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Ashutosh Mishra
Vishnu Bhagwan हे प्रभू तुम्हारे इन चरणों की महिमा न्यारी है ये मानव ही क्या,,,,, श्री जगत जननी भी इन चरणों पर बलिहारी है। अल्फ़ाज मेरे✍️🙏🙏 ©Ashutosh Mishra #vishnubhagwan हे प्रभू इन चरणों की महिमा न्यारी है ये मानव क्या,,,, श्री जगत जननी भी इन चरणों पर बलिहारी है। #श्रीचरणों #श्रीहरिविष्णु #
Shivkumar
Vishnu Bhagwan वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से नयना सोए ।। जगत पालक जगतपति, की महिमा जटिल महान । लक्ष्मी पति बैकुण्ठ पति का, कोई क्या गाए गुणगान ।। धर्म उन्ही से कर्म उन्ही से, सबके पालनहार । सदा करे भक्तो की रक्षा, ले जग मे अवतार ।। चतुर्भुजा नीला वरण, तन पीताम्बर सोहे । हृदय बसे माता लक्ष्मी, माया से सबको मोहे ।। नाभि कमल से ब्रहम हुए, करने जगत संचार । सदा जपे हरि हर को, हर जपे हरि हर बार ।। कमल नयन पद्म चरण, सुंदर छवि बलवान । सबके स्वामी नारायण को, कोटी कोटी प्रणाम ।। ©Shivkumar #vishnubhagwan #विष्णु #Nojoto #nojotohindi #दोहा #दोहे #मन्त्र वर्णन मानव क्या करे, जब सक्षम वेद ना होए । क्षीरसागर शेष शयन, निद्रा से न
Harishanker
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अहर्निश छन्द आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली । अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।। जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी । वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।। है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी । सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।। १३/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द आये हैं साजन, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली ।
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अहर्निश छन्द आये हैं सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली । अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।। जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी । वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।। है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी । सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।। १३/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द आये हैं सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली । अब कैसी दूर
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
अहर्निश छन्द आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली । अब कैसी दूरी , क्या मजबूरी , मै बोली ।। जप राधे-राधे , दुख हो आधे , महतारी । वो सबकी सुनते, कुछ मत कहते , गिरधारी ।। है पल बलवाना , जिसने माना , बनवारी । सब महिमा तेरी , क्या है मेरी , सुखकारी ।। १३/०३/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR अहर्निश छन्द आयेंगे सजना, मेरे आँगन, है होली । क्या आज छुपाऊ, तुम्हें सुनाऊ, हमजोली ।। वो फागुन गाएं , देख रिझाएं , रंगोली ।
Ravishankar Nishad
शिव की महिमा अपरम्पार शिव करते सबका उद्धार उनकी कृपा आप पर सदा बनी रहे महा शिवरात्रि की हार्दिक बधाई। ©Ravishankar Nishad #mahashivaratri शिव की महिमा अपरम्पार शिव करते सबका उद्धार उनकी कृपा आप पर सदा बनी रहे महा शिवरात्रि की हार्दिक बधाई।
Sushil Kumar
हे ऊपरवाले थोडी महिमा दिखा दे जो reply ना दे उसके फोन का Display उड़ा दे ©Sushil Kumar #watchtowerहे ऊपरवाले थोडी महिमा #shayari
MAHENDRA SINGH PRAKHAR
दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके , उपजे हृदय विकार ।। प्रभु का चिंतन जो करे , सुखी रखे परिवार । आपस में सदभाव हो , सदा बढ़े मनुहार ।। प्रभु चिंतन में व्याधि जो , बनते सदा कपूत । त्याग उसे आगे बढ़े , वह है रावण दूत ।। प्रभु की महिमा देखिए , हर जीव विद्यमान् । मानव की मति है मरी , चखता उसे जुबान ।। पारण करना छोडिए , विषमय मान पदार्थ । उससे बस उत्पन्न हो , मन में अनुचित अर्थ ।। २९/०२/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा जब भी तुम आहार लो , ले लो राधा नाम । रोम-रोम फिर धन्य हो , पाकर राधेश्याम ।। कभी रसोई में नहीं ,करना गलत विचार । भोजन दूषित बन पके ,