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मिहिर
White घर पहला घर मां की कोख है फिर जहां मां होती है वो घर होता है मां भी प्रकृति सी होती है और प्रकृति भी मां जैसी स्नेह जहां पनपता है प्रेम जहां पलता है वहां घर है वही घर है कमरे, गांव, शहर या देश घर नही जहां प्रेम है वहां घर है वही घर है!! ©मिहिर #घर
Nimisha Mishra HI
White एक कहावत है और हकीकत भी कि मूर्ख लोग घर बनाते है, और अक्लमंद उसमे किराए पर रहते है .। ©Nimisha Mishra HI #City घर
Dev Rishi
मुस्कुरा चेहरा पे ये बोझ है ज़बान घरो की जिम्मेदारी उठानी तो रोज़ है ©Dev Rishi #जिम्मेदारी #घर
दिनेश
White धरती पे कदम बने रहें यूँ चाह नहीं कि आसमान मिले , पर मैं जब वापस आऊँ घर को सबके चेहरे पर मुस्कान मिले । तुम चिंता क्यूँ करते हो ? मैं मरा नहीं अभी जिंदा हूँ , पर लौटकर घर तो आऊँगा ही अभी बेशक एक परिंदा हूँ । भाई से बस एक भाई मिले न कि एक मेहमान मिले । पर मैं जब वापस आऊँ घर को सबके चेहरे पर मुस्कान मिले । ©दिनेश #Hope घर
Shiv gopal awasthi
ऐसा पढ़ना भी क्या पढ़ना,मन की पुस्तक पढ़ न पाए, भले चढ़े हों रोज हिमालय,घर की सीढ़ी चढ़ न पाए। पता चला है बढ़े बहुत हैं,शोहरत भी है खूब कमाई, लेकिन दिशा गलत थी उनकी,सही दिशा में बढ़ न पाए। बाँट रहे थे मृदु मुस्कानें,मेरे हिस्से डाँट लिखी थी, सोच रहा था उनसे लड़ना ,प्रेम विवश हम लड़ न पाए। उनका ये सौभाग्य कहूँ या,अपना ही दुर्भाग्य कहूँ मैं, दोष सभी थे उनके लेकिन,उनके मत्थे मढ़ न पाए। थे शर्मीले हम स्वभाव से,प्रेम पत्र तक लिखे न हमने। चंद्र रश्मियाँ चुगीं हमेशा,सपनें भी हम गढ़ न पाए। कवि-शिव गोपाल अवस्थी ©Shiv gopal awasthi कविता
Rudra Pratap Singh
मुझे घर बनाने; घर से दूर निकलना पड़ा, और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। हारा हिम्मत; टूटा हौसला कई बार, बेशक! “कुछ दूर और!” कह कर बस चलना पड़ा। थक कर चूर; जब सोया कभी इत्मीनान से, नींद आई नहीं पूरी रात; बस करवट बदलना पड़ा। याद आती रही मां, बाप से दूर होना खलता रहा, मत पूछो, अपनों से दूर हो कितना मचलना पड़ा। और गिरते-गिरते कई बार सम्हलना पड़ा। ©Rudra Pratap Singh मुझे घर बनाने घर से दूर निकालना पड़ा #घर #होली #Festival #holi
Naren K
रात की ठंडी हवा बयांकर हो गई। रात के अंधेरे में, एक अजीब घटना हो गई। एक जोड़ा युवक और युवती, आधे रात को एक कॉलेज में बात कर रहे थे। उन्हें अचानक एक अजीब सी आवाज सुनाई दी। उन्हें संदेह हुआ और उन्हें लगा कि उन्हें भूतों का सामना हो रहा है। सोचते-सोचते उन्हें लगा कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने भूतों का रहस्य बहुत ही सरल दिखाया है। उन्हें भूतों का अज्ञात अनुभव कुछ ही क्षणों के लिए साथ देने वाले अजीब सपने आने लगे। उनके सपने में, एक भयंकर भूत उन्हें उनकी प्रेमिका की ओर दौड़ता हुआ दिखाई दिया। अंधेरे में, उन्हें उनके वज्र दंड से काले आंखे दिखाई दी, लेकिन भूत ने उनकी प्रेमिका को कुछ नहीं किया। वह सिर्फ उनके भय पर धावित हो रहा था.....(पार्ट_1) ©Naren K भूतिया घर...।