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shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१ यकीनन हम सोचा नही करते कभी अंजाम अपना, तो फिर आज हमे जल्लाद की*कयादत क्यूं है//२ ये महसूस तो करे के,रब रहता है हरदम करीब*रगे गूलू तो फिरआज हमे दर बदर भटकने की ज़रूरत क्यूं है//३ हम अपनी नाफरमानी,नादानी के खुद ही है*बाइस, तो फिर आज हमे खामखां औरो से शिकायत क्यूं है//४ जिस मिल्लत का*हामी हो अल्लाह और कूरान,तो फिर आज इस मिल्लत के हिस्से मे*ज़लालत कयू है//५ कुछ् संगदिलो के सीने मे है,उल्फत,तो फिर आज हम*बशर को बशर से इतनी नफरत क्यू है//६ बेशक हमको मयस्सर है बेशुमार तदादे कुव्वते बाजू,तो फिर आज हमे अबाबीलों के लश्कर की ज़रूरत क्यूं है//७ यकीनन देगा खुदा*फतेह,तू बस*इतेहाद से रह,जललाद खुद होगा खाक,फिर आज तेरे दिल मे *हताहत क्यूं है//८ ऐ मुसलमा न डर,तू*बातिले कसरत से,तेरी की थौ जंगे-बदर मे मदद वो खूदा आज भी है,फिर आज तू उस जात से*गफलत्त मे क्यू है//८* शमा की है उसी खुदा से दुआ,के दुश्मने इस्लाम को कर दाखिल, मजहबे इस्लाम् मे,तो फिर आज हमे इस जंग की*वजाहत क्यू है//९ shamawritesBebaak ©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर #lonely चुप चुप सी मेरी मिल्लत की हालत क्यूं हैं,जब खौफे खुदा नही,तो फिर आज हमे *जालिम से*दहशत क्यूं है//१*अत्याचारी*भय यकीनन हम सोचा नही क
Anil Ray
भ्रूण विकसित छुअन से गर्भावस्था में बालपन में सम्बल और अपनापन-सा हसीं एहसास स्वजनों की वों छुअन... माता-पिता और भाई-बहनों का स्पर्श अब-तक है बना हुआ तन-मन-धन से इसी साथ ने उज्ज्वल किया है भुवन.. गुरु सानिध्य में ज्ञान छुअन से अवबोध नालायकपन परिवर्तित हो लायक हुआ, पाक! रिश्तें की पवित्र छुअन था विवाह जिससे माता-पिता का रूप प्राप्त हुआ, उम्रभर संतान-भविष्य में सतत् जिंदगी इनकी छुअन! से अंत्येष्टि संस्कार हुआ, अनिल! जरूरी है यह छुअन जीवन में बस! इरादा हृदय का सदा ही नेक हो.. तवायफ़-घर में नंगें थें जिस्म दोनों के कैसे छुअन से औरत ही चरित्रहीन हो.? तवायफ़ की चाहत आत्मकथा लिखूं देखों! शहर में सन्नाटा चारों ओर आज उन शरीफ़ों का आत्महत्या इरादा हो...! ©Anil Ray छुअन बेटी की...............................✍🏻 बिटिया बड़ी हो गयी, एक रोज उसने बड़े सहज भाव में अपने पिता से पूछा - पापा! क्या मैंने आपको क
चिरावटिया
Devesh Dixit
उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। दुनिया में है ये विष कितना, बिन पिये मुरझा हम तो रहे। बाजू में छूरी हैं रखते, मुख से श्री राम पुकार रहे। अपराधों की है भीड़ लगी, ले खंजर अब वे भोंक रहे। चैनो अमन है कैसे कहें, वे तो विपदा में झोंक रहे। अब कैसे हो विश्वास यहांँ, संशय में जीवन डोल रहा। जो टूट गये विश्वास यहाँ, रिश्तों में है जंग बोल रहा। मानवता को है चोट लगी, शैतानी जज़्बे जाग उठे। संस्कारों की भी बली चढ़ी, अब देख तमाशा भाग उठे। उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही अब मैं आस करूँ। ....................................... देवेश दीक्षित ©Devesh Dixit #उलझा_है_मन_खुद_में #nojotohindi उलझा है मन खुद में उलझा है मन खुद में मेरा, कैसे अपनी मैं बात कहूँ। हे शिव जी अब तो कृपा करो, तुमसे ही
Anuradha T Gautam 6280
Komal Pardeshi
PRABHAT
Ham donon bhai galiyon mein mashhur hai tabhi to Ham donon ki Jodi lakhon mein ek Hain han yah Sach hai ©PRABHAT mahfil mein chhae to tumhari sitar bankar jab se to aaye film ban gai guitar Ban ke likhit song mere gane band ke आजू-बाजू ki baat na bolate
Priyansh Sharma
वो जब कभी बनारस के घाट पर मद्धम मद्धम बारिस हो रही हो.. तुम्हारें दोनों हाथ मेरे दाएं हाथ की बाजू को पकड़े हो..। तुम्हारा सर मेरे कंधे पर हो और तुम्हारें कंगन की आवाज मानो पंछियों का कलरव हो...। और तब तुम्हारे साथ उन घाटो पर बैठकर बहती हुई गंगा को निहारते रहने का मन है मेरा..। ❣️ ©Priyansh Sharma _______________________________________ वो जब कभी बनारस के घाट पर मद्धम मद्धम बारिस हो रही हो.. तुम्हारें दोनों हाथ मेरे दाएं हाथ की बाजू क