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Shikha Mishra
आलोचक बनो तारीफ नहीं, करो मेरी आलोचना क्योंकि मैं जो हूं वही चाहती हूं सुनना. #yqbaba #yqdidi #smquote #criticism #आलोचक #तारीफ #आलोचना - आलोचना या समालोचना (Criticism) किसी वस्तु/विषय की, उसके लक्ष्य को ध्यान में रखते
Vishw Shanti Sanatan Seva Trust
yoga is a life giving practice ©Vishw Shanti Sanatan Seva Trust योग: कर्मसु कौशलम्’ यह श्लोकांश योगेश्वर श्रीकृष्ण के श्रीमुख से उद्गीरित श्रीमद्भगवद्गीता के द्वितीय अध्याय के पचासवें श्लोक से उद्धृत है।
Anita Saini
आपाधापी और जिम्मेदारी..! इसी में बीती ज़िन्दगी सारी..!! जीवन का उत्तरार्ध हुआ जाए..! जिम्मेदारियों से,कहाँ विमुक्त हो पाए..!! जाने कब, जीवन के शाम हो जाए..! क्या खोया क्या पाया,में क्यों वक़्त गंवाए..!! चलो खुद के प्रति भी अब,कोई फ़र्ज़ निभाएं..! ज़िन्दगी ना मिलेगी दोबारा,चलो कुछ ऐसा कर जाएं..!! जनम, मरण के बंधन से मुक्त हो पाएं..! आओ कर ईश्वर भक्ति, इस भवसागर से तर जाएं..!! सवार होने से पहले, चार कन्धों के रथ पर..! चलो कल्पवास करें हम भी, त्रिवेणी के तट पर..!! संतों के समागम का, हम भी कुछ लाभ उठाएं..! कुम्भ के पवित्र मौके पर,चलो संगम में डुबकी लगाएं..!! आपाधापी और जिम्मेदारी..! इसी में बीती ज़िन्दगी सारी..!! जीवन का उत्तरार्ध हुआ जाए..! जिम्मेदारियों से,कहाँ विमुक्त हो पाए..!! जाने
रजनीश "स्वच्छंद"
मन को देखो टटोलकर।। जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता, ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता। दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं, नश्वरता का कुल बोध है, अनुभवों की चाभी भर, बन डुगडुगी हूँ डोलता। ज्ञान का ये दायरा, ना सीमित ना संकुचित हुआ, वाणी को कर शिरोधार्य, ले ज्ञान-तराजू हूँ तोलता। विवेक पर कुमति थी भारी, उदंडता अमरत्व पर, विष मन्थित कंठ धारे, मैं निज को ही हूँ कोसता। सुचितोचित प्रश्नवाचक, चढ़ दुर्ग था ललकारता, विनिमयी इस मेले में, निज त्रास को हूँ मोलता। कंठाग्र जो थी संस्कृति, आंदोलित रही उदगार को, हो कुपित मनोभाव से, संग शुष्म रक्त हूँ खौलता। ह्रस्व था या दीर्घ था, मैं दिन था या दीन हुआ अब, आकंठ क्रंदन-स्वर में डूब, स्याही में नाद हूँ घोलता। ©रजनीश "स्वछंद" मन को देखो टटोलकर।। जीवनकाल के उत्तरार्ध पर, मन को मैं हूँ टटोलता, ज्ञान भिक्षा जो मिली थी, मुख खोल मैं हूँ बोलता। दीर्घकालिक हूँ नहीं मैं
JALAJ KUMAR RATHOUR
12 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में गुजरात के पाटण में चालुक्यो के महल में जन्मे सोमेश्वर चौहांन और कर्पूर देवी के पुत्र, अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्वी राज चौहान का जन्म में 19 मई 1164 इस्वी में हुआ था, इनकी शिक्षा सरस्वती विद्या पीठ जो आज का आढाई दिन का झोपड़ा है में हुई थी जब इनके पिता अजमेर आ गए थे।जयचंद की पुत्री संयोगिता से प्रेम कर, प्रेम के लिए युद्ध करने वाले और मात्र पंद्रह वर्ष की आयु में दिल्ली की सत्ता सम्भालने वाले इस वीर योद्धा ने 28 वर्ष की अल्पकालिक आयु में 27 युद्ध लडे।17 बार मुहम्मद गौरी को हराने वाले और उसको छोड़ने वाले इस वीर योद्धा और उनके साथी चंदर बरदाई को धोखे से 1192 के तराईन द्वितीय के युद्ध में छल से पकड कर बंदी बना लिया, और धर्म परिवर्तन के लिए प्रताड़नाए दी, जब उन्होंने कुबूल नही किया तो उन्हे अंधा कर दिया,। छ: भाषाओं का ज्ञान और शब्दभेदी बान विद्या में पारंगत इस वीर योद्धा ने चंदर बरदाई के शब्दो "चार बांस चौबीस गज, अङ्गुल अष्ट प्रमान। ता ऊपर सुल्तान है, मत चूको चौहान॥" के हिसाब से गौरी को मौत के घाट उतार दिया। भारत का ये वीर योद्धा ,११/१/१२४९ भारतीयपञ्चाङ्ग के अनुसार11 मार्च 1192 (उम्र 28) आङ्ग्लपञ्चाङ्ग के अनुसार अजमेर राजस्थान में पंचतत्व में विलीन हो गया। .... #जलज कुमार 12 वी शताब्दी के उत्तरार्ध में गुजरात के पाटण में चालुक्यो के महल में जन्मे सोमेश्वर चौहांन और कर्पूर देवी के पुत्र, अंतिम हिंदू सम्राट पृथ्
lalitha sai
कहते है फ़िल्मी दुनिया में काम करते करते.. लोग खुदगर्ज बहुत होते है.. मगर ऐसा नहीं है.. सच में फ़िल्मी दुनिया में भी.. सच्चे और अच्छे कलाकार होने के साथ साथ सावित्री अम्मा.. दिल के साफ़ और नेक इंसान थे...❤️❤️ Read caption...👇👇 #savitriactress #myfevorite #myinspiration #lalithasai #greatlegend #myworld सावित्री (4 जनवरी 1936 - 26 दिसंबर 1981) एक भारतीय फिल्म अभिनेत
sandy
#मैत्रीच्या_पलीकडे_आणि_प्रेमाच्या_अलीकडे... काही नाती आयुष्यात व्यक्त करता येत नाही. कारण ती आपल्यालाच नीट समजलेली नसतात तर आपण समोरच्याला
ashutosh anjan
भारतीय परंपरा (चिंतन) अनुशीर्षक में पढ़े।👇 भारतीय संस्कृति व परंपरा विश्व की सर्वाधिक प्राचीन एवं समृद्ध संस्कृति व परंपरा है। इसे विश्व की सभी संस्कृतियों की जननी माना जाता है। जीने
Sôñù Shármä
चरित्र आप एक संवेदनशील एवं भावुक व्यक्ति हैं। जीवन की कठनाइयों का आप पर अन्य लोगों की तुलना में ज्यादा प्रभाव पड़ता है परिणामस्वरूप आप जीवन
ᎻᎪᎡՏᎻ🖋
टी-सीरीज़ की स्थापना 11 जुलाई 1983 को, [13] गुलशन कुमार द्वारा, [14] उस समय दिल्ली के दरियागंज मोहल्ले में एक अस्पष्ट फलों के रस विक्रेता ने