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kavi priyanshu Tiwari katni
शुध्द गंगा नदी नर्मदा ही बनो प्यार मनुहार की संपदा ही बनो देश की बात आये अगर तो सदा बाण तलवार फरसा गदा ही बनो कवि प्रियांशु तिवारी ©kavi priyanshu Tiwari katni शुध्द गंगा नदी नर्मदा ही बनो प्यार मनुहार की संपदा ही बनो देश की बात आये अगर तो सदा बाण तलवार फरसा गदा ही बनो
Vishal Vaid
दर्द में डूबी सदा फिर कानों में जो आई है आसमां ने मोतियों की फिर झड़ी बरसाई है हीरा बन पाना कहाँ आसान है दुनिया में फिर मुद्दतों की तीरगी के बाद में फरसाई है दाद तेरी पा सकूँ, तो मैंने कुछ ऐसा किया बज़्म में अपनी ग़ज़ल फिर ग़ैरों से पढ़वाई है और तन्हा इस से ज्यादा तू बता कितना रहूँ मुझ से अब तो मेरी ये तन्हाई भी उकताई है सब नज़र आता है मुझको हाथ उसका थाम के नूर जो आँखों का मेरे, बेटी वो बीनाई है मैं यकीं किस पे करूँ अब साथ में साया नहीं मेरी अपनी थी कभी, अब गैर की परछाई है कह रही है जाते. जाते प्यार तो बस तुम से है जाने मेरी जीत है ये, या कोई पस्पाई है 2122 2122 2122 212 धुन आप की नज़रों ने समझा गलती/ गलतियों से ज़रूर अवगत कराएं🙏 फरसाई घिसाई, रगड़ाई नूर --रोशनी दीदा -- आँखे बीनाई --- आँखों की
yogesh atmaram ambawale
कुरकुरीत फरसाण त्यात तिखट रस्सा, चव येण्या चटकदार,लिंबू कांद्याचा ही हिस्सा. दिसते आकर्षक कोथंबीर कडीपत्याची भेसळ, पाहून लगेच तोंडाला पाणी सुटते अशी ही चटकदार मिसळ. प्रतियोगिता - ४ - विषय - चारोळी (शुभसंध्या 🙂) नियम व अटींसाठी शब्द सारथी पेज वरील pin केलेली 1st पोस्ट पहावी. धन्यवाद! ✍️🙏 #प्रतियोगिता_4_म
Anita Saini
जद युद्ध की टनकार हुई राणा न हुँकार भरी भाला फरसा आली सेना त्यार करी लहू सुं हळदी घाटी लाल हुई गिनती के राजपूत तुर्क मारया हजार राणा प्रताप नै कर वार पर वार आंख्यां से आगे मौत नाचती देख भाग्या उल्टे पाँव अस्त्र शस्त्र फेंक सोच्या राजपुता सूं जीतनो मेंवाड़ कोनी हँसी खेल कोनी खिलवाड़ शत्रु बी जिनका गुण गाता होवे जद युद्ध की टनकार हुई राणा न हुँकार भरी भाला फरसा आली सेना त्यार करी लहू सुं हळदी घाटी लाल हुई गिनती के राजपूत तुर्क मारया हजार राणा प्रताप
गौरव दीक्षित(लव)
सुनो हे सत्ताधीशों, सुनो हे वर्दी के रखवालों । पीओके फिर ले लेना पहले शाहीनबाग खाली करवा लो ।। घेर रखी है सड़क उन्होंने गिल्लीडंडा खेल रहे हैं । स्कूल बंद मासूमों के पड़ोसी पीड़ा झेल रहे हैं ।। घिर आया है दानव दल चहूं और उदासी छाई है। दिल्ली के दिल पर ये कैसी दानव शाही छाई है ।। ठाकुर बामन गूजर जाट जो कर छाती चौड़ी चलते हैं। बन्द पड़ी