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RV Chittrangad Mishra
अमरगढ़ की अमर गाथा चित्रांगद की कलम से खून से लतपथ ये है इतिहास अपने अमरगढ का, जिनको वर्णित करने में हर शब्द मेरे रो दिये है | है नमन उन वीरों को जो खून से सींचे अमरगढ़, और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | सन अट्ठारह सौ अट्ठावन तारीख अट्ठारह नवंबर, की बताने जा रहा हूं आंसू में डूबी कहानी | अंग्रेजों और देश के दीवानों का वो युद्ध भीषण, वीरों के लहू के रंग मे थी रंगी राप्ती की पानी | क्रूर अंग्रेजों ने जब बर्बरता से कहर ढाई, खौल उठा खून वीरों के हृदय का हिंदुस्तानी | बांध माथे पर कफन सेना फिर बल्लाराव जी की, बढ़ चली आगे छुड़ाने गोरों से अपनी गुलामी | जान का परवाह ना कर लड़ रहे थे वीर सैनिक, अंग्रेजों की गोलियों से आज इनका सामना था | हम जिएं या ना जिएं परवाह ना इस बात की थी, देश हो आजाद हर इक जुबां पर ये कामना था | देखना मुमकिन ही नही सोंचना भी जिसको मुश्किल, ऐसे हादसों सबने सीने से लगा लिया | हाथ को भी हाथ ना दिखाई दे वो अंधियारा, ऐसे में हाथों ने हथियारों को उठा लिया | घाट उतारा मौत के ग्रैफोर्ड कमाण्डर को वीरों ने, कब्र इसकी अमरगढ में आज भी इसकी निशां है | कर्नल कॉक्स और रोक्राफ्ट फिर सेना लेकर घेर लिया, सैनिकों को गोरों की बढ़ा गोलियों से सामना है | लड़ते लड़ते सैनिकों की सांस अब रूकने लगी थी, हाय रे क्या दृश्य होगा हो गया पतझड़ अमरगढ | देश के अस्सी दिवाने जान का बलिदान देकर, अमरगढ़ के नाम पर वो कर दिये खुद को समर्पण | जो बचे थे वीर कूदे जां बचाने राप्ती में, देख उनके काले बालों को गोरों ने मारी गोली | दे दिया वीरों ने अंतिम सांस भी इस अमरगढ को, देश की आजादी खातिर खून से खेले थे होली | है नमन उन मांओ को जिन आंचल में ना लाल लौटा, रह गया आंचल सिमट उस आंचल को शतशत नमन है | है नमन उस प्रेयसी को अपना जो सिंदूर खोई, ऐसी सूनी मांग को भी मेरा ये शतशत नमन है | नमन है उन बहन बेटियो को कि जिसने प्यार खोई, ऐसी राखी और लोरी रहित जीवन को नमन है | है नमन उनको कि जिनसे शौर्य है इस अमरगढ का, और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | है नमन उन वीरों को जो खून से सींचे अमरगढ़ और अमरगढ को अमर करने में खुद को खो दिये है | ©RV Chittrangad Mishra अमरगढ़ की अमर गाथा चित्रांगद की कलम से खून से लतपथ
Divyanshu Pathak
🔱 उड़ना राजकुमार _______________ "कर्नल जेम्स टॉड लिखते हैं कि -उसका अनुमान करना भी असंभव है, तो भी एक बात निश्चित है कि यदि अपनी प्रारंभ क
Divyanshu Pathak
जब तक प्रतिहारों में साहसी-पराक्रमी शासक उत्पन्न होते रहे उनका राज्य विस्तार भी हुआ।शुरुआती दौर में मण्डोर के प्रतिहार- नागभट्ट,शिलुक,बाउक शक्तिशाली रहे।उज्जैन और कन्नौज के प्रतिहारों में भी कई प्रतिभासंपन्न योद्धा हुए।समूचे राजस्थान पर अधिकार कर उन्होंने- गुहिल,राठौड़,चौहान तथा भाटियों को सामन्त बनाकर राज्य किया।जैसे ही इनकी केंद्रीय शक्ति कमज़ोर हुई तो सामन्तों ने अपने स्वतंत्र राज्य स्थापित कर लिए।जिस राजस्थान की मिट्टी में उनका उदय हुआ,उसी राजस्थान को वे हमेशा के लिए अपना न रख सके। : डॉ गोपीनाथ शर्मा लिखते हैं कि - जोधपुर के शिलालेखों से यह प्रमाणित होता है कि प्रतिहारों का अधिवासन मारवाड़ में लगभग छठी शताब्दी के द्वित्त
Divyanshu Pathak
