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Prince_Siddharth
Poonam bagadia "punit"
Sonu Goyal
Pragya Nema
सिन्टु सनातनी "फक्कड़ "
Babli Gurjar
कोशिशों के काफिले अंजाम तक जा पहुंचे हैं हम चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले पहुंचे हैं चांद मामा हैं बड़ी दूर के हम उनकी भी गोदी में जा बैठे है जय हिन्द जय भारत का शंखनाद ब्रह्मांड में बजा बैठे हैं बबली गुर्जर ©Babli Gurjar शंखनाद
अशेष_शून्य
रक्तरंजित इस भूमि पर पल्लवित मुस्कान होंगी कंटकों को सींचती भी बेटियां बागवान होंगी।। ©अशेष_शून्य रक्तरंजित इस भूमि पर पल्लवित मुस्कान होंगी कंटकों को सींचती भी बेटियां बागवान होंगी खींची लीक को मिटाती शीश गौरव से उठाती मिट्टी का स्वाभिम
खामोशी और दस्तक
हर घर तिरंगाहर घर तिरंगा चहूं ओर तिरंगा क्या केवल एक आवाज है? ना ये युद्ध के पहले ही विजय का शंखनाद है। कुछ ऐसा ही सोचा होगा हमारे देश के वीर सपूतों ने यही तिरंगा आंखों के सामने आता होगा जब-जब हमारे निहत्थे भाइयों और बहनों की हिम्मत टूटती होगी हां यही तिरंगा देता होगा हौसला फौलादी क्रांतिकारियों को, इसी तिरंगे की खातिर मांए हंसते-हंसते भेजती होंगी अपने जिगर के टुकड़ों को ये जानते हुए भी कि एक बार घर से निकलने के बाद उनके बच्चों का वापस आना निश्चित नहीं है, खुशी खुशी निकली होंगी बहनें ये जानकर भी की उनकी अस्मत की बाहर कोई कीमत नहीं है।लेता होगा जब भी कोई देशभक्त अंतिम सांस, होती होगी अंतिम इच्छा वो लहराए तिरंगा चख ले मातृभूमि स्वतंत्रता का स्वाद । कुछ ऐसा ही सोचते होंगे हमारे देश के वीर जवान जब देखते हैं वो तिरंगा करते हैं मां भारती को प्रणाम। होती होगी उनकी भी ख्वाहिश हर बार, छू ले तिरंगा धरती,जल और आकाश। अकेले नहीं हैं वो किसी युद्ध में, नहीं हारनी उन्हें हिम्मत,पूरा देश खड़ा है जब वो देंगे एक आवाज।होगा हर जवान की आंखों में अब भी यही सपना हर ओर दिखाई दे तिरंगा चाहे वतन हो गैर या अपना। क्या कुछ ऐसा ही हम नहीं सोच सकते? क्या एक ख्वाब हम नहीं देख सकते? ख्वाब एक हो जाने का धर्म,जात,निज स्वार्थ से ऊपर उठ जाने का। चारों दिशाओं से एक स्वर में राष्ट्रगीत गाने का ,हम भारतीय हैं और एक है क्या ये सही वक्त नहीं है विश्व को बताने का। आंख उठाकर देख भी लो गर तुम अब मेरी माटी को हर घर इसका है रक्षक चाहे कोई धर्म या जाति हो शहीदों का, जवानों का समर्पण, अनकहे दिवानों का है हुंकार है ये विजय शंखनाद है ये सम्मान तिरंगे का ©खामोशी और दस्तक हर घर तिरंगा चहूं ओर तिरंगा क्या केवल एक आवाज है? ना ये युद्ध के पहले ही विजय का शंखनाद है।
Writer Rupak Verma