सड़को को देख क्यों नही तांडव करते हैं।। भाला फरसा तीर तलवार क्या जंग लगा डाली है सबने । शाखाओं के दण्ड प्रहार क्या मात्र दिखावा है हम सबमें ।। क्यों नही कूच किया अब तक दिल्ली वाले हिन्दू दल ने । रक्त शिराओं में जाम पड़ा है रोका आखिर किस छल बल ने ।। उठो काली के पुत्रो जागो फिर भैरवी का आह्वान करो । करो शाहीन बाग को खाली दिल्ली का कल्याण करो ।। कसम तुम्हे राणा शिवा की कसम राय पिथोरा की। कसम तुम्हे हम तुम सबकी कसम हमारी दिल्ली की ।। गौरव दीक्षित ✍️ सुनो हे सत्ताधीशों, सुनो हे वर्दी के रखवालों । पीओके फिर दे देना पहले शाहीनबाग खाली करवा लो ।। बन्द पड़ी सड़को को देख क्यों नही तांडव करते है
Vijay Tyagi
"तुम्हारे शब्द...शब्द नहीं... चक्रव्यूह है..." शेष अनुशीर्षक में पढ़ें.. 🙏🙏🙏 तुम्हारे शब्द... शब्द नहीं... चक्रव्यूह है... कब इनमें उलझ जाता हूँ मैं जान नहीं पाता हूँ ये शब्द कभी बाण कभी कृपाण कभी बरछी
Divyanshu Pathak
कोई ईद तो कोई अखतीज मनाओ। हो सके तो आपस में तमीज़ बनाओ। सीखो अब लिहाज़ रखना दूसरे का। कोई अज़ान पढो कोई भजन गाओ। छोड़ दो उसको जो कड़वाहट घोले! मीठा खाओ मीठे बोल आज़माओ। वक़्त पुराना जैसा भी था गुज़र गया वो ताक़त का दौर था बुद्धि लगाओ। लूट खसूट के किस्सों को जाने दो! गढ़े मुर्दे उखाड़ दुर्गंध मत फैलाओ। इंसानियत सिखाता है हरेक मज़हब पंछी' अच्छा हो ख़ुद को इंसा बनाओ। कोई ईद तो कोई अखतीज मनाओ। हो सके तो आपस में तमीज़ बनाओ। सीखो अब लिहाज़ रखना दूसरे का। कोई अज़ान पढो कोई भजन गाओ। छोड़ दो उसको जो कड़वाहट घो
Er.Shivampandit
ओक्का बोक्का तीन तलोक्का, फूट गयल बुढ़ऊ क हुक्का। फगुआ कजरी कहाँ हेरायल, अब त गांव क गांव चुड़ूक्का।। ओक्का बोक्का तीन तलोक्का, फूट गयल बुढ़ऊ क हुक्का। फगुआ कजरी कहाँ हेरायल, अब त गांव क गांव चुड़ूक्का।। नया जमाना नयके लोग, नया नया कुल फईलल रो
Vikas Sharma Shivaaya'
दशहरा के मंत्र रावनु रथी बिरथ रघुबीरा-देखि बिभीषन भयउ अधीरा।। अधिक प्रीति मन भा संदेहा-बंदि चरन कह सहित सनेहा।। रावण को रथ और श्रीराम को पैदल देखकर बिभीषन अधीर हो गए और प्रभु से स्नेह अधिक होने पर उनके मन में संदेह आ गया कि प्रभु कैसे रावण का मुकाबल करेंगे। श्रीराम के चरणों की वंदना कर वो कहने लगे। नाथ न रथ नहि तन पद त्राना-केहि बिधि जितब बीर बलवाना॥ सुनहु सखा कह कृपानिधाना-जेहिं जय होइ सो स्यंदन आना॥ हे नाथ आपके पास न रथ है, न शरीर की रक्षा करने वाला कवच और पैरों में पादुकाएं हैं, इस तरह से रावण जैसे बलवान वीर पर जीत कैसे प्राप्त हो पाएगी? कृपानिधान प्रभु राम बोले- हे सखा सुनो, जिससे जय होती है, वह रथ ये नहीं कोई दूसरा ही है॥ सौरज धीरज तेहि रथ चाका-सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका ॥ बल बिबेक दम परहित घोरे-छमा कृपा समता रजु जोरे ॥ इस चौपाई में श्रीराम ने उस रथ के बारे में बताया है जिससे जीत हासिल की जाती है। धैर्य और शौर्य उस रथ के पहिए हैं। सदाचार और सत्य उसकी मजबूत ध्वजा और पताका हैं। विवेक, बल, इंद्रियों को वश में करने की शक्ति और परोपकार ये चारों उसके अश्व हैं। ये क्षमा, दया और समता रूपी डोरी के जरिए रथ में जोड़े गए हैं। ईस भजनु सारथी सुजाना-बिरति चर्म संतोष कृपाना ॥ दान परसु बुधि सक्ति प्रचंडा-बर बिग्यान कठिन कोदंडा ॥ इस चौपाई में प्रभु ने सारथी के बारे में बताया है। जो रथ को चलाता है। ईश्वर का भजन ही रथ का चतुर सारथी है । वैराग्य ढाल है और संतोष तलवार है। दान फरसा है, बुद्धि प्रचण्ड शक्ति है, श्रेष्ठ विज्ञान धनुष है। अमल अचल मन त्रोन समाना-सम जम नियम सिलीमुख नाना ॥ कवच अभेद बिप्र गुर पूजा-एहि सम बिजय उपाय न दूजा ॥ पाप से मुक्त और स्थिर मन तरकस के समान है। वश में किया हुआ मन, यम-नियम, ये बहुत से बाण हैं। ब्राह्मणों और गुरु का पूजन अभेद्य कवच है। इसके समान विजय का दूसरा उपाय नहीं है। सखा धर्ममय अस रथ जाकें-जीतन कहँ न कतहुँ रिपु ताकें ॥ हे सखा (बिभीषन) यदि किसी योद्धा के पास ऐसा धर्ममय रथ हो तो उसके सामने शत्रु होता ही नहीं, वो हर क्षेत्र में जीत हासिल करता है। महा अजय संसार रिपु जीति सकइ सो बीर जाकें अस रथ होइ दृढ़ सुनहु सखा मतिधीर।। हे धीरबुद्धि वाले सखा सुनो, जिसके पास ऐसा दृढ़ रथ हो, वह वीर संसार (जन्म मरण का चक्र) रूपी महान दुर्जय शत्रु को भी जीत सकता है,फिर रावण को जीतना मुश्किल कैसे हो सकता है। सुनि प्रभु बचन बिभीषन हरषि गहे पद कंज एहि मिस मोहि उपदेसेहु राम कृपा सुख पुंज ।। प्रभु श्रीराम के वचन सुनकर बिभीषन प्रफुल्लित हो गए और उन्होंने प्रभु के चरण पकड़कर कहा, हे प्रभु, आपने इस युद्ध के बहाने मुझे वो महान उपदेश दिया है जिससे जीवन के किसी भी क्षेत्र में विजय पाने का मार्ग मिल गया है। ये मंत्र पाकर मैं धन्य हो गया 🙏 बोलो मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 ©Vikas Sharma Shivaaya' दशहरा के मंत्र रावनु रथी बिरथ रघुबीरा-देखि बिभीषन भयउ अधीरा।। अधिक प्रीति मन भा संदेहा-बंदि चरन कह सहित सनेहा।। रावण को रथ और श्रीराम
Amit tiwari
वो कश्मीर हमारा है....!! (कविता अनुशीर्षक में पढ़ें) जहां हुआ करती थी जन्नत वो कश्मीर हमारा है, जिसे ऋषि कश्यप का नाम मिला है वो कश्मीर हमारा है, जहां वागभट्ट का आयुर्वेद है वो कश्मीर हमारा है,