"बप्पा-रावल" ( क्रमशः-02 ) जब उस युवा लड़को को नागदा का सामन्त बना दिया गया तो वहाँ के जो पुराने सामन्त थे विद्रोह करने लगे उसी दौरान किसी विदेशी आक्रमण की सूचना मिली अन्य सामन्त इस अवसर का फ़ायदा उठाना चाहते थे नव सीखिए सामन्त को सेनापति बनाकर युद्ध में भेज दिया।मैदान में जाकर नए जोश के साथ सेनापति ने आक्रमणकारियों को खदेड़ दिया और विजय प्राप्त की साथ ही उन विरोधी सामन्तों को भी समझाया तब किसी ने उनको सम्बोधित किया भई- ये है सबका बाप और वही बाप आगे चलकर 'बप्पा' हो गया। ऐसा सुना गया है कि मोहम्मद-बिन-क़ासिम की फ़ौज लेकर यज़ीद ने सिंध प्रदेश को जीत लिया और अपने क्षेत्र को विस्तार देने के लिए उसने चित्तोड़ पर आक्र
Divyanshu Pathak
💠 'अतीत के पन्ने' 💠 राजस्थान के गौरवशाली अतीत का श्रेय गुहिल वंश को जाता है।इन्हें गुहिलोत,गोमिल,गोहित्य,गोहिल के रूप में भी पुकारा गया है।गुहिल जन्म से ब्राह्मण और कर्म से क्षत्रिय माने गए।उनकी पहचान को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं किन्तु महाराणा कुम्भा ने ढेर सारी छान-बीन के बाद अपने वंश के लिए स्पष्ट रूप से ब्राह्मण वंशीय होना अंकित करवाया था।बारहवीं शताब्दी के पहले किसी भी लेखक,कवि,या साहित्यकार ने उन्हें सूर्यवंशी नहीं लिखा।सूर्यवंशी लिखने की परिपाटी "चित्तोड़" के 1278 ई. के लेख के आसपास अपनाई हुई लगती है। 💠💠💠💠💠💠💠💠 कैप्शन--🗡 💠💠💠💠💠💠💠💠 टॉड ने विवरण दिया कि- 524 ई.में वल्लभी का राजा शिलादित्य विदेशी आक्रमणकारियों से युद्ध करते समय परिवार सहित मारा गया उस दौरान उनकी गर्भवती ध
Divyanshu Pathak
'राजपूत' ( अतीत के झरोखे से-02 ) अग्नि-पुराण के अनुसार- चन्द्रवंशी कृष्ण और अर्जुन तथा सूर्यवंशी राम और लव-कुश के वंशज राजपूत थे।स्वयं 'राजपूत' भी इस कथन को सहर्ष स्वीकार करते हैं।इसी आधार पर श्री गहलोत ने भी लिखा है कि- "वर्तमान राजपूतों के राजवंश वैदिक और पौराणिक काल के सूर्य व चन्द्रवंशी क्षत्रियों की सन्तान हैं।ये न तो विदेशी हैं और न ही अनार्यों के वंशज।जैसा कि कुछ यूरोपीयन लेखकों ने अनुमान लगाया।डॉ दशरथ शर्मा भी लिखते हैं कि राजपूत सूर्य और चन्द्रवंशी थे। दशवीं शताब्दी में चरणों के साहित्य और इतिहास लेखन में राजपूतों को सूर्यवंशी व चन्द्रवंशी बताया है। 1274 ई. का शिलालेख जो चित्तौड़गढ़, 1285 ई.
Divyanshu Pathak
हम अपनी स्वाधीनता संस्कृति और प्रेम के लिए प्राणों की आहूति देने वाले लोग हैं। हमारी मिट्टी में सिन्धु सभ्यता से काफ़ी पहले जीवन की हिलोर उठ चुकी थी। कर्नल टॉड लिखते हैं कि - "राजस्थान में कोई भी ऐसा छोटा राज्य नहीं है जिसमें थर्मोपॉली जैसी रणभूमि न हो और शायद ही कोई ऐसा नगर मिले जहाँ लिय
Divyanshu Pathak
कोश कोश पे बदले पानी चार कोश पे वाणी .. मेरा मन है राजस्थान दिल मेरा हिंदुस्तानी.... 💕👨 Good morning ji 💕🍸🍨☕☕☕💕💕🐒🍵🍓🍉🍉🍨🍨🍸💕🍫🍫🍫🍉🍉🍓🍓💕💕🍉🍓🍫💕👨 : 👉राजस्थान क्यों है खास ? : 1. भारत के 100 सबसे अमीर व्यक्तियो में से 35 राजस्थानी व्यापारी
Vibhor VashishthaVs
Meri Diary #Vs❤❤ बिहार (बेगूसराय) के श्री लेफ़्टिनेंट ऋषि रंजन जी आतंकियों से सामान्य लोगों और संप्रभुता को बचाने में शहीद हुए । दिनांक 31 अक्टूबर को जब सब अपने अपने घरों में दीपावली की तैयारी में जुटे हैं,बेगूसराय के एक घर का दिया बुझ गया है। लेफ्टिनेंट ऋषि रंजन ने देश की रक्षा करते हुए 23 वर्ष की आयु में ही अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। बेटा हो तो ऐसा, संतान हो तो ऐसी। 🙏🏵भारत मां के सपूत को सादर नमन।🏵🙏 ईश्वर इस दुःख की घड़ी में उनकी आत्मा को शांति और परिवारजनों को धैर्य व् साहस प्रदान करे | वीरों तुम अमर रहो अमर रहो अमर रहो 🙏🇮🇳जय हिन्द 🇮🇳🙏 🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏🏵🙏 ✍️Vibhor vashishtha Vs Meri Diary #Vs❤❤ बिहार (बेगूसराय) के श्री लेफ़्टिनेंट ऋषि रंजन जी आतंकियों से सामान्य लोगों और संप्रभुता को बचाने में शहीद हुए । दिनांक 31 अ