Find the Latest Status about अपरिहार्य from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, अपरिहार्य.
Vicky Tiwari
Shree
आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बाधा मुक्त होऊं, ले लगत लागत है अपरिहार्य... लत-रत जग क्षण-क्षण बौराये! आच्छादित उद्वेलित जग.. भंवर से पार नव उद्गार होऊं, परिलक्षित प्रहरी बन यह तन छोड़, जग के पार होऊं, कछु कृपा करहुं त्रिपुरारी, सर्वबंधन बा
Shree
Don't ever lose your dignity at any cost. GET HELP! To those who suffering!! Please. NO MORE SILENCE! "सखी वन स्टॉप सेंटर के अतिरिक्त महिला सेल भी होता है जहां आप फोन पर, स्वयं जाकर या किसी अ
Shree
तलबगार अट्टालिकाओं में जो बैठे हैं! रहगुजर वो सड़कों पर भी कर लेते है, जाने कितनी मंजिलों का सड़कें राबता, और वहीं, कितनों का ये रैन-बसेरा है। अंधियारे में सोलर लाइट के सहारे... कभी अंडरपास, कभी सब-वे के किनारे कभी घुम्मकड़, ले सिग्नल पर डेरा डाले, ...बड़े शहरों में बसी गुमनाम जिंदगियां। ठंड में ठिठुरते, बारिश में भींगते और, धूप चिलचिलाती तब छांव को तड़पते, मजबूर महकमों में छुपते, दबे, पिछड़े, बहरे प्रजापाल, अपरिहार्य भूले-लाल। भूले-लाल _______ तलबगार अट्टालिकाओं में जो बैठे हैं! रहगुजर वो सड़कों पर भी कर लेते है, जाने कितनी मंजिलों का सड़कें राबता, और वहीं, कितनों
Shree
उद्विग्न विरक्त बर्फ से तन के पीछे जो शिथिल उष्णता है तुम्हारे मन की, मैं जानता हूं उसे। सच कहूं तो, उससे मेरे मन का पाखी रोज दाने-पानी की अपेक्षा रखता है। तुम्हारे रुप को निहार-निहार कर अपने पंख थका देता है। पंख इसीलिए थकते कि कोई भी कोण से दर्श की मीमांसा बची ना रहे। ✍️caption तुम्हारा रुप _________ उद्विग्न विरक्त बर्फ से तन के पीछे जो शिथिल उष्णता है तुम्हारे मन की, मैं जानता हूं उसे। सच कहूं तो, उससे मेरे मन का
Darshan Blon
सिखा मैंने अपने पापा से एकत्रित कैसे रखना है परिवार, सिखा मैंने अपनी माँ से सहिष्णुता और निस्वार्थ प्यार, सिखा मैंने अपने गुरुजनों से नियंत्रण मे रखना आचार-व्यवहार, सिखा मैंने अपने दोस्तों से संघर्ष मे भी करना मस्ती भरमार, Continued Below.... सीखा मैंने अपनी गलतियों से ना दोहराना उसे बारबार, सिखा मैंने तकलीफों से दुःख-सुख मे लिपटे जीवन का सार, सिखा मैंने सुखा पतझड़ से आती है ह
AB
भाग - 2 पिछली बार मैंने स्वप्न में पढ़ ली थी तुम्हारी लिखी सभी कविताएं जिनका "शीर्षक" दुसरे शब्दों ने कहूँ तो
AB
इमं हि नित्यमेव मुक्तमुक्तमोत्तम स्तवं पठन्स्मरन् ब्रुवन्नरो विशुद्धमेति संततम्। हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथागतिं विमोहनं हि देहनां सुशंकरस्य चिंतनम् ॥16॥ अर्थात- इस उत्त्मोत्त्म शिव ताण्डव स्त्रोत को नित्य पढ़ने या सुनने मात्र से प्राणी पवित्र हो, परमगुरू शिव में स्थापित हो जाता है तथा सभी प्रकार के भ्रमों से मुक्त हो जाता है,! ll🌸ll ॐ नमः शिवाय ll🌸ll _________________________________________________ हम हमेशा ही सकारात्मक नहीं रह सकते, जैसे ह
अशेष_शून्य
"Loyalty is Necessity" Your own towards self. ~©Anjali Rai "स्वयं के प्रति आपकी अपनी निष्ठा अपरिहार्य (बेहद आवश्यक) है।।" - Anjali Rai ____________________________________________ #अशेष_शून्य #y
अशेष_शून्य
०९/०९/२०२१ तुम्हारे अंदर का "ईश्वर" यदि यदि तुम्हारी आत्मा का क्षत विक्षत देखकर भी "मौन" है; तो मुझे इसमें कोई आश्चर्य नहीं की वो मंदिर के गर्भगृह में स्थापित सिर्फ़ एक "पत्थर" है।। "युद्ध पर मौन राक्षस एक ईश्वर है और...... ईश्वर एक पत्थर!!" ~©Anjali Rai एक ही व्यक्तित्व में सात्विक और तामसिक दोनों गुण विद्यमान हैं और समय और परिस्थितियों के अनुसार परिर्वतनशील भी पर फिर भी महत्वपूर्ण