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MAHENDRA SINGH PRAKHAR
Life Like दोहा:- बोलो सीता राम सब , बोलो राधेश्याम । यही जगत में सत्य है , भज ले प्यारे नाम ।। बाला जी महराज की , कृपा रहे दिन रात । अब तो उनके भक्त की , बढ़ जाये तादात ।। क्यों लड़ते हो आप अब , लव नगरी लाहौर । लेने दो हमको शरण , वो भी अपना ठौर ।। धाम अयोध्या पास में , बसा लखन पुर देख । जन-जन जपकर राम जी , बदले अपनी रेख ।। चलिये खाटूश्याम जी , जपिये राधे नाम । वही मिलेंगे आपको , अपने राधेश्याम ।। बागेश्वर के धाम में , हो प्रभु की जयकार । सत्य सनातन धर्म के , शास्त्री जी अवतार ।। काया से मत मोह कर , समझ इसे गोदाम । इसके अन्दर ही छिपे , है तेरे श्री राम ।। प्रेमा जी महराज का , सुनता नित सत्संग । जिनसे जीवन में खिला , मेरे भगवत रंग ।। तुझमें मुझमें राम हैं , मत कर ऐसे बैर । चल भगवन से माँगतें , इक दूजे की खैर ।। त्रिकुटा पर्वत पे वहाँ , माता बैठी देख । दर्शन करके हम चलो , बदले अपनी रेख ।। जय कारे महादेव के , करते रहिये आप मिट जायेंगे एक दिन ,जीवन के संताप ।। २१/०३/२०२४ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा:- बोलो सीता राम सब , बोलो राधेश्याम । यही जगत में सत्य है , भज ले प्यारे नाम ।। बाला जी महराज की , कृपा रहे दिन रात । अब तो उनके भक्त क
KHEMPAL SISODIYA MOTIVATIONAL
স্বান্তির পথ
Ravendra
words_of_heart_pa
तुम ऐसा करना कि कोई जुगनू कोई सितारा सँभाल रखना मिरे अँधेरों की फ़िक्र छोड़ो बस अपने घर का ख़याल रखना उजाड़ मौसम में रेत-धरती पे फ़स्ल बोई थी चाँदनी की अब उस में उगने लगे अँधेरे तो कैसा जी में मलाल रखना बिछड़ने वाले ने वक़्त-ए-रुख़्सत कुछ इस नज़र से पलट के देखा कि जैसे वो भी ये कह रहा हो तुम अपने घर का ख़याल रखना ©words_of_heart_pa तुम ऐसा करना कि कोई जुगनू कोई सितारा सँभाल रखना मिरे अँधेरों की फ़िक्र छोड़ो बस अपने घर का ख़याल रखना उजाड़ मौसम में रेत-धरती पे फ़स्ल बोई
एक इबादत
शान ए हिन्दुस्तान लौह पुरूष श्री सरदार वल्लभ भाई पटेल सुना और माना होता तो भारत का भूगोल और इतिहास आज दोनों अलग होता लौह पुरूष की नीति सार से आज के भारत का विस्तार अलग होता जूनागढ़,हैदराबाद की
Nik Katara
हालात कुछ ऐसे हैं कि पूछ नहीं सकता, कहाँ खोई है? क्योंकि यह दूरीयों कि फसल मैंने ही बोई है, वक्त आ गया है काट लूं यह फसल, अगर देर कि तो नुकसान बड़ा होने वाला है। हालात कुछ ऐसे हैं कि पूछ नहीं सकता, कहाँ खोई है? क्योंकि यह दूरीयों कि फसल मैंने ही बोई है, वक्त आ गया है काट लूं यह फसल, अगर देर कि तो नुकस
Hrishabh Trivedi
DDLJ 2.0 Chapter 5:- पंखुड़ी शेष भाग 👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) डाइनिंग टेबल पर लंच करने के लिए तीनों सीता, गीता और सुनीता अर्थात सिमरन, छुटकी और नव्या बैठे हुए हैं।