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Ek villain
बीज बोते वक्त हम एक परिकल्पना तो करते ही हैं कि इस वृक्ष से हमें कैसे और कौन से फल खाने को मिलेंगे स्वाभाविक है कि 1947 में जब देश विभाजन के बाद दिल्ली में रिफ्यूज बताए गए तो कस्तूरबा नगर की परिकल्पना भी एक सुंदर स्थान के रूप में की गई जिसका दो और इस स्थान के नाम से भी होता है इसे अहिंसा का पुजारी जीवन संगी कस्तूरा के नाम से सूचित किया गया है जो भी कस्तूरा नगर जहां गणतंत्र दिवस के दिन एक युवती के साथ अपराध हर समर्थन देगी और घिनौना के तार तार किया गया है यहां किसी ने यह सवाल सोचा है या सब अपने कसूर नगर में क्यों हुआ जहां पुलिस किसी मामले की जांच को इलाके में जाने चाहे तो मजा आज है वह कदम रख दे औरत ही वह पुलिस वालों को लताड़ कर उल्टे पांव फिर देती है लिहाज पुलिस इस इलाके में जाने से कतराती है बाहर बैरिकेड लगाकर जरूरी अपने दायित्वों की पूर्ति करती है आपको याद ही होगा लगभग ढाई साल पहले भी इसे कस्तूरबा नगर में ऐसे राजकुमारी की हत्या पुलिस बूथ के पास कर दी गई थी उस समय भी आसपास के लोग तमाशा बानी बने रहे थे यह उसी स्थान पर उस वक्त भी रहा था जब एक युवती इज्जत सरेआम तार-तार हो रही थी इस समूह में अपराधी को तो बल मिलता है मानवता भी कितनी अपमानित होती है इसका आलम चुप रहने वालों की भी कोर्स काश होता है इतिहास में भी यह परिलक्षित होता रहता है अपराधियों के उद्धरण से तो समाज को नुकसान हुआ है उसमें दुगनी सिटी इस महीने पहुंचा रही है इसी तरह की घटनाओं पर महिलाओं के साथ सड़क पर सरेआम हो रही छेड़छाड़ पर कोई हस्तक्षेप क्यों नहीं ©Ek villain #अपराध नियंत्रण में विफलता #chocolateday
Anjali Jain
एक अच्छे और आदर्श शिक्षक के मार्गदर्शन और नियंत्रण में विद्यार्थी को थोड़ी तकलीफ तो होती है पर जीवन संवर जाता है वैसे ही मोदी जी और योगी जी के मार्गदर्शन और नियंत्रण में थोड़ी तकलीफ़ अवश्य होती होगी लोगों को, पर पूरे देश का जीवन संवर रहा है!! © Anjali Jain नियंत्रण में....१८-०१-२२ #humantouch
Ek villain
जहां गतिशील है वहां निर्माण भी जरूरी है वहां चाय भौतिकी स्तर की गतिशील हो या मानसिक स्तर कि यदि गति पर नियंत्रण का विधान नहीं है तो दुर्घटना को रोका नहीं जा सकता बहुत ही कि स्तर पर किसी भी तरह के वाहन होते हैं मैं ब्रेक भी होते हैं वहां चालक स्थिति परिस्थिति के अनुसार ब्रेक का उपयोग करते हुए गंतव्य तक पहुंचते हैं इस तरह का निर्माण मन के स्तर पर भी जरूरी है सबसे तेज मन ही चलता है गोस्वामी तुलसीदास ने पीपर पात सारी मंडोला चौपाई में स्पष्ट कहा है जिस प्रकार हल्की सी हवा चलने से पीपल के पत्ते हिलने लगते हैं उसी प्रकार किसी भी तरह की परिस्थितियां आती है तो सबसे पहले मन पर उसका प्रभाव पड़ता है पर चंदा के क्षणों में