Find the Latest Status about ग़ज़ल लिखा हुआ from top creators only on Nojoto App. Also find trending photos & videos about, ग़ज़ल लिखा हुआ.
Deep bawara
तुम्हारी चूत के वलवले हो रहें है हम भी कितने सरफिरे हो रहें है चलो चल के करे चुदाई तुम्हारे चूत के द्वार खुल रहे है ©Deep bawara #Nojoto #YourQuoteAndMine #शेर #शायरी #गज़ल #ग़ज़ल
Deep bawara
तुम्हारी चूत पिघल रही है अब आह भी निकल रही है कब अब होती क्या अच्छे से ठुकाई योनि लंड निगल रही है अब ©Deep bawara #Nojoto #himanshibabra #shyari #गजल #gazal #ग़ज़ल
Jashvant
White दाग़ दुनिया ने दिए ज़ख़्म ज़माने से मिले हम को तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले हम तरसते ही तरसते ही तरसते ही रहे वो फ़लाने से फ़लाने से फ़लाने से मिले ख़ुद से मिल जाते तो चाहत का भरम रह जाता क्या मिले आप जो लोगों के मिलाने से मिले माँ की आग़ोश में कल मौत की आग़ोश में आज हम को दुनिया में ये दो वक़्त सुहाने से मिले कभी लिखवाने गए ख़त कभी पढ़वाने गए हम हसीनों से इसी हीले बहाने से मिले इक नया ज़ख़्म मिला एक नई उम्र मिली जब किसी शहर में कुछ यार पुराने से मिले एक हम ही नहीं फिरते हैं लिए क़िस्सा-ए-ग़म उन के ख़ामोश लबों पर भी फ़साने से मिले कैसे मानें कि उन्हें भूल गया तू ऐ 'कैफ़' उन के ख़त आज हमें तेरे सिरहाने से मिले ©Jashvant ग़ज़ल ( माँ )
K L MAHOBIA
White लगी आग घर में उसे तो बुझा दो। बुझा दीप घर का उसे तो जला दो। कहां से चले थे कहां आ गए हम जगे तम कहर की खबर को छुपा दो। जहां में भले की करो बात हर-दिन इसी से जहां से , बुरे को मिटा दो। खुशी है जहां में न शिकवा शिकायत भली ज़िन्दगी है जहां फिर निभा दो। सज़ा क्या लिखा है उसे तुम मुझे भी लिखी तो नहीं है किसी को वफ़ा दो। मिटा जिंदगी इश्क में आदमी है। उसी आदमी का मुझे तुम पता दो। दवा से बड़ी चीज हमको मिली है। मिटे रोग उसका कि ऐसी दवा दो। ✍️ के एल महोबिया ©K L MAHOBIA #ग़ज़ल - के एल महोबिया
Deep Aviral
Holi is a popular and significant Hindu festival celebrated as the Festival of Colours, Love, and Spring. वो सुनते हैं उनको सुनाते रहना पेड़ों को अपना दुख बताते रहना घटती हो इज़्जत तो घटे मगर तुम उसकी गली से आते जाते रहना ये समझो इक उत्सुक्ता है मुहब्बत तुमने की है सबको कराते रहना हमको मुहब्बत के ये मानी हैं बस चट्टानों को मखमल बनाते रहना ©Deep Aviral #ग़ज़ल
Dr Nutan Sharma Naval
Blue Moon ग़ज़ल रिश्ता गया था टूट,फिर से जोड़ना पड़ा। धागा उलझ गया था,तो वो तोड़ना पड़ा। मेरी समझ न आया लोगों का कुछ मिजाज़। तो खुद का रास्ता ही मुझे मोड़ना पड़ा। अकेली थी मैं और आगे काफिले मिले। सभी निकले दगाबाज उनको छोड़ना पड़ा। जो सोचा नहीं कभी,वही हर बार हुआ है। सबकी पसंद से ही खुद को जोड़ना पड़ा। चाहा जो जिंदगी में,वो मिला कभी नहीं। ना चाहते हुए भी दिल को तोड़ना पड़ा। जब झुक गई हर बार मैं रिश्तों के नाम पर। तो अपनी ख्वाहिशों को मुझे छोड़ना पड़ा। ©Dr Nutan Sharma Naval #ग़ज़ल#रिश्ता#नूतन नवल
Dr Nutan Sharma Naval
ग़ज़ल दुआ मेरी भी अब हो गई कुबूल है। हो गई मुझसे शायद कोई भूल है। जिसने बरसों से मेरा पता न लिया। आना उसका यहां अब बेफिजूल है। बज्म में बैठकर मुस्कुराता था जो। और उसी बज्म का आज मकतूल है. मैने सोचा था अब वो कभी न मिले। कामरानी बहुत और वो मशगूल है। रंज है मुझको उससे मुलाक़ात का। मैं हूं नूतन सा गुल वो इक बबूल है। मकतूल-मारा हुआ कामरानी-कामयाब मशगूल-व्यस्त रंज दुःख ©Dr Nutan Sharma Naval #ग़ज़ल#ग़ज़ल_मन #नितन नवल
Dev Rishi
Village Life वो लिखा ही नहीं..... खुली खेतों की पगडंडी पर मस्ती से चलना धान गेहूं मक्का के शीश को तोड़ फिर वही फेक देना हमने वह भी किया जामुन के पेड़ों पर दिन भर लटकना पर कौन लिखें, ..? वो दिन ....वह बचपना के मस्ती भरी बातें जिक्र अब कर लेते हैं, हां शब्दों में रख लेते हैं पर हम किसी से ये नहीं कह पाते हैं कि...... उन दिनों की याद शहरों में रोज आतें हैं.... जब एक कमरे में दिन की सूय बल्ब हो... गांव छोड़ शहर के किसी मकान में जब घर हो हां ये सच है कि उस कमरे को रूम ही कहते हैं, घर की रौनक वहां कहां, , क्योकि अपना घर तो गांव में होते हैं हमने वो लिखा ही नहीं, जब से शहर ए जाम हाला पीएं है गांव की भूख लगते ही शहर छोड़ गांव की ओर भागे है बहुत छुपाना पड़ता है अपने आप को ...... कुछ झूठी कहानी बतानी पड़ती है अपनों को.... हां इतना बड़े हो जाते हैं कि सब ख़ुद ही देख लेते हैं घर से फ़ोन जब भी आएं सब ठीक है यही सब बतलाते हैं भले दिन औ रात यूं खुले आंखों में बीतें हो सपना और सफ़र कुछ नहीं समझ में आतें हो शब्दों की गाढ़े भी मन को मजबूत न कर पाते हो तब ख़ुद शब्द बन कुछ कहने, लिखने को आतुर हुए है.... फिर भी वह लिखा ही नहीं...... वही जो दर्द ए ताज बनी है.... ©Dev Rishi #villagelife #वो लिखा ही नहीं
Aawaz Zindagi Ki