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shivraj singh7
💫शहरों में समाया गांव 💫 शुद्ध हवा, जल, थल को छोड़, शहरों में समाया गांव। कोई बसने चला शहरों में, तो कोई करने चला पेटो का उपाय। जो कल तक प्यारी लगती, अब उनको लगे है काटो भाय। मै नहीं कहता तुम शहर न जावो, कभी लौट कर वापस तो आवो। गांव के दर्द को तुम क्या जानो, वो रोती, बिलखती रहती है। बच्चों से अलग होकर कोई मा, चैन से कहा वो सोती है। जो कल तक हरी भरी दिखती थी, अब सुखी- सुखी सी रहती है। जो रहती थी हरपल खुशियों से, अब बातो- बातो में रोती है। शहरों में भटकता अपनों को देख, ये दर्द की आहे भर्ती है। गांव की पुलिया, बागीचा अब, सपनो में अपनों के रहती है। जो चले गए शहरों में रहने, उनको याद करके रोती है। इससे पूछो इसके दिल का हाल, ये घुट- घुट कर हरपल जीती है। शिवराज सिंह चकिया (बलिया) #शहरों में समाया गांव#
MYSTERIO
मेरी सांसो में समाया भी बहुत लगता है। और वही शक्स पराया भी बहुत लगता है । और उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है लेकिन. आने जाने में किराया भी बहुत लगता है।। ©MYSTERIO oop मेरी सांसो में समाया। #WorldOrganDonationDay
Mahadev Son
तेरे नाम को हमने अपने मन में बसाया है रूप को तेरे मैंने दिलों दिमाग़ में समाया है दुनिया ढूंढती फिरती तुझको मंदिरों मस्जिदों में हमने तो तुम्हें अपने दिल के एक कोने में छुपाया है ©Mahadev Son दिल में समाया छुपाया है...
Pramod mahar
एक हवा छू के गयी अभी अभी चांदनी पिघल गयी अभी अभी एक तारा बिखरा अभी अभी एक लम्हा थम सा गया अभी अभी ये मुझे क्या हो गया, ये कहां मैं खो गया था अभी पर अब नहीं, अब नहीं, अब नहीं। ....Junooniyat.... ....Pramod Mahar.... अभी अभी अभी अभी ..##Junoooniyat##..
Divyendu Pandey
माना हमेशा एक स्त्री को रघुवीर ने, किया सम्मान फैसलों के सम्मान सिया ने। फिर भी धोबी ने ठहराया था गलत रघुनाथ को, किया था अलग प्राणप्रिया से रघुनाथ को। मर्यादा पुरूषोत्तम बनना आसान नहीं था, मानव जीवन मे संगिनी से जुदा होना आसान नहीं था। किया दोनों ने जीवन को अपने जग को समर्पित, दिया सामाजिक पाबन्दी का मंत्र जग को अर्पित। नमन है रघुवर को मानव समाज का, किया उत्थान संतति पीढ़ी का। राम नाम सगरा संसार समाया🙏
Reetz
वो कत्ल करके मुझे ,हर किसी से पूछते है ये काम किसने किया है ये काम किसका था न था अगर मेरा नसीब तो फिर एहसास किसका था जो रूह तक आके समाया है वो आगाज़ किसका था ©Reetz जो रूह तक आके समाया है..
sai mahapatra
अभी अभी तो बड़ा हुआ था तेरा साथ छूट गया मुझसे अभी अभी तो दुनियां को देखने लगा था तू दूर हो गया मुझसे अभी अभी