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Gurudeen Verma
White शीर्षक- इस ठग को क्या नाम दे --------------------------------------------------------- बड़े नम्बरी होते हैं वो आदमी, जो करते हैं शोषण छोटे आदमी का, और छीन लेते हैं उधारी चुकाने के नाम पर, गरीब आदमी की जमीन और आजादी। लेते हैं काम छोटे आदमी को, कोल्हू के बैल की तरह दिनरात, एक वर्ष की मजदूरी बीस हजार देकर, जबकि होते हैं खर्च पाँच हजार एक माह में। लेता है ब्याज बहुत वो आदमी, छोटे आदमी को देकर उधार रुपये, बड़े ही ठाठ होते हैं इन आदमियों के, जिनके होते हैं मकां महलनुमा। होती है उनकी जिंदगी राजा सी, जिनके एक ही आदेश पर, हो जाते हैं सारे काम, और हाजिर नौकर चाकरी में। कमाता होगा इतने रुपये वह आदमी, मेहनत की कमाई से कभी भी नहीं, बनाता है वह अपनी इतनी सम्पत्ति, भ्रष्टाचार और दो नम्बर की कमाई से। लेकिन एक ऐसा आदमी भी है, जो लेता है बड़े आदमी से भी ज्यादा दाम, करता नहीं रहम वो अपने भाई पर भी, और कोसता है वह बड़े आदमी, इस ठग को क्या नाम दे।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma #कविता
कविता
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https://youtu.be/BsZ0CqWay-I?si=dc0woHOxinEmU8vt व्यथा शेतकऱ्याची मराठी कविता आप सब मेरे you tube चॅनेल को भी subscribe करे धन्यवाद frie #मराठीकविता
read moreShiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
कविता #शायरी
read moreHARSH369
इस मन कि व्यथा किसे सुनाऊं कोई साथ नही मेरे सुनने को..! इस मन कि व्यथा..! सीधा हूं भोला हूं, प्यारा हूं, जग से न्यारा हूं ना नौकरी है, ना ही कोई रोजगार है, अपने आप से ही हारा हूं.. इस मन कि व्यथा..! कोई प्रेम से पुकारने वाला नही, कोई प्यार करने वाला नही, हर रूह मे मेरे लिये कोई जगह नही तपस्या मे बैठा हूं किसी ने ढंग से पुकारा नही, इस मन कि व्यथा..किसे सुनाऊं कोई समझने वाला नही..!! ©HARSH369 #मन की व्यथा
HARSH369
मन कि व्यथा मन ही जाने, ना तुम जान सको न मैं जानू क्या मन करवाये क्यू करवाये ये मन ना तुम जान सको ना हि मैं जानू.. बेधड़क बोलता हूं,बेखौफ बोलता हूं रिस्तो के बन्धन को कान्टों पर तोलता हूं जिसके पास जितना पैसा, उसी कि सरकार है बाकि बेकारो के लिये बेकार परिवार है,..! बाकि ये सब क्यूं बनाया भगवान ने ना तुम जान सके ना हि मैं जानू..! मन की व्यथा..मन हि जाने..!! ©SHI.V.A 369 #मन की व्यथा..!! #कविता मन की
मन की व्यथा..!! कविता मन की
read moremanju Ahirwar
मन की व्यथा सुनाऊं तो किसे ? कोई है अपना ।? शायद नहीं..... कौन जाने कितना टूटा हुआ है अंदर ही अंदर बिखर रहा है। जख्म अब नीले या हरे नहीं होते कोई पूछे तो अब शब्दों में बयां नहीं होते । जो है ,अपना है,अपने तक ही रख लूं ना बताऊं किसी को , ये राज़ , राज़ ही रख लूं।।। ©manju Ahirwar #मन #राज़ #व्यथा #Life