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Vedantika
वो कुछ और नहीं बस एक निवाला चाहता था। एक उगते हुए सूरज की तरह चमकना चाहता था। कोई वजह थी नहीं उसके पास जीने की मगर, फिर भी वो बच्चा बस खुलकर जीना चाहता था। जब से भारतीय सिनेमा जगत अस्तित्व में आया तब से लेकर आज तक हर दौर में सामाजिक व्यवस्था की खामियों पर व्यंग्य करती हुई कई फिल्में बनाई गई लेकि
Vikas Sharma Shivaaya'
✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 *मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं* *तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं* *सुबह आठ बजे नौकरियों* *पर जाते हैं* *रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं* *अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं* *अकेले रह कर वह कैरियर बनाते हैं* *कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं* *भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं* *मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं* *अपने नन्हे मुन्ने को पाल नहीं पाते हैं* *फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते हैं* *उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं* *परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है* *केवल आया'आंटी' को ही पहचानता है* *दादा-दादी, नाना-नानी कौन होते है ?* *अनजान है सबसे किसी को न मानता है* *आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है* *टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है* *यूनिफार्म पहना के स्कूल कैब में बिठाती है* *छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है* *नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है* *जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है* *उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है* *कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है* *जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है* *देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता है* *वीक एन्ड पर मॉल में पिकनिक मनाता है* *संडे की छुट्टी मौम-डैड के संग बिताता है* *वक्त नहीं रुकता है तेजी से गुजर जाता है* *वह स्कूल से निकल के कालेज में आता है* *कान्वेन्ट में पढ़ने पर इंडिया कहाँ भाता है* *आगे पढाई करने वह विदेश चला जाता है* *वहाँ नये दोस्त बनते हैं उनमें रम जाता है* *मां-बाप के पैसों से ही खर्चा चलाता है* *धीरे-धीरे वहीं की संस्कृति में रंग जाता है* *मौम डैड से रिश्ता पैसों का रह जाता है* *कुछ दिन में उसे काम वहीं मिल जाता है* *जीवन साथी शीघ्र ढूंढ वहीं बस जाता है* *माँ बाप ने जो देखा ख्वाब वो टूट जाता है* *बेटे के दिमाग में भी कैरियर रह जाता है* *बुढ़ापे में माँ-बाप अब अकेले रह जाते हैं* *जिनकी अनदेखी की उनसे आँखें चुराते हैं* *क्यों इतना कमाया ये सोच के पछताते हैं* *घुट घुट कर जीते हैं खुद से भी शरमाते हैं* *हाथ पैर ढीले हो जाते, चलने में दुख पाते हैं* *दाढ़-दाँत गिर जाते, मोटे चश्मे लग जाते हैं* *कमर भी झुक जाती, कान नहीं सुन पाते हैं* *वृद्धाश्रम में दाखिल हो, जिंदा ही मर जाते हैं :* *सोचना की बच्चे अपने लिए पैदा कर रहे हो या विदेश की सेवा के लिए।* *बेटा एडिलेड में, बेटी है न्यूयार्क।* *ब्राईट बच्चों के लिए, हुआ बुढ़ापा डार्क।* *बेटा डालर में बंधा, सात समन्दर पार।* *चिता जलाने बाप की, गए पड़ोसी चार।* *ऑन लाईन पर हो गए, सारे लाड़ दुलार।* *दुनियां छोटी हो गई, रिश्ते हैं बीमार।* *बूढ़ा-बूढ़ी आँख में, भरते खारा नीर।* *हरिद्वार के घाट की, सिडनी में तकदीर।* *तेरे डालर से भला, मेरा इक कलदार।* *रूखी-सूखी में सुखी,* *अपना घर संसार* अपनी दुआओं में हमें याद रखें 🙏 बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गज की दूरी और मास्क 😷 है जरूरी ....सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ....! विकास शर्मा "शिवाया " जयपुर -राजस्थान "ASTRO सर्व समाधान" ©Vikas Sharma Shivaaya' ✒️📙जीवन की पाठशाला 📖🖋️ 🙏 मेरे सतगुरु श्री बाबा लाल दयाल जी महाराज की जय 🌹 *मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं* *तीस लाख का पैकेज दोनों ही
Kulbhushan Arora
एक दूजे की इज़्ज़त सीख गए करना अगर हम तो रिश्तों का तवाज़न खुद ब खुद बनता चला जाएगा, कैसा यह समाज का अजीब सा बोलबाला है पुरुष कमाता है इसलिए शहंशाह है स्त्री घर में रहती है इसलिए कोई खास मोल नहीं.... चलो करते हैं बराबर दो
@shortsBreak_Offilcial
Sarita Shreyasi
माँ के हृदय ने नेह छलकाने में कभी एक क्षण जो थोड़ा पार्थक्य किया हो, चारों बच्चों की परवरिश में पुतुल ने कभी विभेद नहीं किया। किंतु अपनी गृहस्थी में बोदी की उपस्थिति उसे व्यथित कर जाती। (Read in caption.. 3rd story ) पुतुल, छरहरे गठन की सुंदर, तेज तर्रार युवती। घर-बाहर सब अकेले ही संभालती। बड़े सरकारी अधिकारी थे जमाई बाबू। उन्हें नौकरी से फुर्सत कहाँ होती
Krish Vj
दुर्घटना से देर भली (लघु कथा) {अनुशीर्षक में पढ़े} माँ जल्दी करो, मुझे देर हो रही है, मेरी बस निकल जाएगी । प्रीत नास्ता तो कर के जा बेटा, नहीं माँ, मुझे देर हो रही है । अरे रुक ना, मैं ला रही
Hrishabh Trivedi
पिशाचिनी: पार्ट 2 (कहानी अनुशीर्षक में) Dedicating a #testimonial to Madhumayi जिन्होंने मधु दीदी की कहानी "पिशाचिनी" ना पढ़ी हो वो पहले उसे भी पढ़ लें.......
Hrishabh Trivedi
DDLJ 2.0 Chapter 5:- पंखुड़ी शेष भाग 👉 #hr_ddlj (पहले उन्हें पढ़े) डाइनिंग टेबल पर लंच करने के लिए तीनों सीता, गीता और सुनीता अर्थात सिमरन, छुटकी और नव्या बैठे हुए हैं।
Hrishabh Trivedi
DDLJ 2.0 Chapter 2: Cigarette For chapter1, click here👉 #hr_ddlj एक अंधेरे कमरे में सन्नाटा पसरा हुआ है कि तभी अचानक से एक आवाज़ सुनाई देती है जो कि इस बात का सूचक होती