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Anisha Kiratkarve
White दुखामध्ये माझी माय,तरी हसते ग गाली उन्हामध्ये तिचे लेकरू तिच्याकडे ग पाही.... किती सोसल्या यातना किती आहे तिचे कष्ट तरी सर्वांचे करत गेली ना झाली कधी रुष्ट.... ना उरले काही तिच्या आयुष्यात गोष्ट आहे अशी, जगते ती बापाविणा काय माहित कशी.... विचारते माझी माय बापाविन तुझ्या मी कशी राहू, जग दुनिया दिसते मला सारी पण त्यांना कुठे पाहू.... उरामध्ये तिच्या दडलेले आहेत अश्रु अनेक, दुःख तिचे हलके करते,तिची लाडाची मी लेक..... ©Anisha Kiratkarve #sad_quotes माझी माय....
#sad_quotes माझी माय....
read moreNarinder Jog
White अब जो बाजार में रखे हो तो हैरत क्या है। जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है। राहत इंदौरी ©Narinder Jog #sad_shayari #Shayari #Love #शायरी #लव #ग़ज़ल #Poetry
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read moreNarinder Jog
White ये चली हैं जो अंधियां, फ्रैबों की तेरे अंदर। आंधियों का रुख बदलने का हुनर है मेरे अंदर। ये मत सोच लेना के मैं चुप करके बैठ गया, अभी है चिंगारी सच्चाई की मेरे अंदर। नरेंद्र जोग ©Narinder Jog #sad_quotes #Shayari #Love #ग़ज़ल #शायरी
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read moreChanchal Chaturvedi
green-leaves सुनो मुझे तुम से पूछना है की.... तुमने बीज़ रूपी अधूरे नज़्मों की जो फ़सल अपने मन के काग़ज़ पर बोई हैं.... क्या मुझे मेरी परवाह के पानी, भरोसे की खाद और चाहतों की रौशनी से सींच कर हरी—भरी पूरी ग़ज़ल बनाने का हक़ दोगे क्या? ©Chanchal Chaturvedi #ग़ज़ल #Chanchal_mann #Dream #Shayari #Love #GreenLeaves
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read moreprashant farrukhabadi
White इश्क़ मुक़म्मल हो मैं ये वादा नहीं करता हद से ज्यादा मैं खुद से इरादा नहीं करता । तू तो मुझको अपनी जान समझती है किस मुंह से कह दूं कि नाता नहीं रखता। बड़ी फरेबी है दुनिया सारी खुद को समझा ले इश्क़ में रहकर कोइ शादी का वादा नहीं करता। ©prashant farrukhabadi #sad_shayari #SAD ##ग़ज़ल
sad_shayari SAD #ग़ज़ल
read moreकवी - के. गणेश
White माये..... ----------------------------- घराच्या पिढीजात उंबऱ्यात कित्येक माय भगिनींचा गुदमरलेला होता श्वास, अपमानाचे घाट ओलांडताना दगड, शेण अंगावर झेलून खुलं केलंस मोकळं आकाश... छळणाऱ्या, पोळणाऱ्या रुढींशी वाघिणीसारखी झुंज देऊन निर्माण केलीस समतेची वाट, तुझ्याच पाऊलावर पाऊल ठेवत तुझ्या असंख्य लेकींनी गर्दी केलीय अफाट.... परंपरेचं काटेरी कुंपण व्यवस्थेशी झगडा देऊन मोठ्या हिमतीने तोडलंस, "मनु" नं उराशी कवटाळलेल्या त्या विषमतावादी क्रूर धर्माचं पार कंबरडं मोडलंस..... कुणी विमानात, कुणी चंद्रावर कुणी राष्ट्रपतीच्या मानद खुर्चीवर आज भगिनी दिमाखाने मिरवतात, तूच त्यागातून शिकवलेले स्त्री-पुरुष समानतेचे धडे मोठ्या कुतूहलाने गिरवतात... माये तू पेटवलेला न्यायचा दिवा कोणत्याही धर्माच्या वादळात आता कधीच विझणार नाही, तू निर्माण केलेल्या वाटेवरील तुझ्या पावलांचे चिरकाल ठसे पुढे कधीच बुजणार नाही.........!! ----------------------------------------------- ©कवी - के. गणेश माय सावित्री
माय सावित्री
read moreLalit Saxena
हमने ख़ुद को ज़िंदा जलते देखा है रोशन दिन आँखों में ढलते देखा है सांस-सांस पीर कसमसाती रहती मुर्दा सपने पांवपांव चलते देखा है उगते सूरज के जलवे देखे हर दिन उदास शाम को भी उतरते देखा है ख़्वाहिशें, सारे ही रंग उतार देती है उम्रदराज़ को भी, मचलते देखा है दरवाजे पर नहीं कोई दस्तक हुई हर सुब्ह उन्हें वैसे गुज़रते देखा है दिन बुरे हों, तो ये दरिया भी सूखे बुलंदियों को भी, बिखरते देखा है ©Lalit Saxena ग़ज़ल
ग़ज़ल
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