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Rashmi Hule
बळीराजा... See caption बळीराजा... खरंच का हो मी बळीराजा का जातोय बळीच माझा करतो पेरणीसाठी उसनवार पिक येताना मात्र अडचणी भाराभर पाणी नाही विहिरीला
Rashmi Hule
जिसका हर चिज को बात को समझने का अपना तरीका होता है.. और सृजन की तडप होती है... सृजन :- निर्मिती... तडप :- बेचैनी एक सुंदर #collab Rest Zone की ओर से। #लेखक #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi
arrey.oh.chachu
Maazas Raanaar सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों आज 71 वा प्रजासत्ताक दिन आहे. माझ्या सर्वं लेखक मित्र आणि मैत्रिणींना प्रजासत्ताक दिनानिमीत्य हार्दिक हार्दिक
yogesh atmaram ambawale
वाजे महाराष्ट्राचा डंका आज सर्वत्र, महाराष्ट्र राज्य निर्मितीसाठी बलिदान दिलेल्या हुतात्म्यांना, श्रद्धांजली वाहूया आज येऊन एकत्र तसेच कामगार दिनाच्या ही शुभेच्छा.. सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों आज शुक्रवार, दिनांक 1 मे.. आजचा दिवस महाराष्ट्र दिन हा महाराष्ट्र राज्याची निर्मिती दिवस म्हणून साजरा केला जा
yogesh atmaram ambawale
सर्व जाती धर्माच्या लोकांना एकत्रित ठेवतो, भारत देश माझा एकात्मतेची शिकवण देतो. सुप्रभात मित्र आणि मैत्रिणीनों आज 71 वा प्रजासत्ताक दिन आहे. माझ्या सर्वं लेखक मित्र आणि मैत्रिणींना प्रजासत्ताक दिनानिमीत्य हार्दिक हार्दिक
ashok polake
Ek villain
यह संसार दुख में यह है त्रिवेदी दुख सर रेल धारियों को सदा पीड़ित करते हैं सत चित आनंद स्वरूप परमात्मा का अंश होने के कारण प्रत्येक जीवधारी इन दुखों से निर्मित चाहते हैं इसके लिए वे कभी लौकिक और कभी वैदिक उपायों का आश्रय लेते हैं परंतु इनसे दुखों की सर्वकालिक एवं स्थानीय निर्मिती नहीं होती सबसे प्राचीन संख्या दर्शन के अनुसार चिकित्सा आदि लौकिक तथा यज्ञ आदि वैदिक उपायों से दुख की निवृत्ति अवश्य हो जाएगी किंतु यह आवश्यक नहीं है कि ऐसे दुख फिर दस्तक नहीं देंगे इस दर्शन के अनुसार प्रवृत्ति और प्राकृतिक आत्मा इस सृष्टि के कारण है आत्म तत्व का अपना स्वरूप को विस्मृति करना ही दुख रे काहे तू है क्योंकि सुख दुख का अनुभव करना शरीर का धर्म है आत्मा किंतु अज्ञान बस प्राकृतिक की माया से संयुक्त आत्म सुख दुख का अनुभव करने लगता है यही दुख का कारण है व्यक्त प्राकृतिक और अव्यक्त आत्मा के वास्तविक स्वरूप के ज्ञान से दुखों की निवृत्ति स्वयं हो जाती है गीता में भी दुखों की हेतु और उनके निर्भर थी के उपाय बताए गए हैं पंचम अध्याय में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि इंद्रिय और विषयों के सहयोग से उत्पन्न होने वाले शारीरिक भूख भूख के कारण है यद्यपि यह सुख देने वाली प्रवृत्ति होती है यही काम करो दिशा आदि विकारों को जन्म देते हैं अटैक कर्म और कर्म फल में अशक्त दुख का कारण बनती है ©Ek villain #दुखों से निर्मिती मानव जीवन में #roseday
vishnu thore
दै.स्वतंत्र भारत मधील आजचा लेख... दिशा आणि दशा .... काही निर्णय काळ घ्यायला शिकवतो. काळावर स्वार व्हायला अनुभवा सारखं वाहन नाही. वि