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CalmKrishna
#प्रेम #प्रकृति #वासना #विकृति
kavi manish mann
//दोहा विधा// विकृत सोंच सुधार नहीं,करें अनैतिक काम। काम,क्रोध अति लोभ से,छिड़े नित्य संग्राम। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #collab #collabwithme #विकृति #सोंच #दोष
#मौर्यवंशी_मनीष_मन #Collab #collabwithme #विकृति #सोंच #दोष
read moreAlok Vishwakarma "आर्ष"
ध्यान हटाओ इस विकृत प्रेम से, और लगाओ अपने कार्य में जो तुम्हें करना है समय अनमोल सजा लो प्रेम से, न लगाओ तुम संसार में जहाँ केवल मरना है #प्रेम #विकृति #जीवनधारा #समय #हितैषी #संसार #मृत्यु #ज्ञान
अदनासा-
हे मानव ! सुन मैं प्रकृति हूं, मैं अपनी प्रत्येक आकृति को, पुनः निर्मित कर लूँगी। मानव तू स्वयं की कृति देख, एवं देख स्वयं की दुर्गति, तेरी आकृति विकृत हो रही है। ©अदनासा- #हिंदी #प्रकृति #कृति #धरती #विकृति #मानव #Pinterest #Instagram #Facebook #अदनासा
RAHUL VERMA
वासना मे कच्चे है पर दिल के हम अच्छे है…! #प्रेम #प्रकृति #वासना #विकृति #लफ़्फ़ाज़ #YourQuoteAndMine Collaborating with Anuup Kamal Agrawal Collaborating with Roli Abhilasha Collabora
Parul Sharma
तकनीकी कोई विकास नहीं एक विकृति है जो प्रकृति को रोंधकर और खरोंचकर जीवन को सरल और सुविधाजनक बनने का छलावा दिखाती है पारुल शर्मा तकनीकी कोई विकास नहीं मात्र एक विकृति है जो प्रकृति को रोंधकर और खरोंचकर जीवन को सरल और सुविधाजनक बनने का छलावा दिखाती है
तकनीकी कोई विकास नहीं मात्र एक विकृति है जो प्रकृति को रोंधकर और खरोंचकर जीवन को सरल और सुविधाजनक बनने का छलावा दिखाती है #nojotohindi #TST #Emotionalhindiquotestatic #NojotoTopicalHindiQuoteStatic
read moreBhupendra Rawat
दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है आधुनिक यंत्र की इस दुनिया में और जीत लेना चाहता है सम्पूर्ण विश्व को इन आधुनिक यंत्र से उसे खुद से अधिक विश्वास है खुद के बनाये गए यंत्र पर क्योंकि मनुष्य जो चाहता है वही करती है, वो मशीने लेकिन शायद भूल गया है हर एक मनुष्य कि वो बनता जा रहा है गुलाम धीरे धीरे खत्म करता जा रहा है खुद को,और बढ़ता जा रहा है एक नई दुनिया की ओर जो उसे ले जा रही है मानसिक विकृति की ओर वही मानसिक विकृति जिसका शिकार हो रहे है आप,मैं,और हम सब भूपेंद्र रावत 27।07।2020 दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है आधुनिक यंत्र की इस दुनिया में और जीत लेना चाहता है सम्पूर्ण विश्व को इन आधुनिक
दुनिया के सभी बंधन से मुक्त होकर स्वयं को क़ैद करना चाहता है आधुनिक यंत्र की इस दुनिया में और जीत लेना चाहता है सम्पूर्ण विश्व को इन आधुनिक #DesertWalk
read moreRavi Shankar Kumar Akela
किसी पदार्थ या प्राणी का वह विशिष्ट भौतिक सारभूत तथा सहज और स्वाभाविक गुण या तत्त्व जो उसके स्वरूप के मूल में होता है और जिसमें कभी कोई परिवर्तन या विकार नहीं होता। ' विकृति ' इसी का विपर्याय है। जैसे-(क) जन्म लेना और मरना प्राणी मात्र की प्रकृति है। (ख) ताप उत्पन्न करना और जलाना अग्नि की प्रकृति है। ©Ravi Shankar Kumar Akela #adventure किसी पदार्थ या प्राणी का वह विशिष्ट भौतिक सारभूत तथा सहज और स्वाभाविक गुण या तत्त्व जो उसके स्वरूप के मूल में होता है और जिसमें क
#adventure किसी पदार्थ या प्राणी का वह विशिष्ट भौतिक सारभूत तथा सहज और स्वाभाविक गुण या तत्त्व जो उसके स्वरूप के मूल में होता है और जिसमें क #पौराणिककथा
read moreNisheeth pandey
अनहोनी भटके हादसा की राह जीवंतता चटके विकृति के राह प्रेम हुए व्याकुलता से वृष्टिपात एक जीवन हुए सहमा भयवित जाने कैसी अनहोनी दशतख दी.... एक अधूरी उम्र फंसी बाधाओं के जाल में हँसती जिंदगी करवट ली चीख़ में आत्मा शोक का चादर ओढ़ ली यादे लहूलुहान तन मन अब सुलगती राख ओढ़ ली जाने कैसी अनहोनी दशतख दी...... 🤔#निशीथ 🤔 ©Nisheeth pandey अनहोनी भटके हादसा की राह जीवंतता चटके विकृति के राह प्रेम हुए व्याकुलता से वृष्टिपात एक जीवन हुए सहमा भयवित जाने कैसी अनहोनी दशतख दी.... ए
अनहोनी भटके हादसा की राह जीवंतता चटके विकृति के राह प्रेम हुए व्याकुलता से वृष्टिपात एक जीवन हुए सहमा भयवित जाने कैसी अनहोनी दशतख दी.... ए #horror #Anhoni #septembercreators
read moreनितिन कुमार 'हरित'
तन नहीं, दशमुख रावण मन, जलता है हर साल । क्यूंकि तन की उपज है क्रिया, जो है क्षणिक..! और मन की उपज है सोच.... चिर अतिप्रबल..! इसीलिए सालों साल, शरीर नहीं जलते, जलती हैं विचार धारा, और पुतले होते हैं केवल प्रतीक... कैसी दशहरा, जो विकृति, मन से हटाई ना गई, जलते रहे, पुतले यूं हीं, और सोच जलाई ना गई। रावण भीतर है, जला डालिए... Happy Dussehra !! - Nitin Kr. Harit तन नहीं, दशमुख रावण मन, जलता है हर साल । क्यूंकि तन की उपज है क्रिया, जो है क्षणिक..! और मन की उपज है सोच.... चिर अतिप्रबल..! इसीलिए सालों स
तन नहीं, दशमुख रावण मन, जलता है हर साल । क्यूंकि तन की उपज है क्रिया, जो है क्षणिक..! और मन की उपज है सोच.... चिर अतिप्रबल..! इसीलिए सालों स #विचार #nkharit #NitinDilSe
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