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Neeru Madina
जो यैं दो चार गेल खड़े दिल तैं सलाम है दुनिया का के है बस भौंकण का काम है हां कई दिन होगे कुछ लिखदा नहीं मैं बाकी शब्दां का मेरा होलसेल का गोदाम है ©Neeru Madina गोदाम #Books
Godambari Negi
आँगन गूँजे गीतों से ऋतु बसंत बौराई हे सखि, आँगन गूँजे गीतों से। नार बहार भरी यौवन से, करे समागम मीतों से। मंद सुगंध लिये पवन चली, धरा गगन पर छिटकाती। काली कोयल कूक कूककर, मधुर स्वरों में है गाती।। किंशुक फूल रहा है वन में, कमल खिले हैं सरवर में। जूही चंपा नाच रही हैं, फूल महकते घर-घर में।। आया है उत्सव रंगों का, बाल सखा अति हरष रहे। सत रंगी से रंग झूमकर, आँगन आँगन बरस रहे।। फागुन गीत बजे घर घर में, व्यंजन भी बहु भाँति बने। बाल युवा या हो नर - नारी, रंगों में हैं सभी- सने। मन में है उत्साह भरा अति,प्रिय की राह निहार रहे। प्रेम का रंग भर मन भीतर, स्नेह भरी रसधार बहे।। बैर भुलाकर गले लगाओ, सब मिलकर खेलो होली। खा पीकरके मौज मनाओ, खुश होकर अम्मा बोली। यह त्योहार बड़ा ही प्यारा, रँग से इसे मनाते हैं । कोई बड़ा न कोई छोटा, सबको गले लगाते हैं।। ©Godambari Negi #Holi #होली#गोदाम्बरी#नेगी
#Holi #होली#गोदाम्बरी#नेगी #कविता
read moreShravan Goud
गोदामा-रंगनाथ उत्सव 🙏 गोदामा रंगनाथ उत्सव 🙏 तिरुपति बालाजी 🙏
गोदामा रंगनाथ उत्सव 🙏 तिरुपति बालाजी 🙏
read moreTarun Vij भारतीय
अजीब बात है ना, कि अपनों का पेट भरने के लिए काम करने वाला इंसान कब अपनी नियत भरने में लग जाता है पता ही नहीं चलता ❓ एक मुट्ठी भर अनाज काफी होता है इंसान का पेट भरने के लिए, गोदामों की लूट तो नीयत भरने के लिए होती है... #reality #humannature #truth #freetho
एक मुट्ठी भर अनाज काफी होता है इंसान का पेट भरने के लिए, गोदामों की लूट तो नीयत भरने के लिए होती है... #Reality #humanNature #Truth freetho #Mustread #yqbaba #yqdidi #Freethought #tarunvijभारतीय
read moreJalaj Kumar Verma
बाज़ारो में अक्सर मेरा, कम-कम मोल लगाया जाता... मेरी मेहनत को सरेआम, पानी सा बहाया जाता... मेरे जैसे लाखों से ही, इनकी तो सरकार है बनती... मेरे हक की बातों पर ही मेरा खेत जलाया जाता... मेरी मेहनत... मेरा सोना... बंद गोदामों में पड़ा है... बिल्डर सारे खेत पर, किसान सड़को पर खड़ा है... कविता - जलज कुमार वर्मा ©Jalaj Kumar Verma बाज़ारो में अक्सर मेरा, कम-कम मोल लगाया जाता... मेरी मेहनत को सरेआम, पानी सा बहाया जाता... मेरे जैसे लाखों से ही, इनकी तो सरकार है बनती... मे
श्री कन्हैया शास्त्री जी
मौत को इतना खूंखार पहले कभी नहीं देखा इंसान इतना लाचार पहले कभी नहीं देखा तपते बुख़ार से मरीज़ तो बहुत देखे मगर व्यवस्था को बीमार पहले कभी नहीं देखा मुंह मांगी कीमत लिए न फिरती देखी जनता दवा का कालाबाजार पहले कभी नहीं देखा हस्पतालों में लगते देखे न मजमें मरीज़ो के लाशों का ऊंचा अंबार पहले कभी नहीं देखा हवा को छुपाते देखे न लोग कभी गोदामों में सांसों का कारोबार पहले कभी नहीं देखा कानों में ज़हर घोलती न सुनी मनहूस खबरें खूं से लथपथ अख़बार पहले कभी नहीं देखा किसी आफ़त में आदमी एक दूसरे के प्रति ऐसा गंदा व्यवहार पहले कभी नहीं देखा मौत को इतना खूंखार पहले कभी नहीं देखा इंसान इतना लाचार पहले कभी नहीं देखा तपते बुख़ार से मरीज़ तो बहुत देखे मगर व्यवस्था
मौत को इतना खूंखार पहले कभी नहीं देखा इंसान इतना लाचार पहले कभी नहीं देखा तपते बुख़ार से मरीज़ तो बहुत देखे मगर व्यवस्था
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