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Stories related to अनैच्छिक पेशियाँ

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Ravikant Mishra

Thought of a girl.....after move on ये फर्क़ जो पड़ता है ना, ये हमे उबरने नहीं देता पर जीवित व्यक्ती की, एक अनैच्छिक क्षमता भी है, जो हमे हम #Reality #SAD #yqbaba #yqdidi

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तेरा चले जाना तकलीफ देता था बहुत,
अब मगर कुछ महसूस नहीं होता, न जानें क्यों?!

बरसो की थी मिन्नतें की तुझसे फ़र्क़ न पड़े, 
अब जो वो नहीं पड़ता तो कोई सुकून भी नहीं मिलता न जाने क्यों?!
हर रोज तलाशती थी वो कोना जहाँ यादें भी न भटके तेरी,
अब सारा घरौंदा मेरा है, मगर चैन नहीं पड़ता फिर भी न जाने क्यों?!

हर शाम ढूँढती थी वो राहत भरे पल, की मुस्कुरा पाऊँ कभी तो तेरे बिन,
 अब मगर मुस्कुराने को जी नहीं करता, न जाने क्यों?!

हर दोपहर देखती थी घड़ी के काटों को, 
तुझे भूलने की आस में,अब उनसे मन नहीं बहलता न जाने क्यों?!
हर सुबह चाहती थी न आये तेरी याद आज मुझे
, अब जो नहीं आती तो दिन नहीं गुजरता न जाने क्यों?!

हर रात लड़ती थी तन्हाई से, की आँसूं ना लाये फिर से वो आँखों में मेरी, 
और अब रोये बिना दिल को राहत नहीं पड़ता, न जाने क्यों?! Thought of a girl.....after move on
ये फर्क़ जो पड़ता है ना, ये हमे उबरने नहीं देता
पर जीवित व्यक्ती की, एक अनैच्छिक क्षमता भी है,
जो हमे हम

Ravikant Mishra✨

Thought of a girl.....after move on ये फर्क़ जो पड़ता है ना, ये हमे उबरने नहीं देता पर जीवित व्यक्ती की, एक अनैच्छिक क्षमता भी है, जो हमे हम #Reality #SAD #yqbaba #yqdidi

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तेरा चले जाना तकलीफ देता था बहुत,
अब मगर कुछ महसूस नहीं होता, न जानें क्यों?!

बरसो की थी मिन्नतें की तुझसे फ़र्क़ न पड़े, 
अब जो वो नहीं पड़ता तो कोई सुकून भी नहीं मिलता न जाने क्यों?!
हर रोज तलाशती थी वो कोना जहाँ यादें भी न भटके तेरी,
अब सारा घरौंदा मेरा है, मगर चैन नहीं पड़ता फिर भी न जाने क्यों?!

हर शाम ढूँढती थी वो राहत भरे पल, की मुस्कुरा पाऊँ कभी तो तेरे बिन,
 अब मगर मुस्कुराने को जी नहीं करता, न जाने क्यों?!

हर दोपहर देखती थी घड़ी के काटों को, 
तुझे भूलने की आस में,अब उनसे मन नहीं बहलता न जाने क्यों?!
हर सुबह चाहती थी न आये तेरी याद आज मुझे
, अब जो नहीं आती तो दिन नहीं गुजरता न जाने क्यों?!

हर रात लड़ती थी तन्हाई से, की आँसूं ना लाये फिर से वो आँखों में मेरी, 
और अब रोये बिना दिल को राहत नहीं पड़ता, न जाने क्यों?! Thought of a girl.....after move on
ये फर्क़ जो पड़ता है ना, ये हमे उबरने नहीं देता
पर जीवित व्यक्ती की, एक अनैच्छिक क्षमता भी है,
जो हमे हम

Shruti Gupta

राह मेरी भिन्न हैं, पर तुम भी निर्भीक नहीं। मेरी क्षमता से तुम्हारी तीव्रता कम-अधिक नहीं। मैं व्यथा की बेड़ियाँ तो तुम गरल हुए सखा, हर घड़ी #Inspiration #yqbaba #हिंदी #yqdidi #हिंदी_कविता #bestyqhindiquotes #तुम_मै_नहीं

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राह मेरी भिन्न हैं,
पर तुम भी निर्भीक नहीं।
मेरी क्षमता से तुम्हारी
तीव्रता कम-अधिक नहीं।

जीत यह तुम्हारी है,
तुम बिना ये तय नहीं।
ध्यान दो, तुम तुम ही हो,
हे मित्र, तुम मै नहीं!

( पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़े...!) राह मेरी भिन्न हैं,
पर तुम भी निर्भीक नहीं।
मेरी क्षमता से तुम्हारी
तीव्रता कम-अधिक नहीं।

मैं व्यथा की बेड़ियाँ
तो तुम गरल हुए सखा,
हर घड़ी

amar gupta

राह मेरी भिन्न हैं, पर तुम भी निर्भीक नहीं। मेरी क्षमता से तुम्हारी तीव्रता कम-अधिक नहीं। मैं व्यथा की बेड़ियाँ तो तुम गरल हुए सखा, हर घड़ी #Inspiration #yqbaba #हिंदी #yqdidi #हिंदी_कविता #bestyqhindiquotes #तुम_मै_नहीं

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राह मेरी भिन्न हैं,
पर तुम भी निर्भीक नहीं।
मेरी क्षमता से तुम्हारी
तीव्रता कम-अधिक नहीं।

जीत यह तुम्हारी है,
तुम बिना ये तय नहीं।
ध्यान दो, तुम तुम ही हो,
हे मित्र, तुम मै नहीं!

( पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़े...!) राह मेरी भिन्न हैं,
पर तुम भी निर्भीक नहीं।
मेरी क्षमता से तुम्हारी
तीव्रता कम-अधिक नहीं।

मैं व्यथा की बेड़ियाँ
तो तुम गरल हुए सखा,
हर घड़ी

gudiya

#Travel हिम गिरि के उत्तुंग शिखर पर, बैठ शिला की शीतल छाँह। एक पुरुष, भीगे नयनों से, देख रहा था प्रलय प्रवाह। नीचे जल था, ऊपर हिम था, #Poetry #nojotohindi #nojotoLove #nojotoenglish #nojotoshayari

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"कामायनी" - जयशंकर प्रसाद
(चिंता सर्ग)

©gudiya #Travel 

हिम गिरि के उत्तुंग शिखर पर, 
बैठ शिला की शीतल छाँह। 
एक पुरुष, भीगे नयनों से, 
देख रहा था प्रलय प्रवाह। 

नीचे जल था, ऊपर हिम था,

Gaurav Christ

क्या आपको पता है, आप जो भी कुछ सोचते हो; वह हमारे भौतिक जीवन में प्रकट होता जाता है। शायद आप किसी बुरी परिस्थिति, कर्ज या बीमारी के विषय मे

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Aprasil mishra

मित्रता कौन जाने कैसी होती है. कभी मित्रता आदर्शों की सिरमौर होती है तो कभी अविश्वासों की उपन्यास. न जाने इस एक ही जि #SocialMedia #experience #Hindi #friends

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" हमारे सोशल मीडियाई लम्हें  ..... (०२) "

 
                      मित्रता कौन जाने कैसी होती है. कभी मित्रता आदर्शों की सिरमौर होती है तो कभी अविश्वासों की उपन्यास. न जाने इस एक ही जि
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