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Anjali Singhal
माननीय नरेंद्र मोदी जी जन्मदिन की हार्दिक बधाई स्वीकार करो सबसे पहले आप वाणी और कर्मक्षेत्र में सदैव दिखाते हो आप आत्मविश्वास गूँज उठती है च #Poetry #HappyBirthdayModiJi #AnjaliSinghal
read moreSapna Sharma
पतझड़ की एक शाख सा जीवन नीरव और निस्पंद सा कोरा आँचल, धूमिल दृष्टि पैरों में पड़ा एक फंद सा गृहशोभा थी, कलंक हुई क्यों अंतर में उठे ज्य #Change #poem #tribute #nojotovideo #hindi_poetry #widow #social_issues #Ishwarchandravidyasagar
read moreMili Saha
चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को, विस्तृत स्वरूप दर्शाती हैं ये स्वच्छंद किरणें। रात की चुनर से छन कर आती, तम में निखरती उज्जवल सी लगती, चहुँओर बिखेरकर स्वर्ण सी नर्म चांँदनी, कल-कल बहती सरिता के जल को है छूती। चंँद्र संग इठलाती और बलखाती, कभी शर्माती हुई वो मंद-मंद मुस्काती, स्याह अंँधेरी रात में देखकर चंँद्र की झलक, प्रीत रंग में रंग कर फूलों सी खिल-खिल जाती। कभी तरु कभी कुसुम का श्रृंगार, कभी बन ये रत्नगर्भा के गले का हार, पवन की ताल पर नृत्य मुद्रा में सुसज्जित, अपना संपूर्ण सौंदर्य यह प्रकृति में बिखेर देती। कभी ले जाए यह यादों के पार, कभी खोले है किसी के दिल का द्वार, देख चंचल किरणों की ये मनोरम चंचलता, चंद्र भी स्वप्न तरी में विराजित होकर करे विहार। लेखक के कलम की कहानी, कवियों के दिल से निकलती वाणी, चारु चंँद्र की चंचल किरणों की आगोश में, कभी कोई नज़्म तो कभी ग़ज़ल बनती सुहानी। किरणों से सजा धरा का कण-कण, देखकर ही आनंद विभोर हो जाता मन, अद्वितीय छटा झलकती चंद्र संग किरणों की, जिसे देखने को किसके व्याकुल नहीं होते नयन। ©Mili Saha चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को,
चारू चंद्र की चंचल किरणें चारु चंँद्र की चंचल किरणें, स्वर्ण सी आभा निश्छल किरणें, शनै:-शनै: स्नेह स्पर्श कर वसुंधरा को, #Trending #moonlight #कविता #nojotohindi #sahamili
read moreNisheeth pandey
हाय रे पानी पानी रे पानी आकाश में भी तू , धरती पे भी तू , पाताल में भी तू जाने कितनों को सजीव किये जाने कितनों को डुबो खाये पानी रे पानी कहीं घर उजाड़े कहीं खेत उजाड़े आसमान से बरसे पानी कहीं कपड़ा वपडा,बर्तन बासन गरीब के मोल डुबाये कैसा है ये पानी है बाढ़ पर अड़े मोल-भाव बाढ़ न करें हाय रे पानी पानी रे पानी कभी कंठ सूखने का महिना आए तब एक गिलास पानी का भी है दाम लगाए बिकने लगे बोतल में पानी साला पानी में भी मिलावट को है पाया भोली जनता कहाँ कहाँ न ठगाए हाय रे पानी पानी रे पानी कभी सूखाती प्यास कभी बुझाती स्वास हम सबकी शामत आयी चहुँ ओर धरती पर छायी पानी रे पानी जिधर निकले उधर पानी न नैया न पतवार प्रकृति ने दी कैसा भ्रम जाल कहीं मृगतृष्णा कहीं पानी का अथाह सागर दोनों बुझा न पाए कण्ठ प्यास पानी रे पानी पानी रे पानी .. तू रक्षक भी तू भक्षक भी तेरे बगैर शरीर नहीं तू हरती पल में साँस भी पानी रे पानी पानी पानी ....... #निशीथ ©Nisheeth pandey हाय रे पानी पानी रे पानी आकाश में भी तू , धरती पे भी तू , पाताल में भी तू जाने कितनों को सजीव किये जाने कितनों को डुबो खाये पानी रे पानी
हाय रे पानी पानी रे पानी आकाश में भी तू , धरती पे भी तू , पाताल में भी तू जाने कितनों को सजीव किये जाने कितनों को डुबो खाये पानी रे पानी #BahuBali #boat #Remember #कविता #sadquotes #streak #dhundh #bekhudi #निशीथ #humaurtum #NojotoStreak
read moreANOOP PANDEY
pramodini mohapatra Rajat Bhardwaj Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Kanak Tiwari Anshu writer ARTIST VIP. MISHRA -----------------------------------
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मैं हीं मैं (ईश्वर ) --------------------- रहता हूँ मैं कण -कण में झरने की निर्झर सी धारा में रहता चहुँ ओर दिशाओं में मैं ही मैं हूँ हर इक ओर बसा फूलों में मैं और काँटों में मैं तुम देखो जाकर कहीं यार मैं रहता हूँ हर -धड़कन में नहीं है कुछ भी छूटा मुझसे हर कली पुष्प और उपवन में तुम देखो जाकर कहीं यार मिल -जाऊँगा इक मैं हीं मैं तुममें भी बसता मैं ही इक हूँ रहता खुद में मैं ही मैं हूँ..... तुम ले लो दरिया यार समंदर हर -इक तरफ मैं हीं मैं हूँ.... देता हूँ सबको ही मैं जीवन इक सबको मौत भी देता हूँ मैं ही हूँ करता पालन सबका मैं हीं इक जीवन हरता हूँ .... सब भला -बुरा मुझमें ही है हर इक भले -बुरे में रहता हूँ दुनियाँ में जो जो भी यार रहे मैं सबके अंदर ही रहता हूँ.... तुम जो भी पढ़ते हो मंत्र यार मैं उन मंत्रों में भी रहता हूँ .... मैं हूँ शस्त्रों में ,मैं ही हूँ शास्त्रों में भी तुम देखो जाकर जल ,वायु अग्नि मैं तो उन सब हीं तत्वों में हूँ तुम देख लो जाकर कहीं यार मैं हर इक तरफ हर दिशा में हूँ ©ANOOP PANDEY pramodini mohapatra Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Kanak Tiwari J. Chandravanshi Anshu writer Nishant Patel "Devil" पूजा उदेशी NIRMAL PANDEY स्वच्
pramodini mohapatra Kajal Singh [ ज़िंदगी ] Kanak Tiwari J. Chandravanshi Anshu writer Nishant Patel "Devil" पूजा उदेशी NIRMAL PANDEY स्वच् #Poetry #मैं_हीं_मैं_
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