बात खास होती थी किस को कैसे समझाना आप अच्छे से जानती थी दिल की गहराई से हम आपको याद करते हैं आपकी बताइए राह पर चलने की कोशिश करते हैं #दादी
Rakhi Raj
मैं ज़ब भी थोड़ी तेज़ आवाज में बोलती हुँ, तो माँजी (दादी )मुझ ये कह के डाट दिया करती है "छोरी मुझे न भाता तेज बोलना,ज्यादा उमस सही न है "|बचपन से ही उनसे मै यह ही सुनती आयी हुँ के लड़कियों को सहनशील रहना चाहिये,मैं तब इस बात का विरोध नहीं करती थी तो इसलिए तेज न बोलना मेरी आदत बन गयी | अपनी कीमती चीजों को संदूक में सहेजना मैंने माजी से ही सीखा है, सोचती हुँ उनकी तरह मैं भी कुछ चीज़े सात गांठ बांध के संदूक में छुपा दू और फिर चाभी को कहीं गुमा दू, ताकि उन गांठो को कभी कोइ न खोल पाए | ज़ब कुछ मीठा खाती है माजी तो रख लेती हैं मेरे लिए बचा के,मुझे मीठा बहुत पसंद है माजी यह जानतीं हैं | माजी के पल्लू में बँधा रहता है एक खजाना है, मै कहती हु "कहाँ जाओगी यह खजाना लेकर "तो वो अपना खजाना मेरे लिए खोलती है | #दादी
prashant farrukhabadi
क्या, मैने चौपाल पे पूछा की दादी मां नहीं दिख रही कन्हा गई है तो पता चला कि वो अपनी बचपन की सहेली के घर गई हैं फिर क्या मैंने पता पूछा और निकल पड़ा । जब मैं दादी मां की सहेली के घर पंहुचा । वो मिट्टी के दिए (दीपक) बना रहीं थी । वन्हा मैं चारपाई पे बैठ आ कही मिनटों चक की ओर देखता रहा । और वन्हा से मैं बहुत सारे दिए लेकर आया। आप सभी को दीपाली की हार्दिक शुभकामनाए ©prashant farrukhabadi दादी मां
बद्रीनाथ✍️
हर सुबह शाम जिससे लड़ता झगड़ता था , जिसे हर रोज सुला कर ही सोता था, आज वो बूढ़ी दादी, न जाने कहा मेरी आंखों से ओझल हो गई । मेरी दिल की असीम पीड़ा अगर वो जान जाती वो जहा भी होती, मेरे पास आ जाती । मेरी नजर बस उन्हें ही ढूंढ रही है मेरे दिल और मन में अजीब सी मंथन बढ़ रही है उन्हे देखे बिना मेरा ये ,मन शांत न होगा अगर न मिली वो ,शायद कल तक मेरा जान न होगा । ©बद्रीनाथ✍️ #दादीमाँ #दादी
Rishiraj sharma
पता नही क्यों उन्हें देखने को इच्छा हो गई ना वो बात करती थी ना मुझे जानती थी मैं उन्हें रोज देखा करता था ओर कुछ दिनों से वो दिखी नही। मेरी आखों में कोई खुशी नही थी बस एक गम सता रहा था वो बूढ़ी दादी कहा है। *वो हमारे काम का हो या ना हो,उसको कमी उसके ना होने से पता चलती है।* ©Rishiraj sharma बूढ़ी दादी