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SAHIL WARSI (BATTAMIJ £ONDA)
जने हशीन थी और फूल चुन के लाती थी मै शेर कहता था वो दास्ता सुनाती थी मुनाफीको को मेरा नाम जहर लगता था वो जानबुझ के गुस्सा उन्हे दिलाती थी साहिल से दूर रहो लोग उसे कहते थे वो मेरा सच है बहोत चीख कर बताती थी साहिल ये लोग तुम्हे जानते नही है अभी गले लगा के मेरा हौसला बढ़ाती थी उसे किसी से मुहब्बत थी और वो मै नही था ये बात मुझसे ज्यादा उसे रुलाती थी मै उसके बाद कभी ठीक से नही जागा वो मुझको ख्वाब नही नींद से जगाती थी हिंदी लहू था रगो मे बदन सुनहरा था वो मुस्कुराती नही थी दिये जलाती थी ✍BATTAMIJ£ONDA मेरी नई ग़ज़ल
Prem Narayan Shrivastava
बहुत गंवाया मैंने तेरी बेखुदी से कभी शोहरत मिली तो कभी बदनामी मिली सिर्फ तेरी नाकामी से हमने न कभी चाहा था तेरी दुनियां से जुदा होना मगर क्या करूं आप तो खफा थे मेरी नादानी से हाल अब बद से बदतर हुआ जा रहा है तुझसे दिल लगाने से नुकसान ही हुआ मेरी नादानी से गैरों से धोखा खाए तो हम संभल गए मगर दोस्ती कर दुश्मनी क्यूं ये न समझ सके अपनी खामी से चाहें तो ठुकरा दें मर्ज़ी है आपकी मगर कब तक ज़ुल्म जमा होगा अब हम न करेंगे शिकवा तुम्हीं से बगावत का इल्म हममें नहीं क्या पता था वो दौर भी आएगा जब सामना होगा इक दूजे की नाकामी से 🐱मेरी इक स्वरचित ग़ज़ल बेकरार दिल की पेशकश🐱 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक नई ग़ज़ल बेकरार दिल की पेशकश
Prem Narayan Shrivastava
दिल से अगर फरमान कभी मेरे पास आएगा मेरा दिल मेरा ईमान बन कर तेरे पास जाएगा कुफ्र ए इश्क से अब कोई रोक नहीं सकता दिल मेरा तस्स तस्सवुर आबाद किए बगैर तेरे पास जाएगा दर्द की शिद्दत पास ए वफा की इज्जत हम करते हैं दिल मेरा हमदाद बन कर तेरे पास आएगा मैं अक्सर तेरी गली से गुजरता हूं ये सोच के एहसास तेरा ख्वाब बन कर मेरे पास आएगा ख्याल भी तेरी तरफ जाकर लौट आए नाकाम ए दिल का सुरुर ये कि कभी तू मेरे पास आएगा 🐱🐱मेरी स्वरचित ग़ज़ल तमन्ना ए दिल🐱🐱 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी स्वरचित इक नई ग़ज़ल की पेशकश #Saffron
Kalicharan Saxena 'Dhool'
क्या है उसकी अजब कहानी पता नहीं है कब तक अपना दाना पानी पता नहीं है ***************************** रावण और सिकंदर कितने चले गए हैं हो गई सबकी खत्म कहानी पता नहीं है ****************************** जल्लादों, कातिलों और शैतानों का भी क्यों होता चेहरा इंसानी पता नहीं है ****************************** अब इंसानों की बस्ती में डर लगता है कब हो जाएगी कुर्बानी पता नहीं है ****************************** हमको सब दिखते हैं अब भगवान यहां कब तक चलेगी ये शैतानी पता नहीं है ****************************** हर कूचें, गली, मोहल्ले में हमने देखा है कहां गई वो प्रीत पुरानी पता नहीं है ******************************* कितना अत्याचार बढ़ गया दुनिया में अब कब आओगी मातु भवानी पता नहीं है ******************************* ''धूल'' धूल को धूल समझ कर बैठा है हम भी हैं पक्के सिर दानी पता नहीं है ©Kalicharan Saxena 'Dhool' ग़ज़ल नई रचना #Sunrise
