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kavi manish mann
होली के त्योहार में, लगे गले मन मीत। क्रोध भाव को छोड़कर,करे प्रीत ही प्रीत। करे प्रीत ही प्रीत, बने राधा सी गोरी। अंग अंग में रंग, लगाए चोरी चोरी। बोले ’मन’ कविराय,मिले सारे हमजोली। पिये भंग हैं मग्न,झूमकर खेलें होली।। #कुंडलियां #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #yqdidi #होली #holi
kavi manish mann
वृक्षों से जीव जगत के, वृक्ष से ये संसार। यदि वृक्ष न हों जगत में,तो जीवन बेकार। तो जीवन बेकार, सुनो जग के नर नारी। मानसून बेकार, रहे चहुंँ ओर अकाली। बोलें ’मन’ कविराय,सुनो जी बात हमारी। वृक्ष लगाओ हजार,रहे न फिर अकाली।। कुंडलियां प्रथम प्रयास #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #पेड़ #वृक्ष
Uma Vaishnav
कुंडलियां - छंद *************** पावन मन को हम करे, लेकर हरि का नाम। सुबह शाम हरि को भजे, यही हमारा काम।। यही हमारा काम, जपना हरि को हमेशा। जहां कृष्ण का जाप , वहां नहीं रहे क्लेशा।। भज मन हरि को रोज, सुखी रहे ये जीवन। जप कर हरि का नाम,करे हम मन को पावन।। *******************************************'' ©Uma Vaishnav #कुंडलियां
दिनेश कुशभुवनपुरी
कुंडलियां छंद: पीले पत्ते पीले पत्ते की तरह, जीवन उड़ता नित्य। हरी भरी जब स्वांस है, नहीं संभाले कृत्य॥ नहीं संभाले कृत्य, सदा बनते अभिमानी। अहंकार की सेज, सजा करते मनमानी॥ कह दिनेश कविराय, उम्र भर रहे हठीले। ढली शाम को देख, हुए सम पत्ते पीले॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #कुंडलियां_छंद #पीले_पत्ते
दिनेश कुशभुवनपुरी
कुंडलियां छंद: जीवन के अनमोल क्षण जीवन के अनमोल क्षण, कटुता में मत काट। दुर्भावों की खाइयां, मिल–जुल कर ले पाट॥ मिल–जुल कर ले पाट, मिटाकर खार शत्रुता। बढ़े प्रेम विश्वास, जहाँ हो मान – मित्रता॥ कह दिनेश कविराय, सभी का हो निश्छल मन। हटे हृदय से मैल, बने तब सुंदर जीवन॥ ©दिनेश कुशभुवनपुरी #कुंडलियां_छंद #जीवन_के_अनमोल_क्षण
Uma Vaishnav
कुंडलियां - छंद **************** पैसा बीना #कुछ_नहीं, मतलब के सब लोग। बिन मतलब के भक्त भी, नहीं लगाते भोग।। नहीं लगाते भोग , प्रभु से मांगते रहते। पूरा हो हर काम , प्रभु से बस यही कहते।। जानू ना ये बात , उमा ये पैसा कैसा। देता नाते तोड़ , पास जब ना हो पैसा।। ©Uma Vaishnav #कुंडलियां #kuchnahi
kavi manish mann
जीवन के हर मोड़ पर, मिले खुशी भरपूर। लक्ष्य तुम्हारे पूर्ण हो, हर संकट हों दूर। हर संकट हों दूर, बने प्रभु राम सहायक। नभ सा हो आयाम,शीश हो कर रघुनायक। बोलें “मन” का आज,तन मन और अंतर्मन। हे प्यारे “आकाश”,मिले सुख सारा जीवन। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #कुंडलियां_मन
kavi manish mann
गलियों में घर गांँव के, बीते हैं दिन-चार। भूख मिटाने के लिए, छोड़ दिया घर-बार। छोड़ दिया घर बार, चला परदेश कमाने। शिक्षा हुई बेकार, चला वो फर्ज़ निभाने। बोले 'मन' कविराय,बात कुछ हमरी सुनियो। भटके वो लाचार,शहर में गलियों-गलियों।। #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन
kavi manish mann
// सियासत// सियासी दांव-पेंच में, फंसे कृषक भरपूर। कुछ लोगों के हाथ में, बिकने को मजबूर। बिकने को मजबूर,सियासत आंख दिखाए। सरकारी संपत्ति, बेचकर लाभ बताए। बोले 'मन' कविराय, कहें खुद को सन्यासी। करते हैं व्यापार, लगाकर दांव सियासी। #मौर्यवंशी_मनीष_मन #कुंडलियां_मन 💝💝 #सियासत
kavi manish mann
//कुंडलियां// सियासी दांव-पेंच में, फंसे कृषक भरपूर। कुछ लोगों के हाथ में, बिकने को मजबूर। बिकने को मजबूर,सियासत आंख दिखाए। सरकारी संपत्ति, बेचकर लाभ बताए। बोले 'मन' कविरय, कहें खुद को सन्यासी। करते हैं व्यापार, लगाकर दांव सियासी। #कुंडलियां_मन #मौर्यवंशी_मनीष_मन #सियासत #paidstory