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Kumar Atul Pertap Rajput
Mr.Dilesh Uikey✔️
गोंडवाना साम्राज्य की महारानी दुर्गावती मड़ावी जी की 456वीं शहादत दिवस पर हम सभी सगा-समाज सादर देवांजली अर्पित करते हैं। 🙏🙏💐💐💐💐💐 🍀🍁नेटा दियां मिकुन लाय फव्व ने अनि चोखों आई।फड़ापेन ता, अनी प्रकृति शक्ति पुकराल आड़ा ता आशदान (आशीर्वाद) मिकुन पररों सदा मन्नी।🌷🌷🙏🙏🌷🌷गोंडवाना द्वीप ता चैकनें कोयावंशी विरंदा तुन जीवातल (हृदय से)सेवा-सेवा। सेवा-जोहार जी। #alone 🌾🌺🌴गोंडवाना साम्राज्य की महारानी दुर्गावती मड़ावी जी की 456वीं शहादत दिवस पर हम सभी सगा-समाज सादर देवांजली अर्पित करते हैं। 🙏🙏💐💐💐💐💐
lalitha sai
अय्यो रामा चंद्रा.... ये मेरी आदत हुई एक शब्द है जब भी कुछ भूल जाती हूँ या अचानक से कुछ हो गया होता है तब एक ही शब्द आता है अय्यो रामा चंद्रा... जब भी ये शब्द सु
#maxicandragon
हाँ मैं अहिंसा का 14 हूँ मैं दुरात्मा मै नंगा हूँ मै फकीर भिखमंगा हूँ हथियार मेरे धरना और अनशन सिंगल पसली मैं बंदा हूँ भेद सका न तोप का गोला अंग्रेजों का मै पिल्ला हूँ भीर पडी जब जब भक्तन पर मुख डुक्कर सा कर लेता हूँ नपीतुली पंक्ति कहकर मैं आग लगा मै देता हूँ नारी का सम्मान है इतना संग उनके ही रहता हूं शील भंग कहीं हो न जाए सो संग नग्न ही सोता हूँ चरखा मेरा प्रिय मित्र है फंदे दिन रात मैं बुनता हूँ जन्म दिए है वीर माँओं ने उनको ही मै चुनता हूँ हाँ हूँ मैं एक रोगी चोर नशेडी मै ही राष्ट्र विभाजक हूँ मैने ही मारे और मरवाऐ वीर सपूत नरभक्षक हूँ मै ही वो कुकर्मी बूढा हूँ जो स्वयं संत बन बैठा हूँ #McKareemChandGazi #Sadharanmanushya ©#maxicandragon हाँ मैं अहिंसा का 14 हूँ मैं दुरात्मा मै नंगा हूँ मै फकीर भिखमंगा हूँ हथियार मेरे धरना और अनशन सिंगल पसली मैं बंदा हूँ भेद सका न तोप का गोला
MG Plus
चलो सुनाऊँ दिल का किस्सा क्या हुआ? जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। जख्म बन रहीं थीं थोड़ी सी सीने में फिर मजा नहीं था पहले जैसा जीने में, मैं डाल डाल पर बन्दर जैसा उछल रहा था जैसे कहती थी आड़ा तिरछा चल रहा था, देखा जितना ख्वाब सब धुआं हुआ जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। मैं डूब रहा था ख़लिश में उसको फ़र्क नहीं था क्या तुमको भी लगता है जीना नरक नहीं था, मैंने समझा दुःख दर्द में साथ निभाएगी पर पता नही था मुझको ही वो खाएगी, जब किया खिलाफ़त तो उसको गुस्सा हुआ जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। मुझको इल्ज़ामो के घेरे में किया खड़ा फिर कान पकड़ के माफ़ करो कहना पड़ा, तुम बदल गए हो मनीष ए मुझको दिख रहा है जबसे लुटा है मुझको सबकुछ बिखरा है, फिर बात बात में इज्जत का कचरा हुआ जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ।। ©MG Plus चलो सुनाऊँ दिल का किस्सा क्या हुआ? जो भी हुआ जैसा हुआ अच्छा हुआ। जख्म बन रहीं थीं थोड़ी सी सीने में फिर मजा नहीं था पहले जैसा जीने में, मैं
राजेश गुप्ता'बादल'
विधा- दोहा ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ सृष्टा ने सृष्टी रची,दिया प्रेम उपहार। मानव भूला आप में,कैसा ये व्यवहार।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 कदम कदम पर मिल रहे ,मन बैठे दुर्भाव। सृजन मात्र ही साध्य है,पार लगे जो नाव।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 तप्त हृदय भी रस चखे,सुनता जब है गीत। वाल्मीकि भी संत बने, रचना कर नवगीत।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 मिलता गौरव ज्ञान जब, होता दृष्टा भान। नर उपकारी जानिए ,सृजन करें जो प्रान।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 आड़ा तिरछा मैं लिखूं, ज्यों सागर में बूंद। सृजन करूं मन भाव को, कवि धारा में कूद।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 राजेश गुप्ता'बादल' मुरैना मध्यप्रदेश (02/06/2019) विधा- दोहा ✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️✍️ सृष्टा ने सृष्टी रची,दिया प्रेम उपहार। मानव भूला आप में,कैसा ये व्यवहार।। 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 कदम कदम पर मिल
kumaarkikalamse
A real story :- सोचने में जल्दी ना करें (Read Story in Caption) Dear Friends, ये एक आँखों देखा हाल है जिसे कुछ लफ़्ज़ों कुछ शेर के द्वारा लिखने की कोशिश कर रहा हूँ! रोज़ की तरह आज भी ऑफिस
lalitha sai
कुछ खास कुछ बात.... बहुत दिन की बात है हर वक़्त मुझे चुप रहने की आदत नहीं है ये बात उनको भी पता है कुछ ना शरारती करतें रहती हूँ कुछ ना कुछ करतें, कुछ ना कुछ खात
Mayank Sharma
तब कि मैं ये बात सुनाऊँ A B C D सीखने के ज़ज्बात बताऊँ छोटे छोटे बच्चे हम, बड़े दिल से सीखते थे बात तब कि है जब हम पेन्सिल से लिखते थे.. पूरी कविता नीचे नासमझी से भरे पड़े खेल खेल में लड़ पड़े बचपन में सब होते बच्चे दिल से सच्चे, अकल के कच्चे तब कि मैं ये बात सुनाऊँ
Poonam Suyal
रहस्यमयी बक्सा ( अनुशीर्षक में पढ़ें) रहस्यमयी बक्सा था वो कोई साधारण सा ही दिन हुआ कुछ अनोखा मेरे साथ उस दिन उठकर बाहर रही थी मैं घूम