Prem Narayan Shrivastava
हाल ए गम जान कर पलकों की ओट में छुपा ले गया मुझे यानि लोगों की नजरों से बचा ले गया मुझे इस हालात को अपनी हार कहूं या अपनी जीत रूठा हुआ था कई रोज से वो आकर मना ले गया मुझे मुद्दत तक खुद को इक जानदार लाश सा समझता रहा मगर जिस रोज तू मिला चुरा ले गया मुझे किसी के आने जाने से कोई फर्क नहीं उस रोज तो गजब हुआ कहीं से तू आया उड़ा ले गया मुझे इक रोज़ तूफान के मंजर में घिर कर टूट चुका था अचानक दरिया अपने रुख से बहा ले गया मुझे मुद्दत बाद तुझे जी भर कर देखा तो हंसी लब पे आ गई मगर तू अपना हमख्याल बना कर ले गया मुझे 😍😍मेरी इक और नई ग़ज़ल यादों का कारवां😍😍 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक और नई ताजा ग़ज़ल की पेशकश #Roses
Lalit Rang
एक नई ग़ज़ल आपकेएक नई ग़ज़ल आपके हुजूर ©Lalit Rang एक नई ग़ज़ल आपके हुज़ूर
Prem Narayan Shrivastava
ये हमारी भी कैसी मजबूरी थी तुमसे शिकवा कर नहीं सकते ज़ख्म भी दिए तूने हजार मगर कह नहीं सकते थे ये तुम्हारी गलतफहमियां है बेवफा की राह हमें मंज़ूर है मगर शायद मालूम नहीं खिलाफत कर नहीं सकते थे हम पे जो गुजरी है खुदा करे तुझ पे न गुज़रे कभी दिल भी तोड़ दोगे तो बद्दुआ कत्तई हम दे नहीं सकते थे वो दिन कितने मनहूस थे जब मुसीबत की रातें गुजारी थी तेरा रुतबा परख कर हम अर्ज़ कर नहीं सकते थे रात था मै कश्मश में इस कदर की तन्हा के आलम में अहल दिल मुश्किल में है क्या करूं कह नहीं सकते थे 😍मेरी इक और नायाब ग़ज़ल दर्द ए ज़िन्दगी😍 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक नई ग़ज़ल #holdmyhand
Prem Narayan Shrivastava
रात भर तन्हाइयों से जी बहलाता रहा दिन भर ख्वाबों के शहर में भटकता रहा और तुझको ढूंढता रहा कितने बेचैन जज़्बों की खुशबू में दिल को महफूज़ किया सितम ये की ख्वाबों में तुझको ढूंढता रहा हर मोड़ पे दूर से चाहने वाले भी हमें मिले जरूर फिर भी तुझसे फासला मिटाने खातिर तड़पता रहा मेरी आहट का खबर लेने वाला न कोई दिल था न दुनिया में कोई रस्ता नतीजा मै बेवजह भटकता रहा तुझसे रू ब रू होकर कोई हर्फ अदा करने से फायदा क्या बेवफाई अब वफा की तरह दिल लगाता रहा इक तू ही तो था कि न झुकने दिया कभी मुझको तमाम उम्र मै भी तेरे ही ख्याल ए ख्वाब में तड़पता रहा 🐯मेरी इक नई ग़ज़ल मिजाज ए बेकसी🐯 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक नई ग़ज़ल मिजाज़ ए बेकसी की पेशकश #YouNme
Prem Narayan Shrivastava
हमारे राह में आई रुकावट कम कीजिए गर हो सके तो आंगन की दीवार ही कम कीजिए इक तो वफा हमारी फिर भी ये दूरियां एहसान जताने खातिर इक दीवार ही कम कीजिए जो पीछे रह गए उनकी न फिक्र कीजिए गर आप आगे हैं हमसे रफ्तार ही कम कीजिए मोहब्बत गंवारा नहीं तो इंकार कीजिए फिर भी मुनासिब हो इजहार ही कम कीजिए जो देखे थे कभी ख्वाब हमने वो रुकसत हो गए गर हो सके अपना दीदार ही कम कीजिए 🐱🐱मेरी इक नई ग़ज़ल पैमाना ए उल्फत🐱🐱 ©Prem Narayan Shrivastava मेरी इक नई ग़ज़ल पैमाना ए उल्फत की पेशकश #Sky