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Kishore Nallanchakravartula
एक घटना ये तब की बात है जब मैं दिल्ली में कार्यरत था। अपनी घरवाली और बच्चे को ससुराल से लेकर आ रहा था। हम दिल्ली सेंट्रल स्टेशन पहुंचने वाले थे। मेरी पत्नी फ्रेश होने बाथरूम गई थी और अचानक मेरा छोटा सा हीरो मेरे करीब आया और उसने पूछा "केला खाओगे"। मैने कहा "अभी नहीं बेटा घर जाने के बाद खाऊंगा"! वो चुपचाप खिड़की से बाहर देखने लगा । थोड़ी देर के बाद वो फिर मेरे करीब आया और बोला "केला खाओगे"। मैने कहा नहीं बेटा अभी नहीं घर जाके खाऊंगा। इस तरह तीन चार बार उसने यही सवाल किया और मैंने भी वही जवाब दिया। अंत में उसने दो उंगलियां अपने मुंह की तरफ दिखाई और बोला "केला खाओगे"। और मेरी समझ में आया कि केला उसको खाना था। भूख लगी थी और उसे केला खाओगे ही बोलना आता था। ©Kishore Nallanchakravartula ,#घटना
Samar Rao
मैं अपने देश की सेवा करते हुए शहीद हुआ हूँ मगर मेरे रब की कसम मै अपनी जगह से एक इन्च भी नहीं हिला हू जय हिंद सच्ची घटना
Dr.Laxmi Kant trivedi (lucky)
#Encounter बहुत ही बेखौफ है दरिन्दे इन में भी खौफ लाइये कुछ दिन जो पहले हुआ उसे फिर से दुहराइए इन्सानियत के नाम पर जो भी कलंक हो उनको भी इस जमीन पे ज़िन्दा ही दफनाए या सीधे जहन्नुम का रास्ता दिखाइए बलात्कारी वैसे भी इंसान नहीं है वो इंसान के रूप में शैतान छिपे है फिर उपर से पीड़िता को जिन्दा जलाना इनको ना मिलेगा नर्क मैं भी ठीकना हे राम के अनुयायी इनकी भी ख़बर लो करो खेल खत्म इनका तड़पाके मौत दो उन्नाव घटना उन्नाव घटना #
Writer Veeru Avtar
युक्रेन और रसिया के बीच हो रहे युद्ध से सभी लोग भली भाँति परिचित हैं.और इस समय भारत की स्थिति किसी के भी पक्ष में नहीं है.. याद करो, भारत-पाक 1971 का युद्ध, उस समय पाकिस्तान के साथ अमेरिका, श्रीलंका और भी कई देश खड़े थे, और भारत अकेला ही था और पराजय की कगार पर खड़ा था, ऐसे में रूस ने ही अमेरिका जैसे कई देशों से दुश्मनी लेकर भारत का साथ दिया (सैन्य ताक़त और हथियारों से) ,,, रूस ने अपनी सच्ची मित्रता का परिचय दिया था... सोचिये जरा, अगर चीन ने पाकिस्तान को उक्साकर(जैसे अमेरिका ने युक्रेन को उक्साया है),भारत से फिर से युद्ध कराने के लिये खड़ा कर दिया(इतिहास दोहराने के लिये) और पाकिस्तान को सैन्य और हथियारों की भी सहायता कर दी,, और सिर्फ इतना ही नहीं ईरान, तुर्की जैसे कई देश भी पाक के साथ खड़े हो गए तो क्या होगा,, क्या रूस से भारत मदद ले सकेगा और अगर भारत विनती भी करता है रूस से तो क्या रूस साथ देने आयेगा.. भारत सरकार को इस विषय पर भी सोचना चाहिये.. ©Writer Veeru Avtar सच्ची घटना
motivational writter Surendra kumar bharti
सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग 2 बजे का टाइम था । मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां खान डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है । ©Surendra kumar bharti सच्ची घटना
ARUN KUMAR
एक तस्वीर है मेरे पास जो (घटना) यू ही कट जाएगी उम्र, किसी का दिल ना दुखाया करो, दो पल में क्या हो जाये, उसका भी अंदाजा लगाया करो, बुरे बक्त में जो काम आये , उसका एहसान कभी ना भुलाया करो, औऱ दोस्त हो या दुश्मन, घर आये तो गले से लगाया करो। अरुण राजपूत की कलम से---- ©ARUN KUMAR घटना #AdhureVakya
