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Rupesh
हवाओ में सफर करने वालो जमी को भूल मत जाना मंजिल पाने के लिए हवाओ की ही नही जमी की भी जरूरत होती है ©Rupesh #जरूरत जमी की
Rajni Kant Dixit
White ये जमी जमी रह जाएगी वो आसमां सूरज भी यही.. पर हम सब छोड़ एक दिन तारों के बीच नजर आएंगे.. ©Rajni Kant Dixit #Moon #Sitapurpoetry #hindi_poetry #Life_Experiences #ये जमी जमी रह जाएगी वो आसमां सूरज भी यही..
ANIL KUMAR
भरी बहार में इक शाख़ पर खिला है गुलाब कि जैसे तू ने हथेली पे गाल रक्खा है ©ANIL KUMAR हथेली पे गाल
ANIL KUMAR
उसके होटों पे बिछड़ने की दुआ थी और मैं उसकी हर बात पे आमीन लिए बैठा था ©ANIL KUMAR उसके होठों पे
हिमांशु Kulshreshtha
White ज़रा ठहरो तो नज़र भर के देख लूँ तुम को ज़मीन पे चांद कहाँ हर रोज उतरता है ©हिमांशु Kulshreshtha ज़मी पे चांद..
SmileyChait
जमीं से लगा रखे हैं पैर अभी कहीं और आसमान की चाहत लिए बैठे है ख़्वाब सजा रखे हैं इन आंखो में कई और हम ना जाने कहा फुरसत से बैठे हैं ©SmileyChait #bicycleride दिल और जमी SHIVANSH UP WALA Vivek . Natrajan Kavi Nitin Nitish Prajwal Bhalerao
( prahlad Singh )( feeling writer)
White ll में पानी पे लिखूं या लिख दूं पत्थर पे में हाथो पे लिखूं या लिख दूं उसकी बातों पे वो अब मेरी हो चुकी है ख्वाबों में, हकीकत में जन्मा हूं लिखा उसको अपने ही माथे पे ll ( P.S ) ©( prahlad Singh )( feeling writer) अपने माथे पे#Couple
Mahesh Ram Tandan divyang kavi
हर कदम ,कदम पे तेरी आहट है। गुलाब की तरह मुसकुराहट है। आंखों में तेरी मोहबबत का नजराना। बस तेरे लिये ही चाहत है। ©Mahesh Ram Tandan divyang kavi कविता - कदम कदम पे
Shashi Bhushan Mishra
बन गई थी जान पे, मर गया मुस्कान पे, बोल कुछ पाया नहीं, दब गया एहसान पे, आ गया तेरी गली, तरस खा मेहमान पे, जुर्म कर भागा छली, कर इशारे नादान पे, आस्था-विश्वास बिन, करे शक भगवान पे, बेईमानों ने उठाई, ऊँगलियाँ ईमान पे, रात पर भारी पड़ा, दीप एक दालान पे, क्रोध में सुल्तान गुंजन, अडिग था फ़रमान पे, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमिलनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #मर गया मुस्कान पे#