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Azaad Pooran Singh Rajawat
" अली हूं मैं मधु पुष्पों का मधु सौदागर परिचय देता मैं उड़ने की मधुर आवाज सुना कर अभिनंदन करते हैं वो पल्लव बाहें खोलकर आशिकी का प्रतीक मैं उड़ता इधर-उधर मधुपुष्प भूल उड़ जाता हूं जब अन्य डगर मस्ती में मैं झूम कर सयन करता हूं मकरंद कलियों पर अली हूं मैं मधु पुष्पों का मधु सौदागर।" ©Azaad Pooran Singh Rajawat #अली मैं,मधु पुष्पों का मधु सौदागर#
Durgesh Bahadur Prajapati
पुष्पों की तरह खिलते रहिये और अपने सदगुणों की खुश्बू से पूरे जहाँ को महकाते रहिये। Durgesh Bahadur Prajapati पुष्पों सा बनना सीखें....
आयुष
पिता का घर कभी जर्जर नहीं होता, खूबसूरत उससे कोई मंजर नहीं होता... बसते हैं जहाँ सपने बचपन के, उससे पावन कोई मन्दिर नहीं होता... ©आयुष बाप का घर....
SG
जिंदगी के रास्ते मे जिंदगी ने एक मोड ऐसा लिया कि अभी तक सीधा रास्ता गुमशुदा है और सवारी गुमनाम है, एक रास्ता मेरे घर की और ©❤SG❤ रास्ता घर का
ranjit Kumar rathour
मेरे सपनों का घर इसे मेरी मर्जी से बनने दो दरवाजे खिड़की कैसे होंगे रोशनदान किस दिशा में हो मत बताओ तुम ये सब कुछ मत बताओ मेरी मर्जी से इसे बनने दो सपने हर कोई देखता उसे उतार कोई कोई पाता है मैन एक प्रयास किया है सपनो को शक्ल देने का इसे मूर्त रूप तो ले लेने फिर देना अपनी राय सालो की मेहनत से जो इसे बनाया है कहना ठीक ,बहुत ही अच्छा है क्योंकि ये मेरे जीवन भर की कमाई है ©ranjit Kumar rathour सपनो का घर
Shubham
अब अलग हैं उस घर से भी , जिसमें कई निशानी छोड़ी हैं । जब-जब ही छोड़ा घर तोे , साथ में कई कहानी छोड़ी हैं । जो अपना था, या पराया था? अक्सर यादों में समाया था । जहाँ दीवारों की टेक से बैठे,बिस्तर खिड़की तरफ लगाया था । गलियारों में खेले थे क्रिकेट, मैदान ही उसे बनाया था । क्यारी में करते थे वृक्षारोपण,पूजा के फूल भी लाया था । बत्ती के जाने पर न जाने, वहाँ कितनी चीजें तोड़ी है । जब-जब ही छोड़ा घर तो , साथ में कई कहानी छोड़ी है । जब भी जाते थे बाहर,तो कुछ पल में ही याद सताती थी । घर आकर के ज्यों बैठे , त्यों माँ खाना ले आती थीं। जहाँ बाबा के थोड़ा चिल्लाने पर,दादी उनसे लड़ जाती थीं। चाचा संग घूम के खुश होते और बुआ जी ढंग से पढ़ाती थीं । उन चहारदीवारों में भी न, जाने कितनी यादें जोड़ी है। जब-जब ही छोड़ा घर तो, साथ मे कई कहानी छोड़ी हैं । #बचपन का घर