Sumit R Das
कुछ लोग कैंडिल मार्च करेंगे हफ्ते दस दिन शोक मनायेंगे कवि लेखक साहित्यकार अपने शब्दों से आवाज उठायेंगे फिर सब भूल जायेंगे जो जैसा चलता रहा वैसा ही चलेगा कोई कानून नहीं आयेगा नेतागण बस संसद में चिल्लायेंगे हाथरस घटना
motivational writter Surendra kumar bharti
सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग 2 बजे का टाइम था । मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोकता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां खान डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है । ©Surendra kumar bharti सच्ची घटना
motivational writter Surendra kumar bharti
सच्ची घटना की कहानी हमारे जीवन के रास्ते का वो इक मंजर जो आज भी याद आता रहता है एक बार की बात है । कि मैं अपनी गाड़ी लोडर से लखनऊ से आगे महमूदा बाद जा रहा था । रात लगभग 2 बजे का टाइम था । मैं गाड़ी में सिर्फ अकेले म्यूजिक लगा कर गाने सुनते गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । महमूदा बाद लगभग 25 किलो मीटर बचा होगा रास्ता बिल्कुल वीरान था चारो तरफ बस काली रात का भयानक सन्नाटा और जानवरों की वो ख़ौफ़नाक आवाजें दूर दूर तक कोई नजर नही आ रहा था । मैं अपनी धुन में गाने गुनगुनाते हुवे चला जा रहा था । तभी अचानक दूर सड़क धुंधली लाइट में दो काली परछाईं सी नजर आती है । कोई दूर हांथ हिलाकर कर हमें रोकने की कोशिश कर रहा था । मैं काफी डर गया की इतनी रात को कौन होगा । धीरे धीरे वो वो काली परछाईं इंसान के रूप में नजर आने लगी तभी देखता हूँ की इक औरत अपनी गोद में इक बच्चा लिए हांथ हिलाकर मुझे रोक रही मैं डरा सहमा सा धीरे से अपनी गाड़ी रोता हूं । तभी वो औरत मेरे पास आकर रोती हुवी बोलती है । भईया मेरे बच्चे का एक्सीडेंट हो गया है मैंने देखा उस औरत की गोद में इक बच्चा था जिसके सर में चोट लगी थी । फिर हमने उस औरत से कहा हम इस रास्ते पर नए है । हमें नही मालूम की यहां कहाँ डॉ. मिलेंगे तभी वो औरत बोली यहाँ से थोड़ी दूर पर ही एक डॉ. हैं उन्हीं के पास जल्दी चलिए हमनें भी देर ना करते हुवे गाड़ी को जल्दी से वहां से बढ़ा लिया । लगभग 5 किलो मीटर चलने के बाद एक अंधेरा मोड़ आता है औरत बोलती है हमसे की भईया बस मोड़ से मोड़ लीजिये बस 100 मीटर पर डॉ. का घर है । हमने भी गाड़ी मोड़ी और थोड़ी देर चलने के बाद देखा की दूर इक घर दिखाई दे रहा था । लेकिन वहां दूर दूर तक बस पेड़ ही पेड़ थे किसी दूसरे घर का नामोनिशान नही था मैं काफी डरा और उस औरत से पूछने के लिए जैसे ही सर घुमा कर देखता हूँ तो वो औरत और बच्चा दोनों गाड़ी में नही थे । मैं बहोत डर गया और फिर आगे की तरफ देखाता हूँ तो वहां वो जो घर दिख रहा था वो घर भी नही था । मैं और भी डर गया । मैंने डरते डरते गाड़ी घुमाई और वहां से वहां से गाड़ी भगाते हुवे महमूदा बाद ना जाकर सीधे घर चला आया । लेकिन वो मंजर आज भी अगर याद आ जाता है दिल दहल सा जाता है । दोबारा अगर उस तरफ जाना होता है तो मैं दिन दिन ही अपना काम खत्म करके चला आता हूँ । लेकिन वो मंजर आज भी आंखों के सामने घूमता रहता है । ©Surendra kumar bharti सच्ची घटना