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Parasram Arora
खून को पानी का पर्यायवाची मत मान. लेना अनुभन कितना भी कटु क्यों न हो वो.कभी कहानी नही बन सकताहै उस बसती मे सच बोलने का रिवाज नही है यहां कोई भी आदमी सच.को झूठ बना कर पेश कर सकता है ताउम्र अपना वक़्त दुसरो की भलाई मे खर्च करता रहा वो ऐसा आदमी कुछ पल का वक़्त भी अपने लिये निकाल नही सकता है ©Parasram Arora पर्यायवाची......
Baisa_Raj_Neha_Pandya
फौजी से रिश्ता आसान नहीं होता, मुस्कूराहट के पिछे कई गमों को छुपाना पड़ता है, फौजी से रूठ कर भी, खुद उसे मनाना पड़ता है, लिपटें देख तिरंगे में अपने सिंदूर को,फिर भी शहादत में आंसुओं को रोक गर्व से शीश झुकाना पड़ता है। सभी वीरांगनाओं को समर्पित, 🙏🏻जय हिन्द🙏🏻 -Neha_Pandya #वीरांगना
Preeti Karn
वीर हैं वो सपूत जो सीने पर गोलियों की बौछार सहते हैं। शत शत नमन उन वीरांगनाओं को (मां बहन और विधवाएं) जो ताउम्र उनकी कमी स्वीकार करती हैं। प्रीति। #वीरांगना#yqdidi
Jogendra Singh writer
आपके अनुसार Nojoto का पर्यायवाची क्या है Answer in comment section ©Jogendra Singh Rathore 6578 nojoto ka पर्यायवाची #Light
Author Sanjay Kaushik (YouTuber)
फूलो की खुश्बू और दिल की कलम से वो भी लिखना चाहता था पैगाम , लेकिन शहादत के घोड़े और मौत थी बेलगाम, बस जय हिंद ही लिख पाया वो सरहद का रखवाला बाकी खाली पड़ा था वो पत्र तमाम चलो ऐसे वीरो को दिल से करे सलाम । वादा किया था उसने , कि तेरे बाद पूरी उम्र वो एक वीरांगना की तरह बिताएगी, मिटा दी जो मेहंदी शहादत ने , तेरे नाम की मेहंदी ही जीवन भर लगाएगी , एक वीरांगना की मेहंदी है साहेब ऐसे कैसे मिट जाएगी । ऐसी हर वीरांगना को हर दिल करता है दिल से सलाम, जो एक शहीद के नाम पर बिता दे उम्र तमाम । -----संजय कौशिक " सत्येन " #मेहंदी वीरांगना की
Shreya Mishra
एक वीरांगना महारानी पद्मावती हारियाली से दूर मरुस्थल की चादरों में, खिली कमल सी वो तपती धूप की आंचलों में, चेहरे का वो तेज ऐसा मानो धरती पर उतरा हो एक चांद का टुकड़ा.. राजपूतानी शान में पली बढ़ी वह.. तपती धूप में शीतलता की वह चांदनी, रत्नसिंह से ब्याही गई वह तपती धूप की रागनी.. उसके तेज के अद्भुत श्रृंगार से जगमगाया किला चित्तौड़ का... मरुस्थल से दूर सल्तनत के सिंहासन में, बैठा है एक क्रूर... उसके सिंहासन तक भी उसका तेज हैं पहुंचा.. हवस की नजर लिए निकाल पड़ा वह क्रूर.. युद्ध भूमि में धर्म अधर्म का युद्ध चला है, चित्तौड़ के अंगने भी सतीत्व का अलख जगा है, युद्ध में अधर्म की विजय हुई हैं.. पर चित्तौड़ के अंगने हार गया वह क्रूर. रंग भूमि तो छोड़ो उस देवी ने तो उसे अंगने धूल चटाई हैं.. आंखो में उसे पाने की चाह और जीवन की सबसे बड़ी हार लिए लौट गया वह क्रूर, लौट गया वह क्रूर.... ^श्रेया मिश्रा_ Shreya mishra #एक वीरांगना महारानी पद्मावती