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Raone
नर पिशाच इंसान को इंसानियत का मतलब पता नहीं, और जात, धर्म की बात करता है । जिसे ख़ुद के बारे में नहीं पता, आज वो मज़हब की बात करता है । राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी नर पिशाच
kanchan Yadav
।।मनोबल ।। " नर हो ना निराश मन को करो , उठ खड़े हो ना हताशा दिल में भरो मंजिलें दूर नहीं , प्रयास तो करो समय ठीक नहीं पर समय के साथ ही रहो , सूरज की चमक को देखा है हर रात के बाद ही उसकी शोभा है डाली से गिरते पत्ते पर नई कोपलों सा पनपता देखा हैं तकलीफे किसको नहीं ये तो सबके हाथों की रेखा है मुरझा गए तो क्या फूलों को फिर से खिलते देखा है ।" kanchan Yadav ✍️ ©kanchan Yadav #Hopeless #नर
PANKAJ KUMAR SINHA
मनुष्य भुल गया वह शिष्य हैं नर नहीं वो नेपथ्य है मादा नहीं वो पथ्य है सत्य नहीं वो असत्य है औषधि नहीं वो आसध्य है। खो जाता मनुज का मन पा जाता दनुज का तन सो जाता लहू और मन प्यासा ही रह जाता तन-मन रह जाता बस कफ़न - कफ़न। नारी ने जन्म दिया, पौरूष ने कर्म दिया नारी ने शिक्षा दिया पौरुष ने स्वेच्छा दिया मां ने सतत सदिच्छा दिया।। नारी ने सहन शक्ति दी पौरुष ने गहन भक्ति दी नारी ने उठना सिखाया पौरुष ने गिरने से बचाया दोनों की श्रेणी अपरंपार।। नमस्कार नमस्कार नमस्कार नर-नारी
Shailesh "saral"
सब कहते हैं नर - रूपी पिशाच मुझे क्या नहीं बची अब मुझ में दया और सहनशीलता क्यों बन गया मैं ऐसा ,कौन है जिम्मेदार? परिस्थितियों का रोना हर बार की तरह क्या रो कर मैं इस बार भी बच पाऊंगा या फिर हो जाऊंगा दूर अपने आपसे लगने वाले नर से दूर संज्ञा- शून्य पिशाच की तरह जिसकी लाल आंखें सिर्फ चलती हैं सिर्फ स्वार्थ रूपी रोटियां तलती हैं और हो जाती हैं मौन ,बेबस औरों की सहानुभूतियों के लिए संज्ञा- शून्य समझ से परे ,असहिष्णु ।। शैलेश सरल ' नर -रूपी पिशाच
Shishpal Chauhan
White नारी बिन नर कुछ भी नहीं, घर संसार कुछ भी नहीं। एक हाथ से ताली बजती नहीं, सुख के बिना दुख नहीं। एक से बनते अनेक, शादी के बाद बन जाते दो जान एक। दोनों एक दूसरे के पूरक हैं, नारी के बिना घर बन जाता नर्क है। ©Shishpal Chauhan #नर और नारी
Saad Ahmad ( سعد احمد )
परेशान इधर नर, परेशान उधर ये नर फ़िर भी ख़ुश सा आता है नज़र ये नर नर बराबर है नारी, सभी का है ये नारा ये तो बताओ किसके है बराबर ये नर कभी बेटा, कभी पति, तो कभी पापा एक उम्र मे करता है कई सफर ये नर सभी को है परवाह कि नारी है परेशान सबकी ये फ़िक्र ठीक है, मगर ये नर? जैसे ही कुछ कहने को आता है कभी रुक जाता है फिर कुछ सोचकर ये नर -Saad Ahmad नर (आदमी ) #InternationalMensday
NG India
धर्म दिखाने स्वाँग बनाकर, भरमा रहे संसार । तज कर कर्ता का आधार ।।टेर।। कर्ता सबका एक अपारा, सब सूरतों का वह भंडारा । देता सबको चेतन धारा, अपने रहता सबसे न्यारा ।। नहीं दिखावा करता वह, तुम क्या दिखलाते यार (1) धर्म एक कर्ता से मिलना, घट के अंतर राह है चलना । स्वाँग बना बाहर ना रुलना , नश्वर जग में नाहिं पिलना ।। अंतर दिल से त्याग करो, क्यों भटक रहे संसार (2) सूरत है स्वामी की धारा, मन तन ऊपर पर्दा भारा । पर्दो ऊपर पर्दे डारा, क्या शोभा देगा बेक़ारा ।। चेत लगो राधास्वामी जाप, नहीं बहो चौरासी धार (3) * राधास्वामी * राधास्वामी प्रीति बानी 6-113 चेत कर नर चेत ।
Anupam Mishra
समानता क्या है? धूल, कंकड़, पत्थर, पहाड़ सबकी अपनी शान है, अपना मान है; हवा, जल, अग्नि सबकी अपनी पहचान है, कौन किससे भला समान है? समान कुछ नहीं यहां सबका बस अपना स्थान है छोटी सी झोपड़ी हो या ऊंची महल अटारी नहीं वो किसी समानता के अधिकारी पर दोनो का एक ही प्रयोजन है, अब भला नर हो या नारी दोनो की अपनी अपनी जिम्मेदारी, इसमें समानता असामनता की बात क्यूं आई? दोनो मिलकर ही तो सजाते जग की क्यारी अब जलाए अग्नि या बुझाए जल, जलाए जल या बुझाए अग्नि सबकी करनी अपनी अपनी, इससे क्या फर्क पड़ता है कि वो कौन से जिस्म में रहता है फल तो सब कर्मों के ही भोगता है। ©अनुपम मिश्र #नर #नारी #समानता #alonesoul