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Rahul pateriya
खिली खिली सी जुल्फ़ें तेरी मन मचल मचल जाता है,, धड़कनों में इश्क़ का वही संगीत नाम तेरे ही सुनाता है,, व्याकुल हैं ये मौसम सर्द हवा में तेरे गले लगना मुझे याद आता है,, मैं मंद मंद मुस्कुराता हूँ जब साँसों में इश्क गुलाबों सा महक जाता है,, रही पुकार तेरी ही मुझको ये सदियों का काल खंड दर्शाता है,, मैं सांस तेरे बिन नही ले पाता जब तक तेरा चेहरा मुझे नजर न आता है।। साक्षी ही शिव मैं शिव तूँ शक्ति की उपासक❤️❤️ ©Rahul pateriya बढ़ते हुए इश्क़ की गहराइयों मे रहोगे, मैं कहता हूं तुम मेरी परछाइयों में रहोगे।। मैं शिव तूँ शक्ति की उपासक #vacation
Lotus Mali
यह रात का अंधियारा कुछ कहना चाहता है शायद हमें धुंधली यादों के कई नजारों को परछाइयों में भेज रहा है सामने हमारे... https://lotusshayari.blogspot.com/ ©Lotus Mali यह रात का अंधियारा कुछ कहना चाहता है शायद हमें धुंधली यादों के कई नजारों को परछाइयों में भेज रहा है सामने हमारे... -LotusMali https://lot
Srishti Tiwari(Shivi)
मुझे कहां से कहां लेकर आयी ये जुदाई है... क्या मैंने बद्दुआओं में दूरियां ही कमाई है... ©Srishti Tiwari(Shivi) हर वक़्त मुझे बस तेरी याद आयी है मेरी परछाइयों में छिपी तेरी परछाई है। #sris_shivi #Nojoto #nojotoshayari #nojotohindi #nojotoLove stay
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat किरदार में मेरे शतरंज की बाजिया नहीं है गुरुर है , ख़ुद्दारी है, भले अदाकरिया नहीं है हमारे ज़िन्दगी में बस मक्कारियां जालसाजिंया नहीं है। किरदार निभाती अक्स की परछाइयों में सच्चाई सी हर्षिता की परछाइयां वहीं है। #realityoflife #respect #lifequotes #yqbaba #yqsahitya #yqurdu Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat किरदार में मेरे शतरंज की बाजिया नहीं है ग
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat नाकाम रेत की दीवारों पर चिपका ते रहे अपने होने का पैग़ाम भिजवाते रहे हासिल वहीं हुआ जों रेत के महल कभी टीका नहीं करते जो अपने होते है वो कातिल बोला नहीं करते अक्स की परछाइयों में दिल सिल नहीं करते नासूर बाने निशान में शिक्वे गीना नहीं करते वक़्त को देप्लीज ने यहां लाकर छोड़ दिया हम दिल को बोला नहीं करते #cinemagraph #lifequotes #zindagi #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat नाकाम रेत की दीवारों पर चिपका ते रहे अपने होने का पैग
Deepanshu Nihalani
ये दिल भी क्या चीज़ है ना आपका ना हमारा बड़ा ही कम्बख़्त नाचीज़ है गर रखें इसको पल्लू में छुपा के तो झाँक के देखे, ये ऐसा बदतमीज़ है छुप जाए मासूमियत की परछाइयों में बड़े बड़ों का ये बहुत अज़ीज़ है पर जब फ़िदा हो अपनी महबूबा पे कोई पागल आशिक़ तो उन बिचारों की तड़पती रूह का, ये कफ़न जैसा क़मीज़ है ये दिल भी क्या चीज़ है ना आपका ना हमारा बड़ा ही कम्बख़्त नाचीज़ है गर रखें इसको पल्लू में छुपा के तो झाँक के देखे, ये ऐसा बदतमीज़ है छुप ज
Harshita Dawar
Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat नाकाम रेत की दीवारों पर चिपका ते रहे अपने होने का पैग़ाम भिजवाते रहे हासिल वहीं हुआ जों रेत के महल कभी टीका नहीं करते जो अपने होते है वो कातिल बोला नहीं करते अक्स की परछाइयों में दिल सिल नहीं करते नासूर बाने निशान में शिक्वे गिना नहीं करते वक़्त को देप्लीज ने यहां लाकर छोड़ दिया हम दिल को बोला नहीं करते #cinemagraph #lifequotes #zindagi #yqbaba #yqdidi Written by Harshita ✍️✍️ #Jazzbaat नाकाम रेत की दीवारों पर चिपका ते रहे अपने होने का पैग
✍️ लिकेश ठाकुर
प्रेम, मधुर संगीत का अनकहा गान हैं। दिल, में उतर जायें तो,यहीं इक संसार हैं। आँखों, की गुस्ताखियों से उड़ता हुआ ग़ुबार हैं। मन, की चाहतों में,तन का पूरा सिंगार हैं। रूह, की परछाइयों में,दिखता आर-पार हैं। ओठो, की सुर्ख़ लाली,बारिश सी फुहार हैं। कमर, की लचकन में,आकर्षित यहीं चाल हैं। प्रेम, मधुर संगीत का अनकहा गान हैं। केश, लताये रूपी,अहसासों का जाम हैं। धरा, की मिट्टी में,तुझसे ही तो जान हैं। पँछी, उड़ते नभ में,कोयल सी मधुर गान हैं। पैरों, में खनकती पायल,झुल्फों की घनी छांव हैं। प्रेम, मधुर संगीत का अनकहा गान हैं।। ✍️लिकेश ठाकुर प्रेम, मधुर संगीत का अनकहा गान हैं। दिल, में उतर जायें तो,यहीं इक संसार हैं। आँखों, की गुस्ताखियों से उड़ता हुआ ग़ुबार हैं। मन, की चाहतों में,
Sumeet Pathak
हमने बाँधे अपने ख़्वाब है, फूलों के संग तेरे विरह की एक आग है ! सुलझा देना तुम उन्हें कभी उंगलियों संग, लिपटा जो मैं आज हूँ ! ( अनुशीर्षक में ...) DQ : DQC : Completed 5 Years on YourQuote Today ! Thank you YQ , all readers and writers , for making my life so Beautiful , Transcenden
Prerit Modi सफ़र
(पूरी ग़ज़ल कृपया कैप्शन में पढ़े !!) 221 2121 1221 212 आँचल में तू छुपा ले मुझे, डरता हूँ यहाँ माँ दे पनाह मुझ को तू परछाइयों में ही तेरे दिये वो ख़त, हैं मिरे पास हमनवाँ रक्खें हैं ख़त वो सारे तो, अलमारियों में ही मैं मोहताज़ हूँ नहीं, तेरी दी भीख का साँसें गुज़र बसर न हों, लाचारियों में ही इस आग की लपट में तुम मुझ को जलने दो परवानों को तो जलने दो, चिंगारियों में ही होने दो बात अब ये तो खामोशियों में ही दिल को धड़कना है अभी तन्हाइयों में ही है जुस्तजू हयात में हर मोड़ पर यहाँ ये ज़िंदगी है कट रही रुसवाइयों