मनुष्य ने लगता है यह उतरना भी कभी-कभी घातक हो जाता है जबकि दुखों के निर्णयों में निराशा और कंटाडीह के मन की सारी शिक्षा ऋण हो जाती है अगर मन करे तो पाएंगे कि जब हम सब कुछ अनुकूल होने पर मन के निरंकुश होने का खतरा बन जाता है और व्यक्ति मनमानी करने लगता है वही परिस्थिति स्थिति नगर का कार्य करने लगती दोनों संगठन कर देती है हर धर्म में संयम नियम से जीने के उपाय बताए गए हैं आज भी कहा जा सकता है ©Ek villain #आत्म नियंत्रण मानव जीवन में #adventure
Ek villain
दोनों महापुरुषों का जो राजनीति में परिवाद भ्रष्टाचार जातिवाद के इस्तेमाल के लिए विरोध शास्त्री की बनियानी पर वह समाजवाद को शासन का मुख्य आधार बनना चाहते थे मगर इन दिनों मानव समाजवादी राजनीति का पर्याप्त बन गया है परिवारवाद भ्रष्टाचार और जातिवाद दरअसल 11 अक्टूबर और 12 अक्टूबर को समाजवादी राजनीति के कितने पूरा रोज नेताओं द्वारा जेपी लोहिया के कर्मा जयंती पर पुण्यतिथि मनाई जाने का अवसर था इसलिए यह विमर्श के केंद्र में आया कि आखरी और आंदोलन से निकले नेतागण जो बिहार व उत्तर प्रदेश की राजनीति में सत्ता के केंद्र में रहे उनके विचारों को कितनी अहमियत देने दे पाएंगे ©Ek villain #राजनीति में परिवारवाद पर नियंत्रण #Save
Anjali Jain
भगवान श्री कृष्ण ने समस्त विश्व के समक्ष आदर्श और यथार्थ का सुंदर समन्वय, संतुलन का मार्ग प्रशस्त किया! आदर्श की पराकाष्ठा तक पहुँच कर यथार्थ का रुख किया! हर समस्या का समाधान कर सबका दुःख दूर किया! यही मार्ग हम सबके लिए भी उपादेय है ताकि संसार और जीवन से हमें कोई शिकायत न रहे!! ©अंजलि जैन #सुंदर समन्वय#२२.१०.२०
Arora PR
हम या तौ विचारो के नियंत्रण मे है. या हम जज्बातो के. नियंत्रण मे है आखिर ये गुलामी कब तक ? काश विचारों और जज्बातो की लगाम हमारे हाथ होती तौ जिंदगी हमारे नियंत्रण मे होती तौ लगाम ©Arora PR नियंत्रण
Saurav Dangi
आपके किसी विशेष व्यवहार का कारण अधिकांशत किसी विशेष बात के लिए आप की प्रशंसा होता है अतः आपको कोई और ही नियंत्रित कर रहा होता है... #नियंत्रण
Parasram Arora
नियंत्रण अभिशाप नहीं वरदान हैँ बगीचा माली के नियंत्रण में सौंदर्य का प्रतीक बन जाता हैँ आभूषण तिजोरी के नियंत्रण में अपनी अस्मिता बचाने में सफल होता हैँ नदी किनारो के नियंत्रण में रहकर भी तो अपराधी नहीं बन सकती संतति अभिभावक के नियंत्रण में रहकर ही विवेकशील बन सकते हैँ चोर अपराधी अगर कानून के नियंत्रण में न हो तो शहर में अपराधों की संख्या बढ़ सकती हैँ औऱ समाज में नैतिक नियंत्रण न हो तो जगत.में नैतिक मूल्यों की शवयात्रा भी निकल सकती हैँ नियंत्रण.....
Parasram Arora
जज्बातो के अतिरेक पर नियंत्रण जरुरी है ताकि साँसों की गति भी संतुलित रह सके और जिंदगी सामान्य गति से चलती रहे ©Parasram Arora नियंत्रण