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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
White ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह दिया जो नही प्यार है आपसे । नैन फिर यार क्यों अब मिलाने लगे ।। दिल न माना हमारा तुझे देखकर । बार बा तेरी गलियों में आने लगे ।। जिस तरह आपने जुल्फ खोली वहाँ । लोग सारे के सारे दीवाने लगे ।। होंठ से होंठ अपने मिले ही नही । लोग यूँ ही धुआं अब उठाने लगे ।। देख प्यासा प्रखर को रहम आ गया । ज़ाम आँखों से फिर वो पिलाने लगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह
ग़ज़ल :- ख्वाब में आप क्यूँ मेरे आने लगे । बेसबब आप क्यों फिर सताने लगे ।। दीद तो आपके यार आँसा नहीं । दर्द क्यों आप दिल में उठाने लगे ।। कह #शायरी
read moreLalit Musiya
White अब तो गांव भी बदलने लगे है , और शहर जैसे लगने लगे है । वो कच्चे मिट्टी के घर अब गिरने लगे है , अब तो सीमेंट ईट के मकान बनने लगे है । दूर- दूर तक फैले होते थे घर के आंगन, भाई-भाई के झगड़े में वो भी अब सिमटने लगे है। घर के बाहर होते थे नीम और फलदार पेड़ अब वो भी कटने लगे है, अब तो गमले में तरह-तरह के पेड़ और फूल खिलने लगे है । हुआ करते थे गांव में कुएं और वहां लोगों का जमघट, अब तो वो कुएं भी सूखने लगे है,हर घर बोरवेल होने लगे है । खेतों को जोतते थे वो बैल अब वो भी बिकने लगे है , अब तो खेतों में चलते ट्रैक्टर दिखने लगे है । अब तो गांव भी बदलने लगे है , अब तो बेटे भी मां-बाप से दूर रहने लगे है । ©Lalit Musiya अब तो गांव भी बदलने लगे हैं #story #Poetry
Praveen Jain "पल्लव"
White पल्लव की डायरी अधिकारों में बस,एक वोट मिला था जो जन गण का घोतक था मनमानी पर अंकुश हो नेताओ पर धूल चटाने का प्रयोजन था वैसे तो डिजिटल का शोर शराबा है मगर वोट चोरो का वोट लिंक आधार से हो कोई नही इरादा है रजिस्टर वोट अगर गिरने लगे तो चेलेंज करने का हर को मौका होगा जाती धर्म भाषा का विवाद खत्म वोटरों के चरणों मे हर सियासत झुका होगा प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" #election2024 रजिस्टर वोट अगर गिरने लगे #nojotohindi
#election2024 रजिस्टर वोट अगर गिरने लगे #nojotohindi #कविता
read moreShashi Bhushan Mishra
नींद का मारा लगे, कितना बेचारा लगे, स्वाद पहली दफ़ा सा, फिर न दोबारा लगे, दर्द की आग़ोश में, चाँद अंगारा लगे, बिगड़ जाए स्वाद तो, शहद भी खारा लगे, प्रेम की पहचान है, गैर भी प्यारा लगे, हताशा में आदमी, दुनिया से हारा लगे, स्वार्थ में अंधे हुए को, हर कोई चारा लगे, भटकता गुंजन फिरे, हर राह बंजारा लगे, --शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई ©Shashi Bhushan Mishra #राह बंजारा लगे#
Anuj Ray
White शिकायतों के अंबार" पागल भंवरे ,किस लिए करते हो, मुझसे शिकायत मेरी, हंसी मजाक लड़कपन रह गया पीछे, कोरी चुनरी में बड़े दाग़ लगे हैं। अब मैं किसी को घास नहीं डालती, ऐसी शिकायतों के तो अंबार लगे हैं। बड़े सदमे दिए हैं मोहब्बत ने हमें अभी-अभी तो गहरी नींद से जागे हैं। ©Anuj Ray # शिकायतों के अंबार लगे हैं"
# शिकायतों के अंबार लगे हैं" #शायरी
read moresujeeta
White बात दिमाग पर लगे तो भूल सकते है अगर दिल पर लगी हो तो कैसे भुलाया जाय 🥲🥲😔😔 ©sujeeta बात दिल पर लगे
बात दिल पर लगे #Quotes
read moreMAHENDRA SINGH PRAKHAR
ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१ यार बिन कुछ भी नहीं भाता मुझे । गम कि फिर तंहाइयाँ अच्छी लगे ।।२ आ सँवरकर सामने मेरे कभी । मुझको तेरी शोखियाँ अच्छी लगे ।।३ सुर्ख कर लो होंठ ये मेरे लिए । तुझ पे ही ये सुर्खियाँ अच्छी लगे ।।४ आ रही घर में हमारे फिर खुशी । मेम को अब इमलियाँ अच्छी लगे ।।५ एक अच्छा नाम अब मैं सोच लूँ । मुझको देखो बेटियाँ अच्छी लगे ।।६ ढ़ल रही है ये जवानी अब प्रखर । अब न वो गुस्ताखियाँ अच्छी लगे ।।७ १०/०४/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१
ग़ज़ल :- प्यार में मनमर्जियाँ अच्छी लगे । मिल गले सरगोशियाँ अच्छी लगे ।।१ #शायरी
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