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Kumar Vimal
zindagi agar ek kahani si hoti toh kuch ras hum bhi bhar dete padhne wale bhi yeh sochte kash aisi zindagi hum bhi jete ©Kumar Vimal #Zindagi #Ek #kahani #Kuch #Ras #Bhar #Padhne #Sochte #jete #kumarvimal
vivekanand
White life is a golden opportunity.some persons didn't understand the situation.so they're losing the house of happy. ©vivekanand poem
poem
read moreMayank Kumar
White एक छोटे से गांव में एक लड़की रहती थी, जिसका नाम रिया था। रिया का सपना था कि वह बड़ी होकर एक प्रसिद्ध लेखिका बने। गांव में पढ़ाई के साधन बहुत कम थे, लेकिन रिया ने हार नहीं मानी। वह हर रात चाँद की रोशनी में बैठकर लिखती और किताबों के पन्नों में अपने सपनों को तलाशती ©Mayank Kumar #poem
Sam
जिस गली में प्रेम रस बरसा ना हो, ऐसी कोई गली नजर नहीं आती। ऐसा कोई नहीं..., जिसने प्रेम रस को ना पिया हो, ऐसी कहीं से कोई खबर नहीं आती? धीरे से चटका जब शीशा पूरी तरह, फिर चटकने की आवाज भी नहीं आती। ©Sam #prem ras
#Prem ras
read more@howToThink
White "आइए महसूस करिए जिंदगी की ताप को मैं चमारों की गली में ले चलूंगा आपको....... ---------- गांव जिसमें आज पांचाली उघाड़ी जा रही, या अहिंसा की जगह नाथ उतारी जा रही, है तरसते कितने ही मंगल लंगोटी के लिए, बेचती है जिस्म कितनी कृष्णा रोटी के लिए" ---- अदम गोंडवी ©Chiranjeev K C #poem
Jeetal Shah
Unsplash गुजरा हुआ जमाना कभी नहीं आएगा, वो बाग बगीचे में खेलना, वो कागज की नाव बनाना, वो दादी की कहानी सुनकर एक नई सीख लेना, वो दुरदर्शन पर चुहे बिल्ली का कार्टून देखना, वो मिकी और मीनी की जोड़ी का आनंद उठाना, गुजरा हुआ जमाना था बहुत ही निराला, पर आज का भी जमाना कम नहीं नई टेक्नोलॉजी से जुड़ गए सभी। ©Jeetal Shah #poem
Neeraj Neel
Unsplash खुशियां तकिया के सिरहाने होंगी , आशीर्वाद के ईटों से सजी दीवारें होंगी खिड़कियों में धूप सजती होगी, घर में बुजुर्गों की दुआ बस्ती होगी। अब दूर कहीं नहीं चलना होगा , एक सिर पर छत अपना होगा। हम खुशियां सारी बटोर लाएगे, हम घर में अपने सपने सजाएंगे। हम घर में रोज दीप जलाएंगे , घर आंगन में चांद तारे उतार लाएगे। अब चेहरे में एक आराम होगा , मेरे घर के दरवाजे में अब अपना नाम होगा। हा अपना नाम होगा। ✍️ नीरज नील ©Neeraj Neel poem
poem
read moreAndaaz bayan
!झांसी की रानी लक्ष्मी बाई! स्वप्न अनोखा देखा था,चर्चा में उनको सुन रखा था। बोली मुझसे,निडर बनो,डर के आगे कभी ना झुको।। देख उनकी वेशभूषा,तलवार चांदी सी चमकी थी। बांधे कपड़े से लाल(पुत्र)को पीछे,शत्रुओं की काल बन बैठी थी।। किस्से और कहानी में नाना साहेब,तात्या टोपे,कुंवर सिंह आदि नामो सहित, एक वीरांगना ब्रिटिश हुकूमत पर भारी थी। देखा उनको मैं चकित हुई,आई स्वप्न में झांसी की रानी लक्ष्मीबाई थी।। बहादुर साहसी निडर,दृढ़ संकल्पी,और बुद्धिमान थी। सच्ची योद्धा,शक्ति की प्रतीक देश की वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई थी।। ना घुटने टेके,ना घबराई थी,ब्रिटिश हुकूमत के आगे बिल्कुल भी नही डगमगाई थी। (1857)प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजों को धूल चटाई थी,"मैं झांसी किसी कीमत पर भी नहीं दूंगी", ये मन में उन्होंने ठानी थी।। करारा जवाब,अंग्रेजों को ललकार,बर्बरतापूर्ण नीतियों के खिलाफ,देना था। ओजस्वी तेजस्वी रानी लक्ष्मी बाई ने,दत्तक पुत्र के साथ झांसी का राजदरबार संभाला था।। नारी वो धुरंधर है जो,आकाश को भी चुनौती दे सकती है। अपने पर जब वो आ जाए तो,इंसान क्या यमराज से भी लड़ सकती है।। होती रहेगी,जय जयकार युगों युगों तक धरती पर वीर गाथाओं में । शत्रुओं पर भारी थी,सिंहनी-सी रानी झांसी की,जब उतरी रण मैदान में।। ✍🏻 ©Andaaz bayan #Jhansi #veer #RaniLaxmiBai #Dream Hinduism poetry lovers
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