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नवनीत ठाकुर
आसमान खुद झुककर सलाम करता है, हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते। अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं, किसी की बंदिशों का सामना नहीं करते। खुद पर यकीन, किसी और पर गुरूर नहीं करते, सपनों को सच करने का खुद ही दूर नहीं करते। ऊंचाई पर जुनून का घर बसता है, परिंदे हैं, मगर फिजूल का शोर नहीं करते। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर आसमान खुद झुककर सलाम करता है, हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते। अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं, किसी की बंदिशों का सामना
#नवनीतठाकुर आसमान खुद झुककर सलाम करता है, हम किसी किस्मत का दस्तूर नहीं करते। अपनी मेहनत से सारा जहां बदलते हैं, किसी की बंदिशों का सामना
read moretheABHAYSINGH_BIPIN
Village Life अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है। चल पड़ा हूँ वापस पगडंडी पर, बस्ती से दूर, एक छोटा सा गांव है। जहाँ सुकून की मिट्टी से गंध उठती है, और सपनों का आकाश साफ़ है। ढूंढ रहा है हर कोई शहर में बसेरा, पर वहाँ भी ज़िंदगी कहाँ आज़ाद है। शोर में खो जाती है पहचान अपनी, बस भीड़ में रह जाता एक फरियाद है। लौट आओ अपनों के बीच, अभी वक्त है, ज़िंदगी छोटी है, किसे सरोकार है। रिश्तों की गरमाहट को महसूस कर लो, फिर न कह सकेगा दिल, ये जो अंगार है। शहर के शोर में सब कुछ खो जाता है, पर दिल सुकून तो अपनों में ही पाता है। थोड़ा ठहरो, जरा संभालो इन पलकों को, क्योंकि यादें ही अंत में हमारा संसार हैंl ©theABHAYSINGH_BIPIN #villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
#villagelife अकेले बसर करनी है ये लंबी ज़िंदगी, यहाँ अब किसका इंतज़ार है। रिश्तों की गरमाहट बराबर नहीं होती, कहीं धूप है, तो कहीं छांव है।
read moreHimanshu Prajapati
खामोशियों से घिरा रहा मैं, एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद कर दिया जिंदगी को..! ©Himanshu Prajapati #findyourself खामोशियों से घिरा रहा मैं, एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद कर दिया जिंदगी को..! #36gyan #hpstrange
#findyourself खामोशियों से घिरा रहा मैं, एक बदतमीजी ने शोर-ए-आजाद कर दिया जिंदगी को..! #36gyan #hpstrange
read moreनवनीत ठाकुर
कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब खुद को समझ लिया, तो फिर ताल्लुुक़ में क्या है। ज़िंदगी के मोड़ों पे, ग़म और खुशी की छाँव मिली, मगर जब हकीकत सामने आई, तो फिर ख्वाबों में क्या है। तोड़ने चले थे हर तारा, अपने आसमान से, मगर जब खुदा मिला, तो फिर इस तलाश में क्या है। ©नवनीत ठाकुर #नवनीतठाकुर कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब
#नवनीतठाकुर कभी खो जाने का डर था, फिर भी ढूंढते रहे, जब रौशनी मिली, तो फिर अंधेरों की सजा क्या है। हम नहीं चाहते थे कोई इनाम या शोर, पर जब
read moreनवनीत ठाकुर
लफ्ज़ों का शोर किसी को भी देता है सुनाई, मगर खामोशी में जो बात छुपी हो, वही होती है सच्चाई। ताकत अपनी दिखाने के लिए जो मचाते हैं शोर, वो अंदर से खोखले और होते हैं कमजोर। ©नवनीत ठाकुर #लफ्ज़ों का शोर किसी को भी देता है सुनाई, लेकिन खामोशी में जो बात छुपी हो, वही होती है सच्चाई। ताकत अपनी दिखाने के लिए जो मचाते हैं शोर, व
#लफ्ज़ों का शोर किसी को भी देता है सुनाई, लेकिन खामोशी में जो बात छुपी हो, वही होती है सच्चाई। ताकत अपनी दिखाने के लिए जो मचाते हैं शोर, व
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White मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों पर क्यों नहीं मुस्कान भला? एक शोर उठता है, रह-रह कर जो, आख़िर खुद में ही क्यों दबा? ढूंढता हूँ, फिर भागता हूँ, सवालों का कभी जवाब नहीं मिला। गिरता हूँ, उठता हूँ और फिर चलता हूँ, मन में लिए कितने सवाल चला। कितनों से बात की मैंने, कितनों को बेहतर सलाह दी। मिला दे मुझे खुद से या रब से, एक मकसद को डर में फिरा। सुना, गुनाह रब माफ़ करते, मंदिर मस्ज़िद को निकला। माफ़ कर सकूँ पहले खुद को, खुद से मैं अब तक खुद नहीं मिला। ©theABHAYSINGH_BIPIN मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
मन मेरा अशांत क्यों है भला, आख़िर क्यों है ज़ुबां सिली? कुछ बोलकर भी चुप हूँ मैं, अधरों पर क्यों सवाल खड़ा? नयन रूखे से लगते हैं अब, लबों प
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