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"Kumar शायर"
एक जरुरी सुचना, कोरोना महामारी के कारण अगर किसी व्यक्ति का अपने गृह स्थान पर निरन्तर विश्राम करने से उस व्यक्ति के शरीर में किसी भी प्रकार की पीड़ा उतपन्न हो रही है, तो वह व्यक्ति अपने निकटम चौराहे पर खुले वातावर्ण में पुलिस द्वारा लगाए गए शिविरों पर जा कर, अपने शरीर और गालो की मसाज करा सकते है, यह सेवा सभी के लिए बिलकुल निशुल्क है, जो कोई इस्थानीए निवासी इस सेवा का लाभ उठाना चाहते है, तो यह सेवा भारत सरकार और राज्य सरकार के अथक प्रयासों और पुलिस के समस्त कार्य सदस्यों के द्वारा बिलकुल निशुल्क प्रदान की जा रही है, इच्छुक नागरिक इस सेवा का जल्द से जल्द लाभ उठाए, यह याचिका जनहित में जारी, रचना निर्माता :- उमेश कुमार #कोरोना याचिका
MANJEET SINGH THAKRAL
MANJEET SINGH THAKRAL
पहले #PMOIndia फिर #SBI ने #PMCaresFund की सूचना देने से मना किया अब केंद्र ने मुंबई हाई कोर्ट से कहा कि पीएम केयर फंड के संबंध में #RTI याच
kavi manish mann
तारीख पर तारीख बदलते देखा है, उस मां को एक ही जन्म में कई बार मरते देखा है। ऐसे वकीलों को जीने का नहीं अधिकार, जो पैसे की लालच में ज़मीर बेचता है। समय पर न्याय न हो तो वो अन्याय हो जाता है।ऐसे अन्याईयों को भी फांसी दो जो इनका सपोर्ट करते हैं वकील और कई बड़ी हस्तियां जो इन्हे बचा रहीं ह
SURAJ आफताबी
यूं सर - ए - मैदान - ए - विग़ा दिल का लगाना नहीं अच्छा और दस्तूर है रज़्म-ए-निगाह में निगाह चुराना भी नहीं अच्छा कभी दाम-ए-अशर्फी,कभी सुकुं-ए-कलेवर पर बिकती है जवानियां बड़ी रंगीन जहरीली आबो-हवा है, यूं पै उठा बाहर जाना नहीं अच्छा जो सिर बड़े उठ रहे हक़ को, उन्हें काटने की तालीम हुई है हुक़ुक़-उल-इबाद का यूं जुबां का हिलाना नहीं अच्छा सुन ओ मेहरुन्निसा जरा सलीके से खोला करो अपने अब्सारों की मधुशाला अपने हालात - ए - खस्त दीवाने को यूं रोज-ब-रोज पिलाना नहीं अच्छा तिरी भी चर्चा हो रही तलवारों की नोक पर, मिरे इश्क़ के किस्सों में भी मची हलचल ज़माने की ख्वाहिश हुई है, तिरा मुझे बुलाना नहीं अच्छा, मिरा आना नहीं अच्छा और भी संगीन मुद्दे हैं निहां आंचल-ए-मखलूक में 'आफताबी' सिर्फ़ तेरा मोहब्बत का ही फ़साना सुनाना नहीं अच्छा ग़ज़ल 😊 सर-ए-मैदान-ए-विग़ा -- युद्ध के मैदान के बीच रज़्म-ए-निगाह -- नजरों की लड़ाई दाम-ए-अशर्फी -- सिक्कों/पैसों के दाम पर सुकुं-ए-कलेवर
सुसि ग़ाफ़िल
याचिकाएं सब खारिज़ होगी दायरे से भी बात भारी होगी खुद ब खुद तुम जिम्मेदार और गवाह दुनिया सारी होगी चैन से सोना भी बेचैन होगा कमबख्त दिल की ललकारी होगी होगी फिर छोटी सी गलती जिम्मेदारी बहुत भारी होगी नाम ले लिया अब जुबां पर तुमसे मिलने की भी तैयारी होगी फर्क नहीं पड़ता जरा सा भी दोबारा तुम पर मरने की तैयारी होगी एहसास के बादलों की घटा पहले से भी घनघोर घटा काली होगी देखो दुनिया वाले तुम शौक से देखो दोबारा उसे चाहने की बेसब्र तैयारी होगी | रचना का मूल स्त्रोत Namita Chauhan 🍁 याचिकाएं सब खारिज़ होगी दायरे से भी बात भारी होगी खुद ब खुद तुम जिम्मेदार और गवाह दुनिया सारी होगी
OMG INDIA WORLD
Contd.... Story ©OMG INDIA WORLD Drugs Case: क्रूज़ ड्रग्स मामले में गिरफ्तार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को 20 अक्टूबर तक जेल में ही रहना होगा. Drugs Case: क्रूज़ ड्रग्स
MANJEET SINGH THAKRAL
देश के इतिहास में ये पहला ऐसा दौर है... जब रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार की बात करने वालों को "#देशद्रोही" कहा जाने लगा है। अब देश की जनता को तय करना है कि "देशद्रोही" कौन है वो जो आपके के हको के लिए लड़ रहे है या वो जो देश को धर्म - जाति, नफरत के द्वारा बांट देना चाहते है और अंधत्व धारण करवा कर चंद पैसे वाले रसूखदार लोगो का गुलाम बना देना चाहते है। सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका इस पर भी लगाई जानी चाहिए कि किसी भी व्यक्ति को ये अधिकार किसने दिया कि वो देश के किसी भी नागरिक की देशभक्ति और निष्ठा पर बिना वजह उंगली उठाये (वो भी केवल इसलिए क्योंकि वो सत्ता के गलत फैसलों और आम नागरिक के हितों के लिए आवाज़ उठा रहा है) और उसे "देशद्रोही" , "पाकिस्तानी", "खालिस्तानी", "आतंकवादी", "नक्सली" आदि जैसे शब्दों से संबोथित करे।। #जयहिंद #जयभारत।। ©MANJEET SINGH THAKRAL देश के इतिहास में ये पहला ऐसा दौर है... जब रोटी, कपड़ा, मकान और रोजगार की बात करने वालों को "#देशद्रोही" कहा जाने लगा है। अब देश की जनता को
vishnu prabhakar singh
'तीन तलाक' सम्बन्ध विच्छेद के १४०० वर्ष अघाती,अमानवीय और अब असंवैधानिक अनैतिक यत्न का अभूतपूर्व अभ्यास असंतुलित पर जीवित और अब अन्याय राजतंत्र,समाजतन्त्र और गणतंत्र की चुनौती औचक,अडिग और अब अभद्र परिवारवाद पर मानव निर्मित प्रथम प्रलय आशाविहीन और अकाल्पनिक स्थिति और अब असंतोष (अनुशीर्षक में जारी ) अनैसर्गिक पहचान कमी और जीविका हत्या आंशुओ,अत्याचारों को लिए अकेला और अब असहज पुरुष प्रधान समाज का नारी कामयुक्ति करण अपारम्परिक और